सरकारी मदद से ही लौट सकती है होटल इंडस्ट्री की चमक
- राजधानी की होटल इंडस्ट्री को डेली हो रहा करीब 5 करोड़ का नुकसान
LUCKNOW : इनकम टैक्स वापस किया जाए और लॉकडाउन के दौरान बिजली के बिल में छूट दी जाए। नगर निगम को दिया जाने वाला शुल्क भी छोड़ा जाए तभी होटल इंडस्ट्री का कुछ भला हो सकता है। नहीं तो होटल इंडस्ट्री को उबरने में कई साल लग जाएंगे। लॉकडाउन खुल भी जाए और नियम-शतरें के साथ होटल इंडस्ट्री की शुरुआत हो जाए तो भी इस साल घाटा कवर नहीं हो होगा। विदेशी पर्यटक आएंगे नहीं और सहालग में भी भीड़ नहीं होगी। अब इस इंडस्ट्री को डूबने से सिर्फ सरकार ही बचा सकती है। उसे होटल कारोबारियों के हितों में फैसले लेने होंगे, तभी इस इंडस्ट्री की चमक फिर लौटेगी डेली 5 करोड़ का नुकसानलॉकडाउन के कारण राजधानी की होटल इंडस्ट्री डेली करीब 5 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब तक करीब 250 करोड़ से अधिक का नुकसान इस इंडस्ट्री को हो चुका है।
नंबर गेम 300 फाइव स्टार और बड़े होटल 3500 से अधिक छोटे होटल राजधानी में हजारों लोग इंडस्ट्री से जुडे़होटल इंडस्ट्री से बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं। पहले तो मैनेजर और वहां के कर्मचारी। एक कमरे में ढाई लोगों को औसत स्टाफ । इसके अलावा सफाई कर्मचारी आदि। राजधानी में इस इंडस्ट्री से 1.5 लाख से अधिक लोग जुड़े हैं। इसमें बड़ी संख्या में उत्तराखंड के लोग हैं।
कहां से आते हैं लोग राजधानी के होटलों में आने वालों में राजस्थान, मुंबई, बंगलुरु, दिल्ली से आने वालों की संख्या अधिक होती है। वहीं अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया से भी काफी लोग यहां आते हैं। बाक्स तीन सबसे बड़े खर्चे होटल इंडस्ट्री में तीन खर्चे सबसे बड़े होते हैं। ये हैं बिजली का बिल, सैलरी और नगर निगम के टैक्स। एक-एक होटल का बिल नौ लाख से दस लाख तक आता है। इसमें आधा तो फिक्स चार्ज होता है। बाक्स सरकार से उम्मीदें - नगर निगम इस साल के अपने बिल माफ करे - बार की फीस में छूट दी जाए - लोन की किश्तों में ब्याज न लिया जाए - इनकम टैक्स और जीएसटी की दरें कम की जाएं - सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आयोजनों की छूट दी जाए कोटहोटल इंडस्ट्री को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई होटल खुलने के बाद भी इस साल नहीं होने वाली है। होटल इंडस्ट्री की तरक्की के लिए योजनाएं जरूर बनानी चाहिए, जिससे उन्हें राहत मिल सके। यही हाल रहा तो इस इंडस्ट्री से जुड़े बहुत से लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
विवेक सिंह, द ग्रैंड जेबीआर विराजखंड, गोमती नगर देश-विदेश के कोने-कोने से लोगों के यहां आने से लखनऊ में फाइव स्टार होटलों की चेन बढ़ रही थी। यहां का शानदार खाना और आलीशान ड्रेसेज लोगों को आकर्षित करते हैं। यहां मुंबई, कोलकाता के साथ ऑस्ट्रेलिया और यूके से काफी लोग आते हैं। अमितेश कुमार, होटल कारोबारी लॉकडाउन में कई होटल का स्टाफ नहीं निकल पाया, उनके खाने-पीने की जिम्मेदारी होटल वाले ही उठा रहे हैं। होटल इंडस्ट्री को बिजली के बिल में छूट के साथ ही अन्य कई रियायतों की जरूरत है। कोरोना के कारण हुए नुकसान की भरपाई इस साल नहीं पूरी होगी। पवन मनोचा, महामंत्री लखनऊ होटल एसोसिएशन शहर के प्राइवेट सेक्टर में होटल इंडस्ट्री ही सबसे बड़ी है। हजारों लोगों की रोजी-रोटी इसी से चलती है। इस इंडस्ट्री के बारे में सोच समझकर कदम नहीं उठाए गए तो बहुत बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे। होटल इंडस्ट्री को उबारने के लिए बड़े प्लान की जरूरत है। राकेश छाबड़ा, उपाध्यक्ष लखनऊ होटल एसोसिएशन