- अपनी इबादतों में कोरोनावायरस से निजात के लिए खूसूसी दुआ का एहतमाम करें

LUCKNOW: इदारा ए शरइया फिरंगी महल के अध्यक्ष मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली काजी ए शहर लखनऊ ने रमजान के तीसरे आशरे की फजीलत बयान करते हुए बताया कि रहमतों का महीना है रमजान। रमजान को तीन अशरे में बांटा गया है। पहला अशरा रहमत का है। इस अशरे में अल्लाह ताला अपने रहमत से अपने बंदों को नवाजता है। दूसरा अशरा मगफिरत का है यानी रब्बुल आलमीन से अपने गुनाहों की माफी मांगने का। इस अशरे में अल्लाह का कोई भी बंदा अगर दिल से अपने गुनाहों की माफी मांगता है तो रब्बुल आलमीन उसे माफ कर देता है। तीसरा अशरा निजात का है। इस अशरे में खुदा की इबादत करने वालों को जहन्नुम की आग से मुक्ति मिलती है।

पांच रात को जागकर करते हैं खुदावंद करीम की इबादत

काजी ए शहर ने अपने बयान में कहा कि वैसे तो रमजान का पूरा महीना ही रहमतों का महीना है, लेकिन सबसे अहम है तीसरा अशरा क्योंकि इसी अशरे की ताक रातों में यानी 21, 23, 25, 27, शब ए कद्र हो सकती है और शब ए कद्र की इबादत का सवाब 1000 साल की इबादतों के बराबर होता है। 27 रमजान की रात को कुरआन शरीफ नाजिंल हुआ इसलिए इन रातों की अहमियत काफी बढ़ जाती है इसलिए रोजे़दार इन पांचों रात को जागकर ख़ुदावंदे करीम की इबादत करते हैं।

इस्लाम में जुमे की नमाज की फजीलत बहुत ज्यादा है

जुमेतुल विदा रमजानुल मुबारक महीने का आखिरी जुमा (शुक्रवार) है और इस्लाम में जुमे की नमाज की फजीलत बहुत ज्यादा है। रहा सवाल जुमेतुल विदा उर्फ जुमे की आखिरी नमाज अलविदा का तो इसकी अलग से कोई अहमियत नहीं है। हां, रमज़ान का मुबारक महीना अच्छे से बीत गया। हम सब लोगों ने परहेज से रोजे रखे और अल्लाह ताला की रहमत हम पर बनी रही। हमें इस बात की खुशी होती है तो इस बात का गम भी होता है कि इतनी रहमतों का महीना इतनी जल्दी बीत गया।

रमजान ले जाता है इंसानियत की राह पर

काजी ए शहर ने कहा कि तीसरे अशरे में ही हम फितरा और जकात भी निकालते हैं, जिससे ईद की नमाज गरीब लोग भी खुशी से पढ़ सकें। वैसे ईद के बाद भी फितरा और जकात निकाला जा सकता है, लेकिन रमजान में ही यह निकालना बेहतर होता है क्योंकि रमजान में हर नेकी का सवाब सत्तर गुना बढ़कर मिलता है। रमजान हमें बताता है कि हर किसी के साथ मिलकर रहें, बुराइयों से बचें, सिर्फ भूखे न रहें, हर नफ्स का रोजा़ रखें मतलब एक इंसान को इंसानियत के राह पर ले जाने वाला होता है।

मुल्क की तरक्की के लिए खूसूसी हुआ करें

काजी शहर ने आवाम से अपील की कि जिस तरह हर जुम्मे को लोग अपने घर में ही ज़ोहर की नमाज़ पढ़ते हैं उसी तरह इस जुम्मे को भी लोग अपने घरों में ही नमाज़ अदा करेंगे। काजी शहर ने अपील में यह भी कहा है कि सभी हजरात से गुजारिश है कि लोग अपनी अपनी बातों में अल्लाह की बारगाह में इस वबा कोरोना वायरस से निजात और हमारे मुल्क हिंदुस्तान की तरक्की के साथ अमन के लिए खूसूसी दुआ करें।

