सूत्रों का कहना है कि एग्जाम कराने के लिए पॉलीटेक्निक के सभी कोर्स संचालित होने वाले कॉलेजों को ही सेंटर बनाया जा सकता है। केवल फार्मेसी कोर्स चलाने वाले कॉलेजों को सेंटर नहीं बनाया जा सकता क्योंकि फॉर्मेसी कोर्स में कॉलेजों को एक सेक्शन की मान्यता दी जाती है।


लखनऊ (ब्यूरो)। 27 जून से शुरू होने जा रहे पॉलीटेक्निक एग्जाम में सेंटर निर्धारण प्रक्रिया में अधिकारियों ने जमकर मनमानी की है। सेंटर बनाने के लिए जो मानक तय हैं, उनको दरकिनार करते हुए रसूखदारों के दबाव में कुछ ऐसे कॉलेजों को सेंटर बना दिया गया, जो सेंटर बनने के मानकों को पूरा ही नहीं कर रहे। इसके बाद भी परीक्षा समिति ने आंख बंद कर ऐसे कॉलेजों को सेंटर की लिस्ट में शामिल कर लिया, जहां पर एग्जाम करा पाना संभव ही नहीं है। अब विभाग के कुछ लोगों ने आपत्ति उठाना शुरू कर दिया है। इसके बाद भी पॉलीटेक्निक प्रशासन ने इन सेंटर्स पर एग्जाम कराने की तैयारी पूरी कर ली है। नकल कराने के लिए पैसों की मांग
पॉलीटेक्निक के सूत्रों का कहना है कि मथुरा में 1087 और 1220 कॉलेज कोड को कुछ रसूखदारों के दबाव में अधिकारियों ने वहां सेंटर बना दिया। यहां सेंटर बनाने के मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है। इन सेंटर्स पर औसतन 150 छात्रों के बैठने की व्यवस्था हैं, पर वहां करीब छह से सात कॉलेजों के एग्जाम कराने के लिए सेंटर बना दिया है। सूत्रों का कहना है कि सेंटर बनने के बाद वहां पर एग्जाम देने आने वाले स्टूडेंट्स से नकल कराने के लिए पैसों तक की मांग की जा रही है। इसकी शिकायत मिलने के बाद भी पॉलीटेक्निक के अधिकारी रसूखदारों के दबाव में चुप्पी साधे बैठे हैं।मानक पूरे नहीं, फिर भी की अनदेखीसूत्रों का कहना है कि एग्जाम कराने के लिए पॉलीटेक्निक के सभी कोर्स संचालित होने वाले कॉलेजों को ही सेंटर बनाया जा सकता है। केवल फार्मेसी कोर्स चलाने वाले कॉलेजों को सेंटर नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि फॉर्मेसी कोर्स में कॉलेजों को एक सेक्शन की मान्यता दी जाती है। इस हिसाब से दो वर्ष में केवल 130 बच्चे ही वहां पढ़ाई कर सकते हैं। ऐसे में, जो सेंटर बनाए गए वहां पर 700 से 800 बच्चों का एग्जाम कैसे कराया जाएगा। परीक्षा समिति के अध्यक्ष, 15 सदस्य और जेडी व सचिव पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में, सवाल उठता है कि परीक्षा सुचिता और नकलविहीन परीक्षा का कौन होगा जिम्मेदार।

Posted By: Inextlive