नेशनल आर्गन एंड टिश्सू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के अनुसार प्रदेश में हर वर्ष करीब 4 हजार मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट 8 हजार में लंग्स ट्रांसप्लांट और 15 हजार में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है लेकिन सिर्फ 500 लोगों में ही ट्रांसप्लांट हो पाता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। लोगों में जागरूकता की कमी के चलते आर्गन डोनेशन के मामले में भारत काफी पीछे है। इस समस्या को दूर करने के लिए एसजीपीजीआई में स्टेट आर्गन एंड टिश्सू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) बनाया गया है। हालांकि यह आर्गेनाइजेशन भी सेमिनारों और जागरूकता कार्यक्रमों के बाद भी एक भी ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को आर्गन डोनेशन के लिए राजी नहीं करा सका है। वहीं केजीएमयू में मंजूरी के बाद भी किडनी ट्रांसप्लांट शुरू नहीं हो सका है।बेहद कम ट्रांसप्लांट हो रहे
नेशनल आर्गन एंड टिश्सू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के अनुसार, प्रदेश में हर वर्ष करीब 4 हजार मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट, 8 हजार में लंग्स ट्रांसप्लांट और 15 हजार में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है लेकिन सिर्फ 500 लोगों में ही ट्रांसप्लांट हो पाता है। पीजीआई में बने सोटो में ही हार्ट, किडनी, लिवर समेत अन्य आर्गन की जरूरत वाले मरीजों को रजिस्टर्ड किया जाता है। जिसके बाद वेटिंग और आर्गन मैचिंग के बाद ट्रांसप्लांट का काम होता है। किडनी ट्रांसप्लांट में ही 600 से अधिक वेटिंग फिलहाल चल रही है।संसाधनों की नहीं है कमी


नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ। नारायण प्रसाद के अनुसार सर्जरी के लिए ज्यादा स्टॉफ की जरूरत नहीं होती है। वहीं, सोटो के नोडल इंचार्ज डॉ। राजेश हर्षवर्धन के अनुसार, आर्गन डोनेशन को लेकर काफी काम किया जा रहा है। जल्द गर्वनर से अनुमति मिलने के बाद प्रदेश के सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में इसके लिए काम शुरू होगा। अंगदान नीति बनाकर शासन को भेजी गई है। जहां तक लिवर ट्रांसप्लांट की बात है, तो यह बेहद जटिल सर्जरी है। इसके लिए स्क्रीनिंग के साथ मैच कराना होता है। अभी एक-डेढ़ माह पूर्व ही एक ट्रांसप्लांट हुआ है, जो दूसरे अस्पताल द्वारा प्राप्त किया गया था। हमारे पास किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट करने के लिए सभी जरूरी डॉक्टर्स और इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। यहां लिवर ट्रांसप्लांट को 2015 में दोबारा शुरू किया गया था। जिसके बाद फिर इसे 2019 में शुरू किया गया।किडनी ट्रांसप्लांट शुरू नहीं हो सका

केजीएमयू में लिवर ट्रांसप्लांट तीन-चार साल पहले शुरू हुआ है। गेस्ट्रो सर्जरी के एचओडी डॉ। अभिजीत चंद्रा के मुताबिक यहां 19 ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। 100 के करीब वेटिंग चल रही है। एक सर्जरी में 30 से 50 लोगों की टीम चाहिए। स्टॉफ की कमी दूर करने का काम हो रहा है। किडनी ट्रांसप्लांट की शुरुआत नहीं हो सकी है। इसी वर्ष मार्च में किडनी ट्रांसप्लांट की मंजूरी मिली है। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए यहां 200 से अधिक की वेटिंग है। हाल ही में एक ब्रेनडेड मरीज की किडनी दान में मिलने के बावजूद उसे पीजीआई भेजना पड़ा, क्योंकि डॉक्टर्स ने तर्क दिया था कि मरीज से संपर्क किया गया, लेकिन वो आया नहीं। वहीं वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने बताया कि पीजीआई से आए दो डॉक्टरों को लेकर ट्रांसप्लांट के लिए टीम बनाई गई है। किडनी ट्रांसप्लांट पर जल्द काम शुरू हो जाएगा।ये आर्गन हो सकते हैं डोनेटआर्गन डोनेशन के लिए 18 वर्ष से ऊपर के लोग अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं, जबकि 10 वर्ष से कम उम्र के डोनर के लिए पैरेंट्स की सहमति देना आवश्यक है। एक आर्गन डोनर करीब 8 लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर सकता है। आर्गन डोनेशन के तहत किडनी, हार्ट, लीवर, पैंक्रियाज, लंग्स और आंते दी जा सकती हैं, जबकि टिश्यू के तहत त्वचा, अस्थि मज्जा, कार्निया, मारटिलेज, मांसपेशिया और वेंस आदि दे सकते हैं।किडनी ट्रांसप्लांट को बढ़ावा देने की दिशा में काम किया जा रहा है। इसके लिए टीम गठित की जा चुकी है।-डॉ। बिपिन पुरी, वीसी, केजीएमयूआर्गन डोनेशन को लेकर संस्थागत बदलाव किए जा रहे हैं। जटिल प्रक्रिया के कारण इसमें समय लगता है।-डॉ। हर्षवर्धन, नोडल सोटो, पीजीआई

Posted By: Inextlive