- सड़क सुरक्षा मंथ में ट्रैफिक के साथ कई विभाग मिलकर करेंगे काम

- एक्सीडेंट स्पॉट को खत्म करने का रहेगा एजेंडा

द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

रुष्टयहृह्रङ्ख : सड़क सुरक्षा माह 21 जनवरी से चल रहा है, जो 20 फरवरी तक चलेगा। इसके तहत सरकार शहर में होने वाले एक्सीडेंट और उनमें होने वाली मौतों के आंकड़ों को कम करने पर जोर दे रही है। इसके लिए ट्रैफिक और परिवहन विभाग ने कागजों पर खाका भी तैयार कर लिया। अब देखना यह है कि जमीनी हकीकत में इस प्रॉब्लम को डिपार्टमेंट को कहां तक खत्म करने में सफलता मिलती है जबकि शहर में ट्रैफिक को लेकर पांच मूलभूत समस्या वर्षो से वट वृक्ष की तरह खड़ी हैं, जिसे विभाग भी नजर अंदाज करता चला आ रहा है। पेश है मयंक श्रीवास्तव की रिपोर्ट।

समस्या नंबर एक- डग्गामार

राजस्व संग सिस्टम को भी लगा रहे चूना

परिवहन व ट्रैफिक विभाग की नाक के नीचे शहर में डग्गामारी का जबरदस्त खेल चल रहा है। डग्गामारी के चलते न केवल परिवहन को हर दिन लाखों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा बल्कि वहीं ट्रैफिक विभाग का सिस्टम भी इससे फेल हो रहा है। शहर के प्रमुख इलाके में खुलेआम डग्गामार बसें सवारियों को ढो रही हैं।

पब्लिक को यह है नुकसान

डग्गामार बसों और गाडि़यों में सवारी करने वाले लोग सरकारी बीमा से वंचित रहते हैं। जल्दी पहुंचने की होड़ में अक्सर डग्गामार गाडि़यां हादसे का शिकार होती हैं, जिसमें सवार होने वाले लोगों को सरकार की तरफ से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती है जबकि वह सरकारी बस में सफर करने पर उनका बीमा होता है और किसी भी हादसे में उन्हें सभी सरकारी सहायता भी मिलती है।

हर साल होता है करोड़ों का नुकसान

परिवहन विभाग को डग्गामारी के चलते हर साल लाखों नहीं बल्कि करोड़ों का नुकसान होता है। इसका सीधा असर राजस्व पर भी पड़ता है। बिना टैक्स व बिना किसी शुल्क के डग्गामार गाडि़यां रोड पर दौड़ रही हैं।

यहां से दौड़ रहीं डग्गामार बसें

- पॉलीटेक्निक चौराहा

- कृष्णा नगर पिकैडली होटल के पास

- इंजीनियरिंग कॉलेज सीतापुर रोड

- अमौसी एयरपोर्ट के पास

- अहिमामऊ सुल्तानपुर रोड

समस्या नंबर दो- अवैध स्टैंड

रोड पर बना दिया अवैध स्टैंड

शहर में कई अवैध टैंपो, ऑटो और ई रिक्शा स्टैंड चल रहे हैं। इससे न केवल ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ रही बल्कि सुरक्षा को लेकर भी यह स्टैंड खतरनाक साबित हो रहे हैं। रोड पर आड़े तिरछे ऑटो, टैंपो व ई रिक्शा लगाकर सवारी भरने की होड़ के चलते आधी से ज्यादा रोड पर कब्जा किए हुए हैं।

सुरक्षा को लेकर खतरा

ऐसे स्टैंड से सवारी गाड़ी पर बैठना लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यह स्टैंड रजिस्टर्ड नहीं होने के चलते वहां सवारी लेने वाली गाडि़यों का भी कोई डाटा या रिकार्ड नहीं होता है। दूसरी तरफ सवारियों को लेकर खींचा तानी भी विवाद की वजह बनती है। यहीं नहीं किराए को लेकर भी अक्सर सवारी और गाड़ी संचालकों के बीच विवाद होता है।

यहां चल रहे अवैध स्टैंड

- चारबाग बस स्टेशन के पास

- पॉलीटेक्निक चौराहे के पास

- मुंशी पुलिया के पास

- निशातगंज चौराहा

- बादशाह नगर मेट्रो स्टेशन

- तेलीबाग चौराहा

- मडि़यांव चौराहा

समस्या नंबर तीन- ट्रैफिक वाइलेंस

नियम सख्त, फिर टूट रहे कायदे

शहर के ट्रैफिक को स्मूथ करने के लिए ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने कई प्रयोग किए। यहीं नहीं ट्रैफिक वाइलेंस करने पर होने वाला जुर्माना भी बढ़ा दिया गया। इसके बाद भी हर दिन सैकड़ों लोग ट्रैफिक वाइलेंस कर रहे हैं। इसके चलते हर दिन सैकड़ों चालान भी किए जा रहे हैं। सिग्नल से ट्रैफिक मूव कराने के साथ-साथ एपीआर और कई स्मार्ट कैमरे भी लगाए गए हैं। इसके बाद भी ट्रैफिक वाइलेंस के मामले कम नहीं हो रहे।

