ऐसे तो बदलने से रहा भाग्य लक्ष्मी का भाग्य
10 फीसद ही गर्ल्स के आवेदन ग्रामीण एरिया में
50 फीसद तक आवेदन घटे राजधानी में - सरकारी स्कूलों में लड़कियों के आवेदन में आई भारी गिरावट LUCKNOW: गर्ल्स एजुकेशन को लेकर जहां एक ओर सरकार अपनी तरफ से पूरे प्रयास कर रही है, वहीं इसके बाद भी बहुत से लोग लड़कियों को पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं। पिछले एक साल के दौरान राजधानी के सरकारी स्कूलों में लड़कियों के एडमिशन में काफी गिरावट आई है। हालांकि प्राइवेट स्कूलों में स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया है, राजधानी में कई स्कूल ऐसे हैं जहां 50 फीसद तक गर्ल्स के आवेदनों में कमी देखने को मिल रही है। सभी गर्ल्स को मिले स्कॉलरशिपउत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री डॉ। आरपी मिश्रा ने बताया कि इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार को सभी गर्ल्स को स्कॉलरशिप देनी चाहिए। जो गर्ल्स आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की हैं, उन्हें लैपटॉप, स्मार्ट फोन, नेट, किताबें, आदि उपलब्ध कराई जाएं। इस कोरोना काल में लड़कियों की शिक्षा पर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जितना बच्चों की शिक्षा पर दिया जा रहा है।
बहुत कम हो रहे एडमिशनदयानंद गर्ल्स इंटर कॉलेज महानगर की प्रिंसिपल दिव्या श्रीवास्तव ने बताया कि लड़कियों के एडमिशन काफी कम हो रहे हैं। हमने पांच बच्चों के पेरेंट्स से पर्सनली बात की तब जाकर वे एडमिशन के लिए राजी हुए। ऑनलाइन क्लास शुरू होने से गर्ल्स की भागेदारी अचानक कम हो गई है। बहुत से पेरेंट्स उनके लिए डाटा ही खर्च नहीं करना चाहते हैं।
लड़कियों को पढ़ाना ही नहीं चाहते शशिभूषण बालिका इंटर कॉलेज की प्रिंसिपल संगीता अग्रवाल ने बताया कि सच्चाई यह है कि लोग लड़कियों को पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं। जो परिवार बड़े हैं, वहां लड़कों पर अधिक खर्च करने की मानसिकता आज भी बनी हुई है। कोरोना काल में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों की शिक्षा प्रभावित हुई है। वहीं प्राइवेट और सेल्फ फाइनेंस स्कूलों में स्थिति पहले की जैसी ही है। बाक्स राजधानी के स्कूलों पर एक नजर एडेड गर्ल्स स्कूल- 38 को-एड राजकीय स्कूल- 52 गर्ल्स राजकीय स्कूल- 26 सेल्फ फाइनेंस को-एड स्कूल- 670 सेल्फ फाइनेंस गर्ल्स स्कूल- 248 बाक्स हाईस्कूल के बाद शादी करना चाहते हैंएक स्कूल प्रिंसिपल ने बताया कि उनके स्कूल की एक लड़की तो पढ़ना चाहती है लेकिन उनके माता-पिता उसका एडमिशन नहीं करा रहे थे। बच्ची ने बताया था कि उसके माता-पिता उसकी हाईस्कूल के बाद शादी कराना चाहते हैं। इस पर उसके पैरेंट्स से बात की तो वे उसका एडमिशन कराने को तैयार हो गए हैं।
बाक्स क्यों छूट रही पढ़ाई - लॉकडॉउन के कारण काम-धंधा बंद हो गया - पूरी सेलरी न मिलना या नौकरी चली जाना - इंटरनेट का खर्च न उठा पाना - स्मार्ट फोन, लैपटॉप से लड़कियों को दूर रखना - काम भर की पढ़ाई के बाद शादी की मानसिकता