सुन्नी सवाल जवाब

सवाल। चार भाईयों का माल मिला जुला है अगर बांटा जाये तो किसी का हिस्सा निसाब के बराबर नहीं होता है तो क्या सद्का वाजिब है।

जवाब। ऐसी हालत में किसी पर भी सद्का वाजिब नहीं।

सवाल। अगर हाफिज साहब ने तरावीह की नमाज में सज्दा तिलावत को नमाज के सज्दे के साथ अदा किया यानी तीन सज्दे किया तो क्या नमाज सही होगी।

जवाब। नमाज में जिस वक्त सज्दे वाली आयत पढ़ें, इसी वक्त सज्दा कर लिया जाए और अगर देर किया और नमाज के सज्दों के साथ किया तो सज्दा सहू लाजिम है। सज्दा सहू के बाद नमाज हो जायेगी।

सवाल। क्या इमाम के दुआ धीरे मांगना चाहिए या बुलंद आवाज से और दूसरी चीज यह है कि क्या दुआ नमाज का हिस्सा है।

जवाब दुआ धीरे मांगना अफजल है। बुलंद आवाज से भी मांग लिया तो कोई नुकसान नहीं, लेकिन इस शर्त के साथ कि दूसरे नमाजी को दिक्कत न हो। नमाज सलाम पर खत्म हो जाती है। दुआ नमाज का हिस्सा नहीं।

सवाल। क्या रोजे की हालत में वुजू करने के बाद जो तरी मुंह में रह जाती है उससे रोजा टूट जाता है।

जवाब। इससे रोजा नहीं टूटता है।

सवाल। एक शख्स को मैंने कर्ज दिया अब वह कर्ज से इंकार कर रहा है। मेरे पास न कोई लिखित रूप में हैं और न ही गवाह तो क्या इस कर्ज पर भी जकात लाजिम है।

जवाब। वुसूल होने से पहले इसकी जकात लाजिम नहीं और वुसूल होने के बाद भी गत सालों की जकात नहीं है।

शिया सवाल जवाब

सवाल। कितनी भेड़ और बकरी पर जकात अनिवार्य है।

जवाब। जब भेड़ और बकरी सब मिलाकर चालीस हो जाएं तो जकात के तौर पर एक भेड़ या बकरी देना अनिवार्य है।

सवाल। अगर रोजेदार जानबूझ कर या भूले से एक मासूम की बात को दूसरे मासूम की तरफ मंसूब करके बयान कर दें तो रोजे का क्या हुक्म है।

जवाब। अगर जानबूझ कर ऐसा करता है तो एहतियाते वाजिब की वजह से रोजा टूट जाएगा और अगर भूले से ऐसा करता है तो रोजा सही होगा।

सवाल। अगर शक हो कि सुबह की नमाज का समय शुरू हुआ है या नहीं तो क्या इसकी हालत में खाया पिया जा सकता है।

जवाब। खाना पीना सही है, लेकिन अगर बाद में पता चले कि समय शुरू हो चुका था तो उस रोजे की बाद में कज़ा करेगा।

सवाल। क्या दीनी संस्थाओं को कफ्फारा देना जो गरीबों के लिए काम करते हैं सही है।

जवाब। इस सूरत में सही होगा कि जब इस बात की संतुष्टि हो कि वह दीनी हुक्म का ख्याल करके कफ्फारा ज़रूरतमंद तक पहुंचा देगें।

सवाल। जिस तरह एतेकाफ में खुश्बू लगाना नाजाएज है क्या इसी तरह से रोजे की हालत में भी खुश्बू लगाना नाजाएज है।

जवाब। रोज़े की हालत में हर तरह की खुश्बू लगाई जा सकती है रोजा नहीं टूटेगा बल्कि रोजा सही होगा।

फैमिली कोट

इस बार रमजान के दौरान कोरोना नामक वबा फैली हुई है। ऐसे में यह हम सभी का फर्ज है कि घर पर रहें और सुरक्षित रहें। ऊपर वाले से दुआ करें कि यह वबा जल्द से जल्द खत्म हो।

। जैस्मीन खान

सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नंबरों 9415023970 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 और Email: ramzanhelpline.2005@gmail.com WWW.farangimahal पर सवाल पूछ सकते हैं।

शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।

Posted By: Inextlive