रूल्स तोड़ने पर भर रहे दो गुना जुर्माना

वर्ष 2019 के आंकड़े बताते हैं कि 42536 रोड एक्सीडेंट में 22251 लोगों की मौत हुई थी जबकि 22685 लोग घायल हुए थे। वर्ष 2018 में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के चलते 78 करोड़ शमन शुल्क वसूला गया जो 2019 में बढ़कर दोगुना यानि 154 करोड़ रुपये हो गया। वहीं सबसे ज्यादा एक्सीडेंट ओवर स्पीड की वजह से हो रहे हैं। वहीं लखनऊ में 802 सड़क हादसे लखनऊ में हुए, जिसमें 358 लोगों की मौत हुई।

समस्या नंबर चार- ओवर लोडिंग

भूसे की तरह भर रहे सवारी

परिवहन विभाग के नियमानुसार ऑटो, टैंपो व ई रिक्शा में सवारी बैठाने का मानक के साथ नियम तय हैं। टैंपो में सात, ऑटो और ई रिक्शा में तीन व चार सवारी बैठाने का नियम है। हालांकि इस नियम को ताक पर रखकर सवारी बैठने के मामले में टैंपो, ऑटो व ई रिक्शा चंद पैसों के लालच में भूसे की तरह सवारी भर रहे हैं। टैंपो में सात की जगह दस सवारी भरते हैं। वहीं ऑटो पांच सवारी तक बैठाकर रोड पर दौड़ रहे हैं। केवल छोटी गाडि़यां ही नहीं बड़ी गाड़ी में भी मानक से ज्यादा सवारियां भरी जा रही हैं। इसकी न तो चेकिंग होती है और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है।

हादसे का बढ़ जाता है खतरा

ओवर लोडिंग के चलते अक्सर हादसे होने आम बात हैं। ओवर लोड गाड़ी और स्पीड के चलते अनियंत्रित होकर हादसे का शिकार होती हैं। ओवर लोड चेक करने के लिए परिवहन विभाग की टीम तो बनाई जाती है, लेकिन ऑटो, टैंपो व ई रिक्शा में ओवर लोडिंग को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जिम्मेदार विभाग की नजर में लखनऊ में ओवर लोडिंग होती ही नहीं। ओवर लोडिंग के चलते सबसे ज्यादा खतरा पब्लिक की जान व माल को होता है।

समस्या नंबर पांच- खटारा गाडि़यां

जान हथेली पर रखकर करते हैं सफर

सरकारी रोडवेज बस हो या फिर प्राइवेट गाडि़यां। शहर में कई खटरा गाडि़यां अभी भी सवारी लेकर रोड पर दौड़ रही हैं। फिटनेस के नाम पर न तो उनके पास पेपर हैं और ओवर ऐज होने होने के बाद भी सवारियां ढो रही हैं। कई बार ऐसी खटरा गाडि़यां हादसे की वजह बनती हैं और रोड एक्सीडेंट में मौत के आंकड़ों में इजाफा करती हैं। परिवहन विभाग में फिटनेस चेक करने के लिए टीम तो बनाई गई है, लेकिन शायद ही किसी अनफिट गाड़ी को सीज कर उसके खिलाफ कार्रवाई की गई हो।

हादसे की वजह बनती है अनफिट गाडि़यां

रोड एक्सीडेंट हो या फिर हादसे की कोई और वजह। अनफिट गाडि़यां हमेशा हादसों की वजह बनती हैं। इससे हर साल सैकड़ों लोगों को मौत होती है जबकि हजारों लोग दिव्यांग होते हैं। सड़क सुरक्षा सप्ताह में एक्सीडेंट पर कंट्रोल करने के लिए एजेंडा बनाया गया, लेकिन ऐसी अनफिट गाडि़यों को रोड के चलन से कितना बाहर किया जाता है यह एक चैलेंज के साथ-साथ जिम्मेदार विभाग के लिए बड़ा सवाल भी होगा।

कोट-

सड़क सुरक्षा माह का शुभारंभ हो गया है। इस माह ट्रैफिक पुलिस के साथ परिवहन व अन्य सभी विभाग मिलकर काम करेंगे। इस बार का मेन एजेंडा है शहर के ब्लैक स्पॉट को खत्म करने का। साथ ही ट्रैफिक को स्मूथ करने के अलावा पब्लिक को ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए अवेयर करना।

डॉ। ख्याति गर्ग, डीसीपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive