- स्वास्थ्य क्षेत्र के अधिकारी घर व ऑफिस दोनों संभाल रहे

- दूसरों को विषम परिस्थिति में ना हारने का दे रहे संदेश

LUCKNOW: राजधानी में एक बार फिर कोरोना बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, जहां एक बार फिर हेल्थकेयर वर्कर दीवार की तरह खड़े होकर लोगों की हर संभव मदद कर रहे हैं। इतना ही नहीं दूसरों की मदद का ऐसा जोश और जज्बा देखने को मिल रहा है कि कोई खुद संक्रमित है तो किसी का पूरा परिवार ही संक्रमित है। इसके बावजूद वह अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में सामजंस्य बैठा कर आम जनता की मदद कर रहे हैं, जहां सबसे बड़ा माध्यम उनके लिए फोन है। वह एक ओर परिवार का ध्यान रख रहे हैं तो दूसरी ओर लोगों की मदद भी कर रहे हैं। साथ ही सभी को प्रेरणा देने का काम कर रहे हैं कि कोरोना से डरने की जगह उससे सतर्क रहने की जरूरत है। पेश है अनुज टंडन की खास रिपोर्ट

पूरे विश्वास के साथ मुकाबला करें

मेरी वाइफ कोरोना पॉजिटिव हैं। ऐसे में मुझे घर और ऑफिस दोनों ही संभालना होता है। किसी तरह दोनों कामों को मैनेज कर रहा हूं। मेरे पास वैक्सीनेशन और सैंपलिंग समेत कई चीजों को भार है। ऐसे में पूरा दिन कब निकल जाता है, पता ही नहीं चलता है। सुबह बर्तन मांजने से लेकर घर का पूरा काम करने के बाद नाश्ता वाइफ को देकर सुबह करीब 9:30 बजे तक घर से निकल जाता हैं, जिसके बाद पूरा दिन वैक्सीनेशन, सैंपलिंग, मीटिंग व ट्रेनिंग आदि में निकल जाता है। अगर इस बीच मौका मिलता है तो घर जाकर एकबार फिर वाइफ का हालचाल ले लेता हूं। उसको जो जरूरत होती है वो सामान दे देता हूं। इसके बाद वापस काम पर लौट जाता हूं। ऑफिस का पूरा काम करने के बाद घर पहुंचते हुए रात का 11 से 12 बजे जाता है। घर पहुंचकर पूरा कोविड गाइडलाइन फॉलो करता हूं। खुद आइसोलेशन में रहता हूं। वाईफ को दवा और खाना देता हूं। इस दौरान पल्स ऑक्सीमिटर और ऑक्सीजन लेवल के बारे में पूछता हूं। लोगों से यही कहना चाहूंगा कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क और दो गज की दूरी के साथ वैक्सीन जरूर लगवाएं। इसके साथ अगर कोई संक्रमित हो जाये तो घबराये नहीं। बल्कि पूरे विश्वास के साथ उसका मुकाबला करें और कोरोना को मात दें।

डॉ। एमके सिंह, इम्युनाइजेशन एंड सैंपलिंग नोडल इंचार्ज

कोरोना हो जाये तो डरे नहीं

मेरा पूरा परिवार इस समय कोरोना पॉजिटिव चल रहा है। केवल मैं ही निगेटिव हूं, जिसकी वजह से मैं खुद बाहर एक अलग रूम लेकर रह रहा हूं ताकि खुद को बचा सकूं। इसके अलावा जब भी समय मिलता है, फोन व वीडियो के माध्यम से पूरे घर का हालचाल ले लेता हूं। सभी की जरूरी दवाओं, ऑक्सीजन लेवल समेत हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखता हूं। कोई जरूरत होती है तो सामान घर तक पहुंचाता हूं। इसके अलावा पूरा दिन ऑफिस में मीटिंग, अस्पतालों का निरीक्षण, लोगों को शिफ्ट कराना समेत अन्य सभी जरूरी काम करता हूं। इस समय खुद के लिए भी समय नहीं मिल पा रहा है। पूरा दिन कैसे बीत जा रहा है पता ही नहीं चल रहा है। सभी से यहीं कहूंगा कि कोरोना से बेहद अलर्ट रहें। मास्क पहने, हाथ साफ रखें और बिना वजह घर से बाहर न निकलें, लेकिन सबसे जरूरी कि अगर किसी को कोरोना हो जाये तो डरे नहीं। अपने डॉक्टर के संपर्क में रहे और कोई भी समस्या होने पर कमांड सेंटर पर फोन करें। आपकी तुरंत मदद की जाएगी।

