- फाइनेंस कंपनी ने डॉक्टर्स के लिए निकाली है स्पेशल लोन स्कीम

- शहर के दो डॉक्टरों के नाम पर 65 लाख का फ्रॉड

- कंपनी के दो कर्मचारी समेत पांच आरोपी अरेस्ट

LUCKNOW: एमबीबीएस डॉक्टर्स के लिए चलाई गई स्पेशल लोन स्कीम का फायदा भले ही डॉक्टर्स न उठा पाएं हो, लेकिन जालसाजों ने इसका पूरा फायदा उठाया। शहर के दो डॉक्टर्स के नाम पर जालसाजों ने फेक डॉक्यूमेंट्स लगाकर करीब 65 लाख का लोन ले लिया। इस खेल में कंपनी के दो मुलाजिम भी शामिल थे। डॉक्टरों ने जब कंपनी से शिकायत की तो कंपनी ने जालसाजों के खिलाफ हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया। जांच साइबर सेल को सौंपी गई। साइबर क्राइम सेल ने पूरे नेक्सेज का खुलासा करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया। जांच में पूरा खेल ढाई से तीन करोड़ का सामने आया।

डॉक्टर्स के लिए थी स्कीम

बजाज फाइनेंस कंपनी कोविड 19 को देखते हुए एमबीबीएस डॉक्टर्स के लिए एक स्पेशल लोन स्कीम चला रही है। स्कीम में डॉक्टर्स की एमबीबीएस डिग्री पर ही उन्हें फोन पर लोन दिया जा रहा है। लोन के लिए उनके क्रेडिट स्कोर और डॉक्यूमेंट्स को चेक किया जाता है। इसी दौरान कंपनी ने शहर के दो डॉक्टर्स डॉ। शोभित श्रीवास्तव और राजेंद्र चौधरी के नाम पर क्रमश: 30 और 35 लाख का लोन दिया। लोन पास होने के कुछ दिन बाद जब डॉक्टर्स के पास सिविल डेटा पर मैसेज आने शुरू हुए तो उन्होंने कंपनी से मिलकर इसकी शिकायत करते हुए लोन न लेने की बात कही। इसके बाद कंपनी के होश उड़ गए। मामला फर्जीवाड़े और जालसाजी से जुड़ा होने के चलते कंपनी के आरसीयू डिपार्टमेंट के प्रभारी दिनेश शर्मा ने हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया। मामले की जांच साइबर क्राइम सेल को सौंपी गई।

कंपनी के 2 कर्मी समेत 5 अरेस्ट

साइबर क्राइम सेल ने शनिवार को बजाज फाइनेंस कंपनी के दो कर्मचारी समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपी ओमैक्स सिटी निवासी रितेश शुक्ला, खरगापुर अवधपुरी निवासी इशान शर्मा, बाराबंकी निवासी अभिमन्यु राय, मोहित कुमार वर्मा, और महेंद्र पांडेय उर्फ मुन्ना को गिरफ्तार किया। इसमें से एक कर्मचारी रितेश और दूसरा पूर्व कर्मचारी इशान शर्मा है। मामले में एक कंपनी के जोनल अधिकारी का भी नाम सामने आया है।

ऐसे करते थे फ्रॉड

- फेमस डॉक्टर्स की फर्जी डिग्री और डॉक्यूमेंट्स तैयार किये जाते थे

- लोन लेने के लिए डॉक्टर की जगह दूसरा मोबाइल नंबर और डुप्लीकेट अकाउंट नंबर खोलकर दिया जाता

- पैसा ट्रांसफर होते ही अकाउंट से कैश निकाल लिया जाता था

ढाई से तीन करोड़ रुपये का फ्रॉड

मामले की जांच कर रही टीम और कंपनी से जुड़े अफसरों का कहना है कि यह केवल दो केस हैं जिसमें 65 लाख का फ्रॉड सामने आया है। इससे जुड़े कई और मामले सामने आए हैं। यह रकम करीब ढाई से तीन करोड़ की है, जिसमें शहर के कई फेमस डॉक्टरों के नाम पर फर्जी तरीके से लोन लिया गया।

Posted By: Inextlive