150 से ज्यादा बैंड कंपनियां राजधानी में

60 हजार लोगों को सहालग में मिलता है काम

30 के करीब लोग होते हैं एक बैंड टीम में

15 अक्टूबर के बाद काम मिलने की उम्मीद

- बदहाली के दौर से गुजर रहे बैंड वालों को साहलग से हैं काफी उम्मीदें

- फिलहाल तो बैंड वाले पुरानी बचत से ही पाल रहे हैं अपना परिवार

LUCKNOW:

मार्च के अंत से ही बैंड-बाजा इंडस्ट्री पूरी तरह बंद है। इनकम एक रुपए की नहीं हो रही है और दुकान का किराया तो देना ही है। ऐसे में इनके सामने परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया है। इस धंधे से जुड़े कई लोग या तो गांव चले गए हैं या फिर छोटा-मोटा काम कर किसी तरह परिवार चला रहे हैं। इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की निगाहें नवंबर और दिसंबर माह पर टिकी हैं, अगर इस दौरान इन लोगों को नई बुकिंग न मिली तो इस इंडस्ट्री को बचाना मुश्किल हो जाएगा

पहले हमारी भी थी कुछ पहचान

वर्षो से हमारे यहां बैंड-बाजा का ही काम हो रहा है, जो लॉकडाउन में पूरी तरह बंद हो गया। कुछ दिन तक तो गाड़ी चलती रही लेकिन धीरे-धीरे पास में जमा पूंजी भी खत्म होने लगी। परिवार चलाना मुश्किल हुआ तो दूसरे काम के बारे में सोचा। समस्या यह थी कि किसी और काम में मेरा इंट्रेस्ट नहीं था। लेकिन कुछ तो करना ही था, इसलिए परचून की दुकान खोल ली। लॉकडाउन में इस पर बंदिशें भी नहीं थीं। इस समय बस किसी तरह गुजारा हो रहा है। एक समय ऐसा था जब समाज में हमारी भी पहचान थी, नाम था लेकिन आज सब बदल गया है। बस यही उम्मीद है कि कुछ बुकिंग मिल जाएं।

आकाश, नव ज्योति बैंड, ऐशबाग

लगा ली परचून की दुकान

कभी नहीं सोचा था कि एक बीमारी आएगी और मेहनत से जमाया हमारा धंधा बर्बाद कर देगी। लॉकडाउन लगा तो कर्मचारियों का पुराना बकाया चुका दिया। गर्मी के सीजन की बुकिंग का जो पैसा मिला था, वह इसी में खर्च हो गया। लॉकडाउन जैसे-जैसे बढ़ता गया, हमारी जमा पूंजी भी खत्म होती गई। परिवार को पालना भी मुश्किल हो गया। क्या करता, कुछ समझ नहीं आ रहा था। ऐसे में एक छोटी सी परचून की दुकान लगा ली। कुछ कमाई होने लगी। अब तो बस किसी तरह इसी दुकान से काम चल रहा है। अगर जल्द ही हमें दोबारा काम नहीं मिला तो आगे क्या होगा, भगवान ही मालिक है।

शुभम, ओनर, शुभम बैंड, आलमबाग

150 से ज्यादा बैंड कंपनी

आधा साल बीत गया और हम लोगों की एक पैसे की भी कमाई नहीं हुई है। किसी तरह खर्चो में कटौती करके काम चला रहे हैं। अब कुछ लोग बुकिंग के लिए आ रहे हैं। उम्मीद है, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।

हिमांशु, आजाद बैंड, नीलगिरि

सच कहूं तो लॉकडाउन से यह बिजनेस पूरी तरह डाउन हो गया है। नई गाइडलाइन से कुछ उम्मीदें जगी है लेकिन हालात पहले जैसे होने में काफी समय लगेगा। अगर बुकिंग नहीं मिली तो काफी मुसीबत आ जाएगी।

- दीपांशु, आजाद बैंड, चारबाग

लखनऊ आदर्श टेंट, कैटरर्स एंड डेकोरेशन एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय कुमार ने बताया कि राजधानी में 150 के करीब बैंड कंपनियां हैं। इन कंपनियों में शादियों के दौरान 60 से 70 हजार लोगों को काम मिलता है। इसमें लाइट, ट्रॉली वाले भी शामिल हैं। इस इंडस्ट्री को एक करोड़ से अधिक का नुकसान कोरोना काल में हो चुका है। इन सभी की निगाहें नवंबर और दिसंबर पर टिकी हैं। इस दौरान अगर इन्हें अच्छा काम नहीं मिला तो 50 फीसद इंडस्ट्री बंदी की कगार पर पहुंच जाएंगी।

काम करने वाले गांव में

मास्टर बैंड नरही के ओनर सचिन ने बताया कि अभी तो वही बुकिंग हैं जिनकी डेट लॉकडाउन में आगे बढ़ गई थी। शायद 15 अक्टूबर के बाद नई बुकिंग मिलने लगे। सहालग के साथ रामलीला से भी उम्मीदें हैं। हम काम करने वालों को डेली वेजेज पर रखते हैं, वहीं गाने वाले कॉन्ट्रैक्ट पर रहते हैं। ये सभी बुकिंग होने पर काम करने आते हैं। हमारे यहां जितने लोग थे उनमें से कई इन दिनों गांव में ही हैं।

अब शायद नई बुकिंग हो

नीलगिरी स्थित आजाद बैंड के ओनर हिमांशु कांत ने बताया कि एक बैंड टीम में 25 से 30 कर्मचारी होते हैं। इनमें से अधिकतर रोजाना के खर्चे पर काम करते हैं। अब फंक्शन को लेकर जारी नई गाइडलाइन में ज्यादा मेहमान बुलाने की मंजूरी दी गई है। ऐसे में शायद लोग बैंड-बाजा की बुकिंग कराएं। वहीं चारबाग स्थित आजाद बैंड के ओनर दीपांशु ने बताया कि अभी तो जो पहले की बुकिंग हैं, वहीं हैं। नई बुकिंग नहीं हुई है। उम्मीद तो पूरी है कि अब लोग बुकिंग के लिए आएंगे, क्योंकि बिना बैंड-बाजा के बारात का भला क्या मजा है।

अगर नवंबर-दिसंबर में भी हालात नहीं सुधरे तो इस इंडस्ट्री का फिर उबरना काफी मुश्किल हो जाएगा। आधे से ज्यादा लोग यह काम बंद कर देंगे। हम सभी को इस सहालग से काफी उम्मीदें हैं।

विजय कुमार, अध्यक्ष, लखनऊ आदर्श टेंट, कैटरर्स एंड डेकोरोशन एसोसिएशन

अभी कोई नई बुकिंग नहीं मिली है। लॉकडाउन में जिनके यहां शादियां टल गई थीं, उन्होंने अपनी बुकिंग आगे बढ़ा दी थी। हमारे पास सिर्फ यही काम अभी है। भगवान ने चाहा तो नई बुकिंग मिलने लगेंगी।

सचिन कुमार, मास्टर बैंड, नरही

Posted By: Inextlive