गोमती नगर के ग्वारी चौराहे पर बियर शॉप में शार्ट सर्किट से लगी आग पर फायर ब्रिगेड ने काबू पा लिया। यहां आग से निपटने के इंतजाम नहीं थे। अगर हम पूरी राजधानी की बात करें तो यहां की अधिकतर बिल्डिंगों और दुकानों आदि में आग से निपटने की पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। कई बार राजधानी में बड़े आग लगने के हादसे हो चुके हैं इसके बाद भी जिम्मेदार विभाग नींद से नहीं जाग रहा है।

लखनऊ (ब्यूरो)। चौक, अमीनाबाद, यहियागंज, नक्खास, गुरुनानक मार्केट, नाजा, प्रिंस मार्केट और चारबाग एरिया में बनी करीब 16 हजार से अधिक दुकानें फायर के मानकों की अनदेखी कर चल रही हैं। कारोबारियों के अनुसार बाजारों में जर्जर तार बदले नहीं जा रहे हैं। फायर ब्रिगेड के अधिकारी भी इस समस्या को मान चुके हैं। रोज इन बाजारों में 5 लाख के करीब लोग आते हैं। तीन साल पहले मुमताज मार्केट में आग लगने से करोड़ों का नुकसान हुआ था और जनहानि भी हुई थी। इसके बाद भी जिम्मेदार विभाग नहीं चेत रहा है।
फायर हाइड्रेंट भी गायब
अमीनाबाद में आग से निपटने के लिए वर्ष 2005 में फायर हाइड्रेंट बनाया गया था ताकि किसी प्रकार का हादसा होने पर यहां से पानी लिया जा सके। अब यह लापता हैं। मार्केट की ज्यादातर गलियां इतनी सकरी हैं कि वहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी तक नहीं पहुंच सकती है।
जांच ठंडे बस्ते में
आग की घटना होने पर अधिकारी जांच और कार्रवाई का दावा करते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फाइन के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है। शहर में मानकों को दरकिनार कर बने कोचिंग सेंटर, अस्पतालों से लेकर बाजारों की फायर और अन्य विभागों ने कई बार रिपोर्ट तैयार की, लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई।

तैयार की गई थी रिपोर्ट
एक हादसे के बाद लखनऊ में कोचिंग संचालक, स्टेशन फायर अफसर, होटल मालिक, व्यापारी संगठनों और अस्पताल संचालकों के लिए साथ वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया। इसके बाद चीफ फायर अफसर विजय कुमार सिंह ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी थी। मामले में एडीजी ने 15 दिन में ऐसी सभी इमारतों को सील करने का आदेश दिया था, जिनके पास फायर की एनओसी नहीं है। इसके बाद एलडीए ने जोनवार एक्सईएन को बिना फायर एनओसी वाली इमारतों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए लेकिन इसकी दोबारा रिपोर्ट ही नहीं मांगी गई।
एनओसी के मानक
- 3 साल के लिए दी जाती है कामर्शियल बिल्डिंग को एनओसी
- 5 साल के लिए दी जाती है रेजीडेंशियल बिल्डिंग को एनओसी

एनबीसी का मानक
किसी भी बिल्डिंग की एनओसी का मानक 9 पार्ट में होता है। कामर्शियल बिल्डिंग का क्राइटेरिया अलग-अलग है। ज्यादातर कोचिंग सेंटर कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स और बिल्डिंग में चल रहे हैं। इसमें असेंबली बिल्डिंग, ग्लास बिल्डिंग, ओपन बिल्डिंग समेत अन्य मानक हैं। 5 सौ वर्ग मीटर क्षेत्र वाली बिल्डिंग में 2 से 3 सीढिय़ां होनी जरूरी हैं।
नहीं खत्म हो रहे हादसे
सीएफओ के अनुसार 1 जनवरी से 30 अक्टूबर तक 754 आग की घटनाएं हुई हैं। वहीं 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2020 में लॉकडाउन के चलते हादसे कम हुए, लेकिन 1 से 31 दिसंबर 2019 तक राजधानी में 1024 आग लगने की घटनाएं हुई हैं। वहीं 1 जनवरी 2018 से अब तक आग लगने के 1031 मामले सामने आए हैं।
300 बिल्डिंग को नोटिस
शहर में कई बिल्डिंग बिना फायर एनओसी के खड़ी हैं। बिल्डिंग ऑनर दूसरे डिपार्टमेंट से एनओसी लेकर बिल्डिंग बना लेते हैं, लेकिन फायर एनओसी नहीं लेते हैं। फायर व जिला प्रशासन की तरफ से संबंधित डिपार्टमेंट को लेटर लिखा गया है कि वह पहले फायर एनओसी देखें, इसके बाद ही अन्य एनओसी जारी करें।

