दिल्ली एनसीईआरटी के दो अधिकृत विक्रेताओं से खरीदी दिखाई गई किताबें

संजीव और सचिन गुप्ता की तरफ से अधिवक्ता ने अदालत में रखा पक्ष

Meerut। करोड़ों की अवैध किताब प्रकरण में फरार चल रहे भाजपा नेता और उनके भतीजे की तरफ से अधिवक्ता ने अदालत में पक्ष रखा। पुलिस पर पलटवार करते हुए छह करोड़ की किताबों के बिल पेश किए। ये किताबें दिल्ली एनसीईआरटी के अधिकृत विक्रेता से खरीदी दर्शाई गई हैं। जबकि पुलिस ने दावा किया है कि आरोपी किताब खुद प्रकाशित कर बेच रहे थे। पुलिस ने गजरौला और मेरठ से करीब 60 करोड़ की अवैध किताबें बरामद करने का दावा किया था।

ये है मामला

21 अगस्त को एसटीएफ और परतापुर पुलिस की टीम ने परतापुर के अछरोंडा स्थित गोदाम में छापा मारकर करोड़ों की अवैध किताबें बरामद की थीं और मोहकमपुर में प्रिं¨टग प्रेस को सील कर दिया था। गजरौला स्थित पि्रं¨टग प्रेस में भी छापा मारकर करोड़ों की किताबें और प्रिं¨टग मशीन को सील किया था। पुलिस ने दावा किया था कि एनसीईआरटी की किताबों को 50 जीसीएम के पेपर पर छापा गया है। पिछले पांच साल से भाजपा नेता संजीव गुप्ता और उनके भतीजे सचिन गुप्ता इस काम को कर रहे थे। पुलिस और एसटीएफ की टीम अभी तक संजीव और सचिन गुप्ता समेत चार आरोपियों को पकड़ नहीं पाई है। परतापुर पुलिस ने उनके खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी करा लिया है। फरार आरोपी अग्रिम जमानत की जुगत में लगे हुए हैं।

बिल बनेंगे विवेचना का हिस्सा

पुलिस के मुताबिक, संजीव और सचिन गुप्ता के अधिवक्ता की तरफ से अदालत में करीब छह करोड़ की किताबों के बिल पेश किए गए। दर्शाया गया कि वह किताबें छापने का काम नहीं करते थे, बल्कि एनसीईआरटी के दिल्ली के दो अधिकृत विक्रेताओं से किताबें खरीदकर बेचने का काम करते थे। अदालत को दिए बिलों को पुलिस अपनी विवेचना का हिस्सा बनाकर काम करेगी। इंस्पेक्टर आनंद मिश्रा का कहना है कि चाचा-भतीजे की तरफ से लगाए गए बिलों की जांच की जाएगी। क्योंकि एनसीईआरटी ने भी किताबों को अवैध बताया है। अगर बिल फर्जी निकले तो बिल जारी करने वाले दुकानदारों को भी विवेचना का हिस्सा बनाया जाएगा। दिल्ली के दुकानदारों को नोटिस भेजकर बिलों की सत्यता की जांच की जाएगी।

Posted By: Inextlive