। डॉ। मिलिंदवर्धन, एसीएमओ

खुद संक्रमित फिर भी मरीजों का कर रहे इलाज

बलरामपुर को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाया गया है। इसी दौरान मरीजों की भर्ती और उनके इलाज का जिम्मा भी है। ऐसे में तबियत खराब हुई तो जांच में कोरोना संक्रमण निकला है। घर पर 80 वर्षीय बुजुर्ग मां हैं ऐसे में अस्पताल में ही आइसोलेशन में ही यहां से फोन के माध्यम से जितना काम कर पाता हूं करने की कोशिश करता हूं। इस दौरान फोन पर सभी के लिये उपलब्ध हूं, जहां मरीजों की जानकारी करना, उनका इलाज देखना और अधिकारियों से ऑनलाइन के माध्यम से कनेक्टेड रहता हूं। मैं ज्यादा बोल तो नहीं पा रहा हूं। ऐसे में लिखकर या टाइप करके अपनी बात बता देता हूं। इसके अलावा घर की भी जानकारी फोन के माध्यम से करता हूं ताकि कोई दिक्कत न हो। कोरोना इसबार बेहद ही संक्रामक है इसलिए लोगों को विशेष ध्यान रखना चाहिए। बिना वजह बाहर जाने से बचें और कोई भी लक्षण आये जो कोविड जांच जरूर करवाएं। संक्रमण से डरने की नहीं डटकर लड़ने की जरूरत है।

। डॉ। जीपी सिंह, कार्यवाहक निदेशक, बलरामपुर अस्पताल

कोरोना से डरना नहीं उसे हराना है

मेरी कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट मेरे जन्मदिन वाले दिन आई थी, जिसके बाद मैंने खुद को घर पर ही आइसोलेट कर लिया था। गनीमत रही कि घर में किसी को नहीं हुआ। ऑफिस तो नहीं जा सकता हूं् इसलिए जितना संभव हो रहा पा रहा है, फोन के माध्यम से लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहा हूं। बहुत लोगों को तो पता भी नहीं है कि मैं खुद कोविड पॉजिटिव हूं। ऐसे में हर संभव मदद का प्रयास करता हूं। सुबह से ही मेरे पास टेस्टिंग कराने और अस्पातल में भर्ती कराने के लिए फोन के साथ मैसेज आने शुरू हो जाते हैं, जहां सैंपलिंग तो हर किसी के करवा देता हूं, लेकिन अभी भर्ती कराने में ज्यादा मदद नहीं करवा पा रहा हूं। इसके अलावा लोग दवा के लिए भी काफी फोन करते हैं। ऐसे में जो घर से फोन पर संभव हो पाता है उतनी मदद कर देता हूं। जल्द ही ठीक हो जाऊंगा तो और ज्यादा लोगों की मदद कर पाऊंगा। कोरोना हो जाये तो खुद को पॉजिटिव सोच के साथ रखें। बिना वजह कुछ भी सोचने से बचें। अगर कोई भी समस्या हो तो तत्काल अपने डॉक्टर या सरकारी हेल्पलाइन पर संपर्क कर मदद लें। कोरोना से डरना नहीं उसे हराना है।

योगेश रघुवंशी, सीएमओ प्रवक्ता

पेशेंट की कर रहे काउंसिलिंग

सरकार ने हमारे अस्पताल को दोबारा कोविड अस्पताल बनाया है, लेकिन। इस बार मरीजों के इलाज के दौरान मैं खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। इसके बावजूद दूसरों से फोन के माध्यम से जुडा़ हुआ हूं। सुबह 7 से लेकर रात के 2 बजे तक मेरे पास सैकड़ों लोगों के फोन आते रहते हैं, जिसमें सबसे ज्यादातर ऑक्सीजन, बेड, दवा आदि के लिए फोन आता है। सभी की हर संभव मदद करने की कोशिश करता हूं। इसके अलावा कई संक्रमित भी फोन करते हैं तो उनकी काउंसलिंग करने का भी काम करता हूं। उनको समझाता हूं कि संक्रमण हो गया तो कोई बात नहीं। खुद का ख्याल रखें और पोषण यक्त खाना लें। कोरोना से डरने की नहीं उससे दृढ़तापूर्वक लड़ना है। सरकार द्वारा बताई गई सभी गाइडलाइन का पालन सख्ती के साथ करना चाहिए।

डॉ। रोहित सिंह, राम सागर मिश्र अस्पताल

Posted By: Inextlive