- बिजली कर्मियों के पीएफ की रकम प्राइवेट कंपनी डीएचएफसीएल के हवाले करने का मामला

-जेल में दर्ज किए गए ओपी वित्त निदेशक व महाप्रबंधक के बयान, पुलिस रिमांड पर लिये जाएंगे आरोपी

LUCKNOW

बिजली विभाग के इंजीनियरों व कर्मचारियों के पीएफ की रकम को प्राइवेट कंपनी डीएचएफसीएल में निवेश करने के मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू की टीम सोमवार को बिजली विभाग के मुख्यालय शक्ति भवन पहुंची। डीआईजी हीरालाल के नेतृत्व में टीम ने पीएफ घोटाले से संबंधित अहम दस्तावेज कब्जे में लिये। उल्लेखनीय है कि सरकार ने सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर करने तक मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी है। जिसके बाद डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने घोटाले की विवेचना के लिए डीआईजी हीरालाल व एसपी शकीलुज्जमा के नेतृत्व में 11 सदस्यीय टीम गठित की है।

चार घंटे तक चली छानबीन

ईओडब्ल्यू टीम सोमवार पूर्वान्ह शक्ति भवन के सेकंड फ्लोर पर स्थित यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट और यूपी पावर कॉरपोरेशन कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड ट्रस्ट के सील किये गए दफ्तर को खुलवाया। करीब चार घंटे तक छानबीन के दौरान ट्रस्ट के सचिव व फाइनेंस ऑफिसर मौजूृद रहे। इस दौरान टीम ने प्राइवेट कंपनी में निवेश को लेकर हुए बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के निर्णय और उसके बाद अरेस्ट किये गए आरोपी अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाही से संबंधित कागजों से जानकारी इकट्ठा की। कई अहम दस्तावेज कब्जे में ले लिये। कई दस्तावेजों को सील भी किया।

पुलिस रिमांड के लिये अर्जी दाखिल

ईओडब्ल्यू टीम ने जांच में रफ्तार पकड़ते हुए सोमवार को लखनऊ जेल में बंद घोटाले के आरोपी पावर कारपोरेशन के तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महाप्रबंधक व सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए। ईओडब्ल्यू ने दोनों आरोपियों को सात दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की है। इसके अलावा हजरतगंज कोतवाली में घोटाले की एफआईआर दर्ज कराने वाले सचिव ट्रस्ट आईएम कौशल के बयान भी दर्ज किए गए हैं।

बढ़ेगी करप्शन की धारा

मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू टीम अरेस्ट किये गए आरोपियों पर दर्ज एफआईआर में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा की बढ़ोत्तरी करेगी। इस संबंध में मंगलवार को ईओडब्ल्यू टीम यूपी पावर कॉरपोरेशन के एमडी को प्रार्थनापत्र देकर इस एक्ट के तहत कार्रवाई की मंजूरी मांगेगा। जिसके बाद एफआईआर में धाराओं की बढ़ोत्तरी की जाएगी।

यह है मामला

बिजली विभाग के इंजीनियरों व कर्मचारियों के जीपीएफ व सीपीएफ के 4122.70 करोड़ों रुपये प्राइवेट कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफसीएल) में असुरक्षित ढंग से निवेश किए गए हैं। मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट द्वारा जीपीएफ के 2631.20 करोड़ रुपये और यूपीपीसीएल सीपीएफ (कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड) के 1491.50 करोड़ रुपये डीएचएफसीएल में फिक्स्ड डिपॉजिट करा दिए गए थे। इसमें से कुल 1854.80 करोड़ रुपये ही वापस मिल सके हैं। मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के भुगतान पर रोक लगाने के बाद बिजलीकर्मियों के भी 2267.90 करोड़ रुपये फंस गए हैं। जिसे लेकर हंगामा मचा हुआ है।

Posted By: Inextlive