- 3.53 लाख अपराध कुल यूपी में हुए

- 15579 हजार महिला अपराध के दोषियों को सजा

- ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर डाटा लोडिंग में भी हासिल की फ‌र्स्ट रैंक

- दूसरे राज्य बेहद पीछे, अगले साल तक प्रॉसीक्यूशन विभाग होगा पूरी तरह डिजिटाइज

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रुष्टयहृह्रङ्ख : यूपी में आपराधिक घटनाओं को लेकर मची हायतौबा के बीच सरकार के लिये राहत भरी खबर है। एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि महिला अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों को सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश अव्वल है। देश के दूसरे राज्य यूपी के आसपास भी नहीं हैं। इसी तरह ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर डाटा अपलोड करने में भी यूपी बीते नौ माह से फ‌र्स्ट रैंक पर कब्जा जमाए हुए है।

सर्वाधिक आरोपियों को मिली सजा

एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय ने बताया कि एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया 2019 में देश के 29 राज्यों व सात केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज अपराधों का विश्लेषण किया गया है। वर्ष 2019 में देश में आईपीसी की धाराओं के तहत कुल 32.25 लाख से अधिक मुकदमे दर्ज किये गए। जिनमें यूपी में 3.53 लाख अपराध हुए। यह देश में दर्ज हुए कुल मुकदमों का 10.9 फीसद है। वहीं, अगर महिला संबंधी अपराधों की बात करें तो यूपी पुलिस ने 15 हजार 579 आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाबी हासिल की है, जो देश में सबसे ज्यादा है। यूपी का आरोपियों को सजा दिलाने का प्रतिशत सबसे ज्यादा यानी 55.2 प्रतिशत है। जबकि, दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां यूपी की संख्या का एक तिहाई यानी 5625 और मध्य प्रदेश में 4191 मामलों में आरोपियों को सजा दिलायी गयी।

किशोरियों के साथ अपराध में राजस्थान अव्वल

एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि किशोरियों के साथ रेप की सबसे ज्यादा घटनाएं राजस्थान में 1314 दर्ज की गयीं। दूसरे नंबर पर केरल में 1271 और तीसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश जहां किशोरियों के साथ 561 घटनाएं दर्ज की गयीं। वहीं, यूपी में ऐसे अपराधों की संख्या महज 272 ही रही। एडीजी आशुतोष पांडेय बताते हैं कि प्रदेश में महिला संबंधी कुल अपराधों की संख्या 59 हजार 853 रही और इसमें उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में 15वें स्थान पर है।

डाटा अपलोड में भी नंबर-1

ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर करीब 16 लाख डाटा इंट्री अपलोड करते हुए उत्तर प्रदेश अभियोजन विभाग संपूर्ण देश में लगातार नौ माह से फ‌र्स्ट रैंक पर है। एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय ने बताया कि अभियोजकों को और भी ज्यादा एक्टिव करने के लिये जरूरी सुविधाओं के साथ प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार आपराधिक न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये आईसीजेएस सिस्टम लागू किया है। इसमें आपराधिक न्याय व्यवस्था से जुड़े सभी स्टेक होल्डर्स को एक छत के नीचे जोड़ा गया है। इसमें सीसीटीएनएस, ई-प्रॉसीक्यूशन, ई-प्रिजन, ई-एफएसएल, ई-कोर्ट आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 2000 से ज्यादा अभियोजकों को ट्रेनिंग दिलायी गयी है।

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अगले साल तक पूरा विभाग डिजिटाइज

एडीजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि उत्कृष्ट कार्य करने वाले 20 अभियोजकों को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित भी किया गया है। एडीजी पांडेय ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर करीब 500 अभियोजकों को ई-प्रॉसीक्यूशन व अन्य विभागीय कार्यो व ई-लाइब्रेरी की सुविधा के लिये लैपटॉप मुहैया कराया गया है। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष तक पूरे विभाग को डिजिटाइज कर दिया जाएगा।

Posted By: Inextlive