- पिछले दो दशकों में राजधानी का नशे के कारोबार का टर्नओवर 25 करोड़ पार

- हरियाणा, पंजाब, बाराबंकी, उड़ीसा व नेपाल से सप्लाई

- गांजा, हेरोइन, अफीम व चरस की सबसे ज्यादा डिमांड

LUCKNOW: 'मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया, बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया' साठ के दशक में आई फिल्म 'हम दोनो' का यह गाना वर्तमान समय में राजधानी के उन युवाओं पर बिलकुल फिट बैठ रहा है, जो जीवन की मामूली चुनौतियों से हार मानकर नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। सुशांत सिंह राजपूत मामले में ड्रग एंगल की दस्तक ने नशे के इस काले कारोबार की ओर सबका ध्यान खींचा है। अगर राजधानी की बात करें तो पता चलता है कि यहां नशा व नशे का कारोबार सिर चढ़कर बोल रहा है। पिछले दो दशकों में नशे के इस गोरखधंधे का मासिक टर्नओवर 25 करोड़ रुपये का आंकड़ा क्रॉस कर चुका है। अवैध शराब को हटा भी दें तो राजधानी के युवा ड्रग्स के मकड़जाल में फंसते चले जा रहे हैं। आलम यह है कि स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स से लेकर हाई सोसायटी के युवा न सिर्फ इसकी गिरफ्त में फंस रहे हैं बल्कि, ड्रग्स का इस्तेमाल एक स्टेटस सिंबल भी बनता जा रहा है। राजधानी में हुक्का बार से शुरू होने वाला धुएं का यह संसार ड्रग्स तक जा पहुंचा है। समाज के युवा वर्ग के गर्त में जाने की पुष्टि यूपी एसटीएफ व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की संयुक्त कार्रवाई में पकड़ी जाने वाली नशे की खेप से खुद-ब-खुद हो रही है। राजधानी में नशे के काले साम्राज्य पर पेश है दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की स्पेशल रिपोर्ट-

हेरोइन व गांजा टॉप पर

यूपी एसटीएफ के सूत्रों की मानें तो तमाम बंदिशों और सख्ती के बावजूद राजधानी में नशे का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। वजह भी साफ है, ताबड़तोड़ कार्रवाइयों के बावजूद इसके बढ़ने की अहम वजह इसके शौकीनों की तादाद है। यही वजह है कि नशे के सौदागरों में पुलिस न एनसीबी का खौफ खत्म होता जा रहा है। अगर राजधानी में नशे के चलन की बात करें तो यहां युवाओं की पहली पसंद हेरोइन है। साथ ही इसका सस्ता विकल्प गांजा भी नशे के शौकीनों को अपनी ओर खींच रहा है। इसके अलावा अफीम व चरस के शौकीनों की कमी नहीं है। बॉलीवुड में जिस तरह ड्रग्स को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे हैं, वह भी इन युवाओं को नशा करने के लिये प्रेरित करते हैं। जानकार बताते हैं कि युवा जिन्हें अपना आइडियल मानते हैं, अगर उनका नाम किसी तरह का नशा करने में आता है तो उन्हें इससे प्रेरणा मिलती है और वे भी इसे कॉपी करने लगते हैं।

बड़े-बड़ों को लुभाता है मुनाफा

एसटीएफ और एनसीबी की संयुक्त कार्रवाई में बीते दिनों एक ड्रग रैकेट का खुलासा किया था। यह रैकेट आलमबाग स्थित मकान से चल रहा था। रैकेट के मास्टरमाइंड को दबोचा गया तो एसटीएफ व एनसीबी कर्मियों के होश उड़ गए। दरअसल, यह मास्टरमाइंड एक रिटायर्ड पीसीएस का बेटा था। वह एक प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई भी कर रहा था। उसके कब्जे से टीम ने 1200 से ज्यादा नशे की गोलियां व हेरोइन भी बरामद की थी। पूछताछ में उसने बताया था कि मोटे मुनाफे के चक् कर में वह इस धंधे से जुड़ गया। उसने पूछताछ में कुबूल किया था कि उसके ग्राहक तमाम हायर व प्रोफेशन स्टडीज के स्टूडेंट हैं और वह उन्हें डिमांड पर नशे की खेप सप्लाई करता था। इसके अलावा नशे के कारोबार से जुड़े कई हाईप्रोफाइल लोगों को एसटीएफ व एनसीबी की टीम दबोच चुकी हैं।

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खाकी पर भी लग चुका है दाग

नशे के कारोबार में कई गुना मुनाफा खाकी को भी अपनी ओर आकर्षित कर चुका है। दो साल पहले कैंट इलाके में युवाओं के नशे की गिरफ्त में फंसने को लेकर प्रशासन ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से शिकायत की। एनसीबी ने एसटीएफ के साथ मिलकर शिकंजा कसना शुरू किया तो हैरान कर देने वाली हकीकत सामने आयी। पता चला कि नशे की खेप युवाओं को मुहैया कराने वाला कोई और नहीं बल्कि, पुलिस लाइन में लंबे समय से तैनात हेड कॉन्सटेबल पवन है। हेड कॉन्सटेबल पवन को टीम ने नशे की खेप ले जाते रंगे हाथ दबोच लिया और उसके कब्जे से 244 पुडि़या स्मैक बरामद की। उसके कब्जे से डेढ़ लाख रुपये नकद और क्रेटा गाड़ी भी बरामद हुई। टीम ने उसके मददगार राकेश यादव को भी दबोचा। उसकी अरेस्टिंग के बाद तत्कालीन एसएसपी ने हेडकॉन्सटेबल पवन को सस्पेंड कर दिया था।

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किशोरों के बीच व्हाइटनर व सीरप पॉपुलर

पिछले एक दशक में युवाओं के साथ-साथ किशोरों की जिंदगी में भी नशे के लत ने दस्तक दे दी है। चूंकि, किशोरों के पास आर्थिक तंगी होती है इसलिए वे महंगा नशा नहीं कर पाते। लिहाजा, उन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया है। अब किशोर कफ सीरप पीकर या व्हाइटनर सूंघकर नशा करते हैं। खास बात यह है कि यह दोनों ही नशे बेहद आसानी से मुहैया हो जाते हैं और इन्हें खरीदने के लिये कोई मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती।

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इन मादक पदार्थो की सबसे ज्यादा डिमांड

- हेरोइन

-गांजा

-चरस

-अफीम

-कफ सीरप

-व्हाइटनर

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यहां से होती है नशीले पदार्थो की सप्लाई

राजधानी में नशीले पदार्थो की सप्लाई देश के विभिन्न हिस्सों से होती है। जहां हेरोइन पंजाब व हरियाणा से आती है तो गांजा उड़ीसा व असोम से सप्लाई होता है। अफीम की सप्लाई बाराबंकी से की जाती है। चरस की खेप नेपाल व पूर्वोत्तर के राज्यों से राजधानी में पहुंचती है।

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राजधनी में नशीले पदार्थो की बरामदगी

वर्ष 2020

गांजा- 2666.6 किलोग्राम

हेरोइन-2.500 किलोग्राम

चरस- 31.37 किलोग्राम

अफीम- 6.38 किलोग्राम

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वर्ष 2019

गांजा- 8359.44 किलोग्राम

चरस- 16.65 किलोग्राम

हेरोईन- 6.650 किलोग्राम

अफीस- 24.215 किलोग्राम

Posted By: Inextlive