सिर्फ दो प्रतिशत बीमारियां ही जेनेटिक या एक्सीडेंटल होती हैं। बाकी 98 प्रतिशत बीमारियों का सीधा संबंध हमारी सोच से होता है। यदि हम अंतरमुखी हैं यानि अपनी बात या समस्याएं दूसरों से शेयर नहीं करते हैं तो आने वाले दिनों में हम ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक कैंसर जैसी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। स्वस्थ रहने के लिए व्यक्तित्व में संतुलन बेहद जरूरी है। जीवन को कैसे संतुलित रखा जाए अब इसकी जानकारी नई शिक्षा नीति 2020 के तहत लखनऊ यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट की तरफ से तैयार किए गए नए कोर्स में स्टूडेंट्स को दी जाएगी।

लखनऊ (ब्यूरो)। डिपार्टमेंट की कोआर्डिनेटर डॉ। अर्चना शुक्ला ने बताया कि नए सिलेबस में ग्रेजुएशन लेवल पर तीन अलग से पेपर एड किए गए हैं। इसमे स्कूल साइकोलॉजी से लेकर हेल्थ साइकोलॉजी, निगेटिविटी सहित कई अन्य टॉपिक एड किए गए हैं। वहीं लास्ट सेमेस्टर में स्टूडेंट्स की इंटर्नशिप को शामिल किया गया है। जिससे स्टूडेंट्स को किताबी ज्ञान सेबाहर निकलकर प्रैक्टिकल नॉलेज दी जा सके।


व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण भूमिका
डॉ। शुक्ला ने बताया कि आत्मनियंत्रण व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसमें व्यक्ति के व्यक्तित्व की भी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। कोई भी बीमारी आने से पूर्व हमें संकेत देती है लेकिन व्यस्त जीवन में हम उनकी तब तक अनदेखी करते हैं, जब तक वह हमारे लिए गम्भीर न बन जाए। इसमें मानसिक स्वास्थ्य मुख्य होता है। इसलिए नए सलेबस में स्टूडेंट्स को इन्हीं सब चीजों की जानकारी दी जाएगी।


अलग से यह पेपर किए गए एड
स्कूल ऑफ साइकोलॉजी
इसमें गुरुकुल परिवेश से लेकर ब्रिटिश काल को आंशिक तौर पर लेते हुए आधुनिक शिक्षा का समावेश किया गया है। स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति और आवश्यकताएं, टीचर्स मेंटल हेल्थ, स्कूल की एक्टिविटी जैसे टॉपिक शामिल किए गए हैं।

इनवायरमेंटल साइंस
इनवायरमेंटल साइंस में पर्यावरण संरक्षण को आदतों में कैसे शामिल किया जाए, जिससे संवेदनशील बना जा सके की जानकारी दी जाएगी।

हेल्थ साइकोलॉजी
पढ़ाई के दौरान स्टूडेंट्स को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उनकी हेल्थ, मेंटल व व्यक्तित्व सब आपसे में जुड़े हैं। यह जानकारी इसमें दी जाएगी।

तनाव का नकारात्मक प्रभाव
इसमें जानकारी दी जाएगी कि हेल्थ पर हर स्ट्रेस निगेटिव असर नहीं छोड़ता है, कई स्ट्रेस पॉजिटिव भी होते हैं। उदाहरण के तौर पर एग्जाम।

इंटर्नशिप
लास्ट सेमेस्टर में स्टूडेंट्स को प्रोजेक्ट वर्क दिए जाएंगे, जिन्हें उन्हें पूरा करना होगा।


नए सिलेबस में ग्रेजुएशन लेवल पर तीन अलग से पेपर एड किए गए हैं। लास्ट सेमेस्टर में इंटर्नशिप को शामिल किया गया है। जिससे स्टूडेंट्स को किताबी ज्ञान सेबाहर निकलकर प्रैक्टिकल नॉलेज दी जा सके।
डॉ। अर्चना शुक्ला, कोआर्डिनेटर, साइकोलॉजी डिपार्टमेंट, एलयू

Posted By: Inextlive