स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर उपभोक्ता परिषद की ओर से बड़ा खुलासा किया गया है। परिषद अध्यक्ष का कहना है कि इस मीटर के सहारे चोर दरवाजे से हर उपभोक्ता पर 15.47 रुपया हर माह जीएसटी का भार डालने की तैयारी है। परिषद का कहना है कि अभी पूरे देश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दर जीएसटी के दायरे में नहीं है लेकिन स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगते ही उपभोक्ता पर जीएसटी का भार पड़ेगा।


लखनऊ (ब्यूरो)। जिन उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगेगा, उनसे 18 प्रतिशत जीएसटी मीटर कॉस्ट की किश्त ओपेक्स मॉडल के तहत वसूल की जाएगी। केंद्र द्वारा जारी रिवैैंप्ड योजना में लगने वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर की स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट में स्पष्ट है की सर्विस प्रोवाइडर को, जो जीएसटी मीटर कॉस्ट की किश्त पर डिस्कॉम देंगे, उसको बिजली कंपनियां बिजली दर के प्रस्ताव में ले जाएं यानि चोर दरवाजे उपभोक्ता से जीएसटी की वसूली होगी। कई वर्षों तक ली जाएगी जीएसटी


परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहाकि यूपी में जिन 12 लाख बिजली उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा है, उनसे ईईएसएल (प्रोजेक्ट अवधि 8 साल तक) विभाग से रुपए 85.95 मीटर की कैपिटल कॉस्ट हर माह वसूलता है और उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी यानि रुपए 15.47 हर माह वसूल करता है और वर्तमान में जो स्मार्ट प्रीपेड उपभोक्ताओं के घर केंद्र के नीति के तहत वर्ष 2025 तक लगना है उसकी कॉस्ट केंद्र ने 6000 आंकलित की है तो भविष्य में हर उपभोक्ता पर हर माह 15.47 रुपए से कहीं ज्यादा जीएसटी का भार पड़ेगा और इसे कई सालों तक वसूल किया जाएगा। हर माह 48 करोड़ जीएसटी

प्रदेश में लगभग तीन करोड़ उपभोक्ता हैं। यदि भविष्य में उनके यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर स्थापित मानकर रुपया 16 प्रति उपभोक्ता जीएसटी निकाली जाए तो केवल तीन करोड़ उपभोक्ता से सर्विस प्रोवाइडर हर माह 48 करोड़ जीएसटी वसूल करेगा और साल में लगभग 576 करोड़ की जीएसटी की वसूली सिर्फ यूपी से होगी।उपभोक्ताओं के यहां लगने हैैं प्रीपेड स्मार्ट मीटरबता दें कि सभी उपभोक्ताओं के यहां प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी की गई है। जिनके यहां पोस्ट पेड मीटर लगे हुए हैैं, उनके यहां भी प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैैं। इसके लिए सर्वे का कार्य लगभग अंतिम चरण में हैैं। पहले उन एरियाज में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जहां बिजली चोरी अधिक है या जहां ऐसे उपभोक्ता ज्यादा हैैं, जो समय से बिल जमा नहीं करते हैैं। ऐसे एरियाज में सर्वे का काम पूरा किया जा चुका है और उपभोक्ताओं की लिस्ट भी तैयार कराई जा चुकी है। लंबे समय से मांग

उपभोक्ता परिषद की ओर से स्मार्ट मीटर टेक्नोलॉजी को लेकर भी लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैैं। जिन उपभोक्ताओं के यहां पहले स्मार्ट मीटर लगे हुए हैैं, वे 2जी या 3जी बेस्ड हैैं। जबकि अब 4जी टेक्नोलॉजी आ चुकी है। पुरानी टेक्नोलॉजी होने के कारण उपभोक्ताओं को कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है। परिषद अध्यक्ष की ओर से लगातार मांग की जा रही है कि अब जो स्मार्ट मीटर लगाए जाएं, वो नई टेक्नोलॉजी बेस्ड हों। जिससे उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े। परिषद की ओर से यह भी मांग की गई है कि मीटर लगाने से पहले उसकी मानकों के अनुसार टेस्टिंग भी कराई जाए।

Posted By: Inextlive