मेरठ पुलिस लाइन में ब्रिटिश पीरियड की 3 इमारतों को किया जाएगा ध्वस्त

रखरखाव के अभाव में खंडहर हो चुकी हैं इमारतें, कभी पुलिस लाइन की होती थी शान

15 जनवरी को होगी नीलामी, देखने के लिए आ रहे हैं मलबे के खरीदार

Meerut। मेरठ पुलिस लाइन में ब्रिटिश पीरियड की 3 ऐतिहासिक इमारतों को जमींदोज किया जा रहा है। खंडहर हो चुकी इन इमारतों के मलबे की नीलामी के लिए एसएसपी मेरठ ने 15 जनवरी का दिन मुकर्रर कर दिया है। रखरखाव के अभाव में बेशक यह इमारतें आज जमींदोज होने की कगार पर हैं किंतु कभी ये पुलिस लाइन की शान होती थीं। कुछ दिनों में ध्वस्त होने वाली इन इमारतों का ब्योरा दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आप तक लेकर आया है।

यह इमारतें होंगी ध्वस्त

रखरखाव के अभाव में देशभर में बनी ब्रिटिश पीरियड की इमारतें अब खंडहर हो रही हैं। मेरठ पुलिस लाइन में ऐसी ही 3 इमारतों को ध्वस्त करने की योजना पुलिस विभाग ने बना ली है। एसएसपी अजय कुमार साहनी की ओर से इन इमारतों के मलबे के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। देश की आजादी की गवाह यह इमारतें 1937 में निर्मित की गई थीं। पुलिस लाइन परिसर में मोटर ट्रांसपोर्ट (एमटी) बैरक, पुलिस बैरक और घुड़सवार बैरक को ध्वस्त किया जाएगा।

खपरैल वाली बैरक

पुलिस लाइन परिसर में टाइप प्रथम ब्लाक पी/क्यू के सामने स्थित खपरैल वाली बैरक अब खंडहर हो गई है। खपरैल के शेड, इमारती लकड़ी, लोहे और ईट से बनी इस इमारत का ज्यादातर हिस्सा जमींदोज हो गया है। 1937 में बनी इस इमारत में ब्रिटिश हकूमत के दौरान सिपाही ठहरते थे। हालांकि आजादी के बाद भी वेस्ट यूपी की प्रमुख मेरठ पुलिस लाइन की ये इमारतें आबाद रही और इसमें सिपाहियों के ठहरने का बंदोबस्त था। हालांकि खंडहर होने के बाद अब पुलिस विभाग इस इमारत से पीछा छुड़ा रहा है। इस जीर्ण-शीर्ण इमारत के मलबे की कीमत विभाग ने 8.61 लाख रुपए तय की है।

एमटी गैराज के पीछे खपरैल वाली बैरक

इसी इमारत से 100 कदम की दूरी पर मोटर ट्रांसपोर्ट (एमटी) बैरक है। इस बैरक के पीछे खपरैल वाली बैरक में कभी ब्रिटिश हकूमत के दौरान एमटी बैरक का संचालन होता था। 1937 में बनी यह इमारत 1980 तक प्रयोग में रही। इसके बाद यहां सिपाहियों का आवागमन बंद हुआ तो इमारत का रखरखाव भी ठप पड़ गया। जिसके बाद बिल्डिंग क्षतिग्रस्त होना शुरू हो गई। खपरैल की इस बिल्डिंग के मलबे की नीलामी राशि 4.64 लाख रुपए तय की है।

घुड़सवार बैरक के बस निशां बाकी

मेरठ पुलिस लाइन के घोड़े और घुड़सवार फेमस हैं। पुलिस लाइन में रविवार को प्रतिसार निरीक्षक होरीलाल सिंह ने बताया कि मेरठ का अस्तबल अपनी खूबियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहा है। यह अस्तबल ब्रिटिश पीरियड में जिस बिल्डिंग में संचालित होता था, वो अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाली है। जी हां घुड़सवार बैरक की नीलामी राशि 1.02 लाख रुपए तय की गई है। आपको बता दें कि यह इमारत 1937 में बनाई गई थी। आज भी एक शिलालेख पर इमारत का पूरा ब्योरा दर्ज है।

जर्जर हैं इमारतें

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने परिसर में स्थित तीनों इमारतों को देखा। यहां इमारतों का ज्यादातर हिस्सा जमींदोज हो चुका है। रखरखाव के अभाव में छत, जमीन से मिल चुकी है। खपरैल का शेड क्षतिग्रस्त हो गया। इमारतें ब्रिटिश पीरियड की भवन निर्माण कला का नमूना हैं, वहीं यदि रखरखाव का ध्यान रखा जाता तो ये इमारतें आज भी अपने वजूद को बरकरार रखने में समक्ष हैं। दीवारों की ईटें भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं। हालांकि पुराने जमाने की भारी ईट बेशक कारगर न हो किंतु यह आज की तारीख में मिलना मुश्किल है।

रखरखाव नहीं हुआ

ब्रिटिश पीरियड की बनी तीन बैरकों को नीलाम करने की नौबत न आती यदि इनका मेंटीनेंस होता रहता। दरअसल, इस ओर किसी भी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया। वहीं, इमारतों की नीलामी का इश्तिहार निकलने के बाद स्क्रैप कारोबारियों का दिनभर पुलिस लाइन में जमघट लगा रहा। सभी मलबे को नीलामी की रकम से तौलते रहे। जली कोठी, सोतीगंज के कुछ कबाड़ी रविवार को पुलिस लाइन परिसर में इमारतों के आसपास चहलकदमी कर रहे थे। उन्होंने ताला खुलवाकर बैरक के अंदर का मैटेरियल भी चेक किया।

पुलिस लाइन में ब्रिटिश पीरियड की 3 बैरक अब शासन के आदेश के बाद ध्वस्त की जाएंगी। 15 जनवरी को तीनों बैरकों के मलबे के लिए नीलामी होगी। ये तीनों बैरक अब खंडहर हो चुकी हैं और सालों से प्रयोग में नहीं आ रही हैं।

होरी लाल सिंह, प्रतिसार निरीक्षक, मेरठ

Posted By: Inextlive