- सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर रहे हैं रूप सिंह

- सीबीआई ने दोनों आरोपितों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर शुरू की पूछताछ

- सपा शासनकाल में हुए घोटाले में जल्द अन्य अफसरों पर भी कसेगा शिकंजा

रुष्टयहृह्रङ्ख: तत्कालीन सपा सरकार में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई ने जांच को आगे बढ़ाते हुए पहली गिरफ्तारी की है। सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने मामले में ¨सचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर रूप सिंह यादव व वरिष्ठ सहायक राजकुमार को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। दोनों को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था। शुक्रवार को उन्हें लखनऊ स्थित सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। सीबीआई ने कोर्ट की अनुमति पर दोनों आरोपितों को चार दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर उनसे नए सिरे से पूछताछ शुरू कर दी है। रिवरफ्रंट घोटाले में जल्द कुछ अन्य आरोपित अधिकारियों पर सीबीआई का शिकंजा कसेगा।

2017 में सीबीआई ने शुरू की थी जांच

सीबीआई ने 30 नवंबर, 2017 को केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। बीते दिनों आरोपित रूप सिंह यादव से लंबी पूछताछ भी की गई थी। रूप सिंह यादव सेवानिवृत्त हो चुके हैं। रिवरफ्रंट घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है। सीबीआई के केस को आधार बनाकर ईडी ने इस प्रकरण में फरवरी 2018 को अपना केस दर्ज किया था। राज्य सरकार की सिफारिश पर सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने ¨सचाई विभाग के आठ अभियंताओं सहित अन्य अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया था। इससे पूर्व लखनऊ के गोमतीनगर थाने में 19 जून 2017 को ¨सचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डॉ। अंबुज द्विवेदी की ओर से तत्कालीन मुख्य अभियंता गोलेश चंद्र, एसएन शर्मा, काजिम अली और अधीक्षण अभियंता शिवमंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव व अधिशासी अभियंता सुरेश यादव के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सीबीआई ने इसी एफआइआर को आधार बनाकर अपना केस दर्ज किया था। सीबीआई अब अन्य नामजद आरोपितों पर भी अपना शिकंजा कसेगी। मार्च 2017 में भाजपा सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की सीबीआई जांच कराने का निर्णय लिया था। रिवरफ्रंट परियोजना करीब 1500 करोड़ रुपये की थी, जिसके निर्माण में ठेकेदारों से सांठगाठ कर करोड़ों की अनयिमितता का आरोप है।

पूर्व जस्टिस की अध्यक्षता में गठित की थी समिति

सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद गोमती रिवरफ्रंट का दौरा किया था, जिसके बाद अप्रैल 2017 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना व गोमती नदी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट में हुई वित्तीय अनियमितताओं की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट 16 मई 2017 को राज्य सरकार को सौंपी थी, जिसमें दोषी पाए गये अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की संस्तुति की गई थी। सूत्रों का कहना है कि समिति ने न्यायिक जांच के घेरे में आए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और प्रमुख सचिव ¨सचाई दीपक ¨सघल के विरुद्ध भी विभागीय जांच की सिफारिश की थी।

नेताओं की बढ़ेगी मुश्किलें

रिवरफ्रंट घोटाले की सीबीआई जांच की आंच कई राजनेताओं और बड़े अफसरों तक भी पहुंच सकती है। सीबीआई रिवरफ्रंट बनाने की योजना से लेकर निर्माण के दौरान खर्च की गई रकम की पाई-पाई की जांच करेगी। जांच में खर्चों को मंजूरी देने वाले अफसरों और नेताओं की मुश्किलें भी बढ़ेंगी। रिवरफ्रंट के निर्माण का काम तत्कालीन ¨सचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने शुरू कराया था। बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद इसकी मॉनीट¨रग का जिम्मा संभाला था।

बढ़ती चली गई योजना की लागत

मामले की शुरुआती जांच में सामने आया था कि दागी कंपनियों को रिवरफ्रंट निर्माण का काम सौंप दिया गया था। साथ ही विदेशों से तमाम बेशकीमती सामान ऊंचे दामों पर खरीदा गया था। चैनलाइजेशन के काम में भी वित्तीय अनियमितताएं बरती गई थी, जिसके चलते योजना की लागत बढ़ती चली गई थी।

ईडी ने अटैच की थी संपत्ति

ईडी ने अपनी जांच के बाद मामले में जुलाई 2019 में आरोपित रुप सिंह यादव, अनिल यादव व एसएन शर्मा की करीब एक करोड़ रुपये की संपत्ति भी अटैच की थी।

Posted By: Inextlive