ये विभाग हैं जिम्मेदार
बिजली विभाग
कोचिंग काम्प्लेक्स में बिजली के तारों का जाल फैला है। बिजली विभाग की जिम्मेदारी इन्हें ठीक करने की है, लेकिन विभाग कभी निरीक्षण करने नहीं पहुंचता।
नगर निगम व एलडीए
किसी भी बिल्डिंग में निर्माण कार्य व लाइसेंस चेक करना नगर निगम व एलडीए की जिम्मेदारी होती है। समय समय पर वह चेकिंग करें तो बिल्डिंग के हालत का खुलासा हो सकता है।
जिला प्रशासन
जिला प्रशासन की ओवर ऑल जिम्मेदारी है। कोई भी बिल्डिंग रहने लायक है या कामर्शियल बिल्डिंग में मानकों को पूरा गया है या नहीं।
फायर डिपार्टमेंट
कामर्शियल-रेजीडेंशियल बिल्डिंग के सुरक्षा मानकों व फायर की जिम्मेदारी फायर डिपार्टमेंट की है। हालांकि फायर डिपार्टमेंट ने करीब तीन सौ ऐसी बिल्डिंग संचालकों को नोटिस भेजा है।

हादसों पर एक नजर
- हजरतगंज में पंजाब नेशनल बैंक में आग लगने से पीछे रहने वाले कई परिवार फंस गए।
- करथला में एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से 70 स्टूडेंट फंस गए। बगल की छत से इन्हें किसी तरह निकाला गया।
- नवल किशोर रोड में एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से कई स्टूडेंट्स फंस गए, जिन्हें काफी मशक्कत के बाद निकाला जा सका।
- ट्रांसपोर्ट नगर में एक गोदाम में आग लगने से दो बच्चों की मौत हो गई। छत काटकर आग पर काबू पाया गया।
- ऐशबाग में प्लाई फैक्ट्री में आग लगने से तीन कर्मचारी झुलस गए।

काम्प्लेक्स के लिए मानक
- सैट बैक (मोटरेबल)
- सैट बैक (भवन की ऊंचाई के हिसाब से वर्किंग स्पेस)
- फायर एग्जिट
- पलायन मार्ग की स्पष्टता
- पलायन मार्ग की डिस्टेंस
- वैकल्पिक रास्ता और जीने की व्यवस्था
- आकस्मिक स्थिति में लाइट की व्यवस्था
- बेसमेंट में रैंप की व्यवस्था

बिल्डिंगों में सुरक्षा के लिए
- फायर एक्सटिंग्यूशर
- डाउन कमर सिस्टम
- यार्ड हाईडेंट सिस्टम
- आटोमेटिक स्प्रिंकलर्स सिस्टम
- आटोमैटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम
- मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट फायर अलार्म सिस्टम
- अंडरग्राउंड वाटर टैंक
- ओवरहेड वाटर टैंक
शहर में बहुत सी इमारतों में न तो फायर फाइटिंग सिस्टम है और न एनओसी ली गई है। ऐसी जगहों को चिंहित कर उनको नोटिस भेजी गई है और संबंधित विभागों को भी इसकी रिपोर्ट सौंपी गई है।
विजय कुमार सिंह, सीएफओ

Posted By: Inextlive