गुलाब कारोबारियों के साल के दो त्योहार हो गए बेकार

लाखों रुपए के गुलाब कूडे़ में फेंकने को मजबूर किसान

शादियों के बाद अब शिवरात्रि पर भी मुरझाए फूल

50 हजार रुपए प्रति बीघा तक हो रहा किसानों को नुकसान

40 से 50 हजार रुपये प्रति बीघा होती है शिवरात्रि पर किसानों की आमदनी

150 से 200 रुपए प्रति किलो बिकते थे गुलाब के फूल

मार्च से लेकर जुलाई तक नहीं हुई इस बार फूलों की बिक्री

मायूस किसानों ने उखाड़नी शुरू कर दी है अपनी फसल

मेरठ में ईश्वरपुरी है फूलों की प्रमुख मंडी, फूलों की डिमांड नहीं

Meerut। लॉकडाउन के दौरान वैसे तो सभी उद्योग धंधों और कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन कुछ ऐसे भी कारोबारी हैं जिनके पूरे साल का कारोबार या कहें मेहनत इस लॉकडाउन में बर्बाद हो गई है। हम बात कर रहे हैं गुलाब फूल के कारोबारी या कहें किसानों की, जिनका पहला शादियों का सीजन सीजन लॉक डाउन के कारण फ्लॉप हो गया और अब महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों पर लगे तालों से खेतों में खडे़ फूल मुरझाने लगे हैं। मंदिरों में चढ़ने वाला फूल बाजार में डिमांड ना होने के कारण मंडी तक भी नही जा पा रहा है। ऐसे में खिले फूल को तोड़कर किसान कूडे़ में फेंकने को मजबूर हो गए हैं।

खेतों में बर्बाद हो रहे फूल

दरअसल,्र हर साल शादियों के सीजन के बाद जुलाई और अगस्त में महाशिवरात्रि के पर