Lucknow News: एलर्जी या अस्थमा होने पर लोगों में घबराहट होने लगती है कि कहीं जिंदगी भर इन्हेलर या स्टेरायड तो लेना पड़ेगा। मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है तो उसे ठीक होने की गारंटी चाहिए होती है। पर डॉक्टर ऐसा न कहे तो वो दूसरी जगह चला जाता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। एलर्जी या अस्थमा होने पर लोगों में घबराहट होने लगती है कि कहीं जिंदगी भर इन्हेलर या स्टेरायड तो लेना पड़ेगा। मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है तो उसे ठीक होने की गारंटी चाहिए होती है। पर डॉक्टर ऐसा न कहे तो वो दूसरी जगह चला जाता है। जहां कोई मछली तो कोई चूरन से इसे ठीक करने का दावा करता है। हालांकि, ये केस को और बिगाड़ देता है। ऐसे में डरने की जगह एक्सपर्ट डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यह जानकारी केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा मंगलवार को वर्ल्ड अस्थमा डे के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान चीफ गेस्ट पद्मश्री डॉ। डी बेहरा ने दी।इन्हेलर से कम डोज जाती है


डॉ। बोहरा ने आगे बताया कि लोगों का समझना चाहिए कि इन्हेलर से कम डोज जाती है, जबकि स्टेरायड गोली एमजी में होती है और पूरे शरीर में जाकर नुकसान पहुंचाती है। अस्थमा से डरें नहीं और खुलकर इसके बारे में बात करें। स्टेरायड खाया तो नुकसान होगा, जिसमें हड्डियां कमजोर होना, स्किन पतली होना, सूजन आना या अंग प्रभावित होना हो सकता है। जिससे मरीज की उम्र भी कम हो जाती है। एक्सपर्ट से मिलकर ही इलाज करवाना चाहिए।इम्युनो थेरेपी कारगर

कार्यक्रम के दौरान डॉ। वीके जैन ने बताया कि एलर्जी में इम्युनो थेरेपी बेहद कारगर है। अगर किसी को एक-दो एलर्जी हैं, तो थेरेपी देकर राहत मिल सकती है। वहीं, डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि बच्चों में पहले से ही एलर्जी की समस्या ज्यादा रहती है। इसका कारण अनुवांशिक रहता है। बच्चों में एक्टिव इम्युनिटी धीरे-धीरे डेवलप होती है।***************************************रेटिनोब्लास्टोमा की जांच और इलाज जल्द जरूरी

रेटिनोब्लास्टोमा 5 साल से कम उम्र के बच्चों के आंख के पर्दे में होने वाला कैंसर को कहते हैं, जिसकी पहचान जल्द होने से इसके इलाज की सफलता तय होती है। विभाग 250 से ज्यादा बच्चों को इस आंख के कैंसर से निजात दिला चुका है। यह जानकारी मंगलवार को डॉ। संजीव कुमार गुप्ता ने रेटिनोब्लास्टोमा सप्ताह के तहत जागरूकता कार्यक्रम के दौरान बताईं। बाल रोग विभाग के डॉ। निशांत वर्मा ने बताया कि कैंसर के शुरुआती लक्षणों के तहत 5 साल से छोटे बच्चों में यदि आंख में भेंगापन हो या आंख की पुतली में सफेद चमक दिखाई दे, तो यह रेटिनोब्लास्टोमा के प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। ऐसे में, नेत्र विशेषज्ञ से राय लेना बेहद जरूरी है। कैंसर की बीमारी बढ़ जाने पर रोगी की जान जाने की अत्यधिक संभावना होती है। वहीं, डॉ। रघुवर दयाल सिंह, प्रौस्थोडॉन्टिक्स विभाग ने जानकारी दी कि इलाज के उपरांत कैंसर खत्म होने के बाद आंख में विकृति होने पर कृतिम आंख से सुधारा जाता है। यह कृतिम आंख केजीएमयू में कैंसर पीड़ित रोगियों को फ्री में दी जाती है।

Posted By: Inextlive