इबादत कर गुनाहों से माफी पा सकते हैं
- हेल्पलाइन नर रोजेदारी पूछ रहे सवाल
LUCKNOW: माह-ए-रमजान का दूसरा अशरा शुरू हो चुका है, जो 20वें रोजे तक रहता है। इसे मगफिरत यानि गुनाहों की माफी का अशरा कहा जाता है, जहां सभी रोजेदार, अल्लाह की इबादत कर अपनी मगफिरत के लिए दुआ करते हैं। इसके लिए संयम होना बेहद जरूरी होता है। मुस्लिम धर्मगुरुओं का भी कहना है कि इस दूसरे अशरे में लोग इबादत करके अपने गुनाहों से माफी पा सकते हैं क्योंकि इस दौरान ऐसा करने से अल्लाह अपने बंदों को जल्दी माफ करता है। इस समय लॉकडाउन भी चल रहा है जो अल्लाह की ओर से उन्हे अधिक ओर बिना किसी रूकावट के इबादत करने का मौका दे रहा है। ऐसे में खुद को अल्लाह के हवाले करते हुये केवल इबादत करते हुये अपने गुनाहों की माफी मांगते रहो। सुन्नी सवाल.जवाबसवाल । एक खातून हैं, उनकी एक बेटी है उसकी शादी हो चुकी है। उसके शौहर बेरोजगार हैं, उनके बेटे जो कुछ कमाते हैं वह अपनी वालिदा को दे देते हैं तो क्या मां अपने बेटों की कमाई से अपनी बेटी को जकात दे सकती है।
जवाब । दामाद को जकात देना जायज है, लेकिन बेटी को नहीं दे सकते। पैसा चाहे जाती हो या बेटे ने कमाकर दिया हो। दोनो सूरतों में जकात इससे निकाली जायेगी।
सवाल । क्या बेवा औरत पर फित्र वाजिब है। जवाब । अगर बेवा निसाब की मालिक हो तो उसको फित्र देना जरूरी है। सवाल । किसी मकान या दुकान को किराये पर देने के लिए पगड़ी लेना शरअई ऐतिबार से कैसा है। जवाब । किसी दुकान या मकान को किराये पर देने के लिए पगड़ी लेना जायज नहीं है। सवाल । वुजू के बाद आजा (जिस्म के हिस्सों) से टपकने वाले पानी का क्या हुक्म है। जवाब । वुजू के बाद आजा (जिस्म के हिस्सों) से टपकने वाला पानी नजिस नहीं होता है। यह पानी अगर कपड़ों पर लग जाये तो कपड़े भी नजिस नहीं होते। सवाल । एक शख्स को गुर्दे में पत्थरी की शिकायत है और कभी कभी बहुत तकलीफ भी होती है। पेशाब के दौरान खून निकलने लगता है तो क्या इसकी वजह से रोजा टूट जायेगा। जवाब । इससे रोजा नहीं टूटेगा। शिया सवाल जवाब सवाल । काई व्यक्ति रोजा रख कर कोरोना की जांच करवा सकता है। जवाब । रोजादार रोजा की हालत मे कोरोना की जांच करवा सकता है। सवाल । क्या कफ्फारे के साठ रोजे लगातार रखे जाएगें।जवाब । अगर किसी व्यक्ति पर कफ्फारा वाजिब हो जाए तो इक्तीस (31) रोजा लगातार रखना जरूरी है। उसके बाद फासला कर सकता है।
सवाल । क्या इस्लाम में महिला को इजाजत दी गई है कि वह किसी मस्जिद में जाकर इमामत के फराएज को अंजाम दे। जवाब । महिला सिर्फ महिला की इमामत नमाज में कर सकती है। सवाल । क्या जकात निकालते समय नियत करना जरूरी है। जवाब । इस्लाम में हर इबादत के लिए नियत होती है। जब जकात निकाले तो दिल और जहन में यह होना चाहिये कि जकात दे रहे है काफी है। सवाल । कुरआन की वह आयात जिसको पढ़ने से सजदा वाजिब होता है अगर उनको लिखा जाए तो भी सजदा वाजिब होगा। जवाब । आयाते सजदा को लिखने से सजदा वाजिब नहीं होता है। फैमिली कोट इस समय हर कोई कोरोना वायरस की वजह से डरा हुआ है। ऐसे में खुदा पाक से रोज यहीं दुआ करते हैं कि वो अपनी पनाहों में हम सब को सुरक्षित रखें। जल्द से जल्द से यह संकट दूर हो ताकि दोबारा हर चेहरे की रौनक लौट सके। सरफराज खान सुन्नी हेल्पलाइनलोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नंबरों 9415023970 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 और Email: ramzanhelpline.2005@gmail.com WWW.farangimahal। पर सवाल पूछ सकते हैं।
शिया हेल्पलाइन महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है जबकि शिया हेल्पलाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।