- एसटीएफ ने जालसाज गैंग का किया खुलासा, अन्य फरार अभियुक्तों की तलाश जारी

- वर्तमान राज्यमंत्री पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास का प्रधान निजी सचिव और सचिवालय में संविदा कर्मी भी दबोचे गए अभियुक्तों में शामिल

- एक आईपीएस अफसर व राजधानी में तैनात इंस्पेक्टर समेत अन्य पुलिसकर्मी के शामिल होने की पुष्टि

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रुष्टयहृह्रङ्ख : पशुपालन विभाग में 292 करोड़ का टेंडर दिलाने के नाम पर इंदौर के उद्यमी से करोड़ों रुपये हड़पने के मामले में एसटीएफ ने सात आरोपियों को अरेस्ट किया है। अरेस्ट किये गए आरोपियों में राज्यमंत्री पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास का प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालय का संविदा कर्मी धीरज कुमार देव, कथित पत्रकार एके राजीव व खुद को पशुपालन विभाग का उपनिदेशक बताने वाला आशीष राय उर्फ एसके मित्तल भी शामिल हैं। एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि फर्जीवाड़े में एक आईपीएस अधिकारी, राजधानी में तैनात इंस्पेक्टर व अन्य पुलिसकíमयों के शामिल होने की पुष्टि हुई है, हालांकि इस पर अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।

उद्यमी ने की थी शिकायत

प्रभारी एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, इंदौर निवासी उद्यमी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू ने शिकायत की थी कि पशुपालन विभाग में फर्जी टेंडर के जरिये 9.72 करोड़ रुपये ठग लिये गए। छानबीन के दौरान विभवखंड गोमतीनगर आशीष राय, राजाजीपुरम निवासी रजनीश दीक्षित, ग्रीनवुड अपार्टमेंट गोमतीनगर विस्तार निवासी धीरज कुमार देव, नेहरू एन्क्लेव गोमतीनगर निवासी कथित पत्रकार एके राजीव, रूपक राय, उमाशंकर तिवारी और निजी चैनल के पत्रकार अनिल राय को अरेस्ट किया गया है। आरोपियों के पास से कुल 28 लाख 32 हजार रुपये बरामद किए गए हैं। इसके अलावा एके राजीव के घर से एसके मित्तल के नाम से फर्जी पहचान पत्र व अन्य कागजात बरामद किए गए हैं। छानबीन में पता चला कि पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित सरकारी कार्यालय के कर्मचारियों व उनके सहयोगियों ने भी इस फर्जीवाड़े में जमकर मलाई काटी।

तीन परसेंट कमीशन, प्रॉफिट में 40-60 हिस्सेदारी

भुक्तभोगी उद्यमी मंजीत सिंह भाटिया ने एसटीएफ में की शिकायत में बताया कि बीती आठ अप्रैल 2018 को उनके सहयोगी वैभव शुक्ला अपने परिचित संतोष के साथ आए थे। इस दौरान उनसे उनकी कंपनी के टर्न ओवर के बारे में जानकारी ली थी। कंपनी के दस्तावेज भी साथ ले गए। उन्हें बताया कि पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसके मित्तल उनके करीबी हैं और वे 214 करोड़ का टेंडर उन्हें दिलवा सकते हैं। टेंडर पास कराने के एवज में तीन परसेंट कमीशन देना होगा। इसपर मंजीत तुरंत तैयार हो गए। जिस पर वैभव ने मंजीत से कहा कि सप्लाई के बाद जो फायदा होगा उसका 40 परसेंट वह लेगा। मोटा मुनाफा देख मंजीत फौरन इसके लिये तैयार हो गए।

सचिवालय में खेला गया ठगी का खेल

टेंडर लेने को लेकर जालसाजों की सभी शर्ते मान चुके मंजीत को काम दिलाने के नाम पर आरोपियों ने जुलाई 2018 में एक परसेंट कमीशन फौरन देने की मांग की। मंजीत ने उन्हें दो करोड़ रुपये दे दिए। इस दौरान गिरोह ने अमित मिश्रा नाम के शख्स को आगे किया था, जिसके जरिये रुपये लिए गए। 31 अगस्त को आरोपियों ने कथित डिप्टी डायरेक्टर एसके मित्तल व तत्कालीन पशुपालन मंत्री से मुलाकात कराने का झांसा देकर लखनऊ बुलाया। मंजीत के लखनऊ पहुंचने पर उसे सचिवालय के गेट नंबर नौ से बिना किसी चेकिंग के भीतर ले जाया गया। इसके बाद पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित सरकारी दफ्तर में आशीष ने खुद को एसके मित्तल बताकर मंजीत से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान मंजीत को फर्जी वर्क ऑर्डर की कॉपी दे दी। हालांकि इस दौरान आरोपियों ने मंजीत की किसी मंत्री से मुलाकात नहीं करवाई। इसके बाद गिरोह ने मिलकर कभी गोदाम तो कभी टेंडर की जांच का बहाना कर व्यापारी से करोड़ों रुपये वसूले।

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लगा देते थे नकली नेमप्लेट

एसटीएफ की सख्त पूछताछ में आशीष ने बताया कि पशुपालन विभाग विधानसभा सचिवालय स्थित कार्यालय के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, उमेश मिश्र सहायक समीक्षा अधिकारी, धीरज कुमार देव (निजी सचिव) संविदाकर्मी और होमगार्ड रघुबीर यादव, सरकारी चालक विजय कुमार व अन्य के सहयोग से वह सचिवालय स्थित एक कमरे को एसके मित्तल, डिप्टी डायरेक्टर, पशुपालन विभाग की नेमप्लेट लगाकर इस्तेमाल करता था। इस दौरान वह खुद को एसके मित्तल बताता था। आरोपी के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में मोन्टी गुर्जर, रूपक राय, संतोष मिश्र, कथित पत्रकार एके राजीव, अमित मिश्रा, उमाशंकर तिवारी, लखनऊ पुलिस लाइन में तैनात कॉन्सटेबल डीबी सिंह उर्फ दिल बहार सिंह यादव, अरुण राय एवं निजी चैनल के पत्रकार अनिल राय भी शामिल थे। टेंडर के एवज में मिलने वाली रकम को आरोपी फर्जीवाड़े में अपने रोल के मुताबिक आपस में बांट लेते थे। उधर, आरोपी रजनीश दीक्षित ने बताया कि मंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार देव के जरिये उसकी मुलाकात आशीष राय से हुई थी।

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एसीपी गोमतीनगर करेंगे जांच

हजरतगंज में शनिवार देररात दर्ज कराई गई एफआईआर की जांच एसीपी गोमतीनगर संतोष सिंह को दी गई है। जांच में इंस्पेक्टर हजरतगंज अंजनी कुमार पांडेय उनकी मदद करेंगे। आरोपियों के खिलाफ जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज बनाने, साजिश रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

Posted By: Inextlive