करीब 90 प्रतिशत टीनएजर्स सोशल मीडिया से जुड़े हैं। बड़ी संख्या में टीनएजर्स अपना अधिकांश समय गैजेट्स और ऑनलाइन रहने में गुजार रहे हैं। सोशल मीडिया पर टीनएजर्स का ज्यादा समय गुजारना रिस्क को बढ़ाने का काम करता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। विकास नगर में रहने वाली 9वीं की छात्रा एक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ी थी, जिसमें गेमिंग से जुड़ी चैट होती थी। वह दिन में कई घंटे मोबाइल पर चैट करती थी। सोशल मीडिया पर उसके काफी ज्यादा समय बीतने पर पैरेंट्स भी हैरान थे। जब उसके मोबाइल फोन को चेक किया गया तो पचा चला कि वह जिस व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ी थी, उसमें पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों के लोग भी जुड़े हैं। पैरेंट्स ने साइबर क्राइम सेल से संपर्क किया। छात्रा ने बताया कि उसके छोटे-छोटे डाउट्स क्लियर करने में यह ग्रुप मदद करता है। यह ऐसा पहला मामला नहीं आया था साइबर क्राइम सेल में। बीते 11 माह में 100 से ज्यादा मामले आए हैं, जहां पैरेंट्स ने शिकायत की है कि उनके बच्चे सोशल मीडिया साइट्स पर ज्यादा वक्त बीतते हैं और कई बार साइबर बुलिंग का शिकार भी हो रहे हैं। एक इंटरनेशनल सर्वे के अनुसार भी बीते पांच साल में सबसे ज्यादा टीनएजर्स सोशल मीडिया साइट्स पर वक्त बिता रहे हैं, जिसमें लड़कियां पहले नंबर पर हैं।90 फीसदी टीनएजर्स सोशल मीडिया पर


सोशल मीडिया से टीनएजर्स का सबसे ज्यादा लगाव है। यह हम नहीं बल्कि ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी का एक सर्वे कहा रहा है। सर्वे के अनुसार, करीब 90 प्रतिशत टीनएजर्स सोशल मीडिया से जुड़े हैं। बड़ी संख्या में टीनएजर्स अपना अधिकांश समय गैजेट्स और ऑनलाइन रहने में गुजार रहे हैं। सोशल मीडिया पर टीनएजर्स का ज्यादा समय गुजारना रिस्क को बढ़ाने का काम करता है।पैरेंट्स से ज्यादा सोशल मीडिया पर भरोसासोशल मीडिया फ्लेटफॉर्म से पहले बच्चे किसी भी प्रॉब्लम के सॉल्यूशन के लिए पैरेंट्स व फैमिली मेंबर्स की मदद लेते थे, लेकिन आजकल बच्चे अपने पैरेट्स की सलाह से ज्यादा सोशल मीडिया पर भरोसा कर रहे हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि वे देख रहे हैं कि फैमिली के अन्य मेंबर्स मोबाइल में सोशल मीडिया पर बिजी हैं। कई बार टीनएजर्स किसी परेशानी को शेयर करके दोस्तों से राय लेते हैं। ऐसे में मिसगाइड होने की संभावना भी अधिक होती है। सही डिसीजन न ले पाने के कारण भी टीनएजर्स में मेंटल प्रेशर बढ़ सकता है। कई बार गलत डिसीजन उनको मौत के मुंह में भी ढकेल सकता है।लड़कों से ज्यादा लड़किया सोशल मीडिया पर

साइबर क्राइम सेल में टीनएजर्स से जुड़े अभी तक जितने भी मामले आए है, उसमें सोशल मीडिया के चलते लड़कियों को ज्यादा प्रॉब्लम आई है। अमेरिका में प्यू रिसर्च में भी लड़कों (टीनएजर्स) की तुलना में लड़कियों के इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर अकाउंट ज्यादा पाए गए हैं। एक अन्य सर्वे के अनुसार, साल 2016 से 18 में किशोरों में इंटरनेट की उपयोगिता जहां 92 प्रतिशत थी, वह आज बढ़कर 97 प्रतिशत हो चुकी है। एक रिपोर्ट यह भी खुलासा करती है कि टीनएजर्स की स्मार्टफोन तक पहुंच पिछले 8 वर्षों में बढ़ी है, जबकि डेस्कटॉप या लैपटॉप कंप्यूटर या गेमिंग कंसोल जैसे डिजिटल तकनीकों तक उनकी पहुंच में कोई वृद्धि या गिरावट नहीं आई है। मतलब साफ है कि टीनएजर्स में कंप्यूटर के मुकाबले स्मार्टफोन की उपयोगिता ज्यादा है।9 से 17 साल के टीनएजर्स सबसे 'क्रेजी'जिस तरह इंटरनेट में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। बच्चों में भी इसका क्रेज बढ़ रहा है। इंटरनेट के चलते बच्चे ऑनलाइन गेमिंग की ओर ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। इसी को लेकर हाल ही में एक सर्वे किया गया। जिसमें करीब 40 फीसदी पेरेंट्स ने माना कि उनके बच्चों को सोशल मीडिया चलाने, ऑनलाइन गेम खेलने और वीडियोज देखने की लत लगी है। इन बच्चों की उम्र 9 से 17 साल के बीच थी। यह सर्वे म्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफार्म लोकल सर्कल्स ने किया था।कोरोना काल के चलते बढ़ा क्रेज

इस सर्वे में शामिल हुए 49 प्रतिशत पेरेंट्स ने माना कि उनके 9 से 13 साल के बच्चे रोजाना 3 घंटे से भी ज्यादा इंटरनेट पर बिताते हैं। वहीं 47 फीसदी पेरेंट्स ने बताया कि उनके बच्चों को सोशल मीडिया, वीडियोज, चैटिंग और ऑनलाइन गेमिंग की बुरी लत लगी है। इसके अलावा 62 फीसदी पेरेंट्स ने माना कि 13 से 17 साल के बच्चे हर दिन 3 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन पर बिताते हैं। सर्वे में लगभग 55 फीसदी पेरेंट्स ने बताया कि उनके 9 से 13 साल के बच्चों के पास सारा दिन स्मार्टफोन का एक्सेस होता है। वहीं, 71 प्रतिशत लोगों का कहना था कि उनके 13 से 17 साल के बच्चे पूरा दिन फोन चलाते रहते हैं। इन सभी पेरेंट्स ने माना कि कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास ने बच्चों में स्मार्ट गैजेट्स की लत को बढ़ाया है।क्या कहते हैं जानकार
टीनएजर्स में सोशल मीडिया का क्रेज काफी ज्यादा देखा गया है। साइबर क्राइम सेल में टीनएजर्स से जुड़े जितने भी मामले आए हैं, उनसे साफ है कि पैरटें्स से छिपाकर उन्होंने कोई एक्टिविटी की और फिर प्रॉब्लम फेस करनी पड़ी। इस उम्र के लिए सोशल मीडिया जरूरी भी है, लेकिन सावधानी भी बरतने की जरूरत है। इसके लिए पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा किस प्लेटफार्म पर कितना वक्त गुजार रहा है।-रनजीत राय, प्रभारी, साइबर क्राइम सेलवर्तमान समय में सोशल मीडिया से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता, क्योंकि हर चीज ऑनलाइन है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सोशल मीडिया पर हैं। यह जानना जरूरी है कि इसका यूज कितना और कैसे सावधानी के साथ किया जाए। यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसका कोई तय एरिया नहीं है। अगर आगे बढ़े तो कोई सीमा नहीं है। यह टीनएजर्स के लिए सबसे खतरनाक प्लेटफार्म है और उस पर लगाम केवल उनके पैरेंट्स ही लगा सकते हैं।- शिशिर यादव, साइबर एक्सपर्ट

Posted By: Inextlive