इंसान न कर सका, तो अब बैक्टीरिया करेगा नालों की सफाई!
आई एक्सक्लूसिव
मेरठ: मेरठ के नालों के लिए कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार नायाब स्कीम लेकर आए हैं। प्रथम चरण में आबूनाला-2 को बायोरेमेडिएशन प्रोसेस के तहत ट्रीट किया जाएगा। नाले में एक ऐसे बैक्टीरिया को जेनरेट किया जाएगा जो गंदगी को नष्ट करेगा। इतना ही नहीं यह बैक्टीरिया नाले के गंदे पानी को ऑडर फ्री (दुर्गध रहित) करेगा। कन्सल्टेंट कंपनी इनटेक के साथ कमिश्नर की इस संबंध में बातचीत चल रही है। क्या है प्रोसेस?नालों की गंदगी और दुर्गध को दूर करने के लिए सर्वप्रथम यूपी के आगरा के मंटोला नाले में बैक्टीरिया जेनरेट किया गया था। प्रक्रिया के तहत नाले में ऐसे बैक्टीरिया छोड़ा जाता है जो बायोरेमैडिएशन से गंदगी को नष्ट कर देता है। इतना ही नहीं यह बैक्टीरिया दुर्गध को भी नष्ट करता है। नाले के गंदे पानी को जिग-जैक करके गुजारा जाता है और यहां किनारों पर बैक्टीरिया को पैदा किया जाता है। आमतौर पर बरसात के मौसम के बाद नालों में दोबारा बैक्टीरिया को जेनरेट किया जाता है, क्योंकि पानी के तेज बहाव के चलते बैक्टीरिया पनप नहीं पाता है।
चल रही बातचीतकमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार ने बताया कि प्रथम चरण में आबू नाला-2 का बायोरेमैडिएशन से शोधन किया जाएगा। इस संबंध में कन्सल्टेंट कंपनी इनटेक से बातचीत चल रही है। कमिश्नर ने बताया कि संस्था ने आगरा के मंटोला ड्रेन में बैक्टीरिया को जेनरेट किया है। प्रारंभिक चरण की बातचीत पूर्ण हो चुकी है, नगर निगम को पूरी प्रक्रिया समझने और कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए जाएंगे। कमिश्नर ने बताया कि नालों के गंदे पानी को साफ करने के लिए यह एक सस्ती और कारगर शोधन प्रणाली है। हालांकि बहाव की अधिकता में बैक्टीरिया को जेरनेट करना मुश्किल होता है। आबूनाला-2 में सफलता मिलने के बाद शहर के अन्य नालों को भी बायोरेमैडिएशन प्रोसेस के तहत ट्रीट किया जाएगा।
यह है नालों की स्थिति नाला लंबाई-औसत फ्लोआबूनाला-1 33.60 किमी-39.22 एमएलडीआबूनाला-2 113.90 किमी.- 150 एमएलडीओडियन नाला 8.40 किमी-182.69 एमएलडी(एमएलडी-मिलियन लीटर पर डे)---बायोरेमैडिएशन प्रोसेस के तहत नाले को ट्रीट करने की स्कीम है। कन्सल्टेंट कंपनी इनटेक से प्रारंभिक चरण की वार्ता पूर्ण हो चुकी है। नगर निगम को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं।-डॉ। प्रभात कुमार, कमिश्नर, मेरठ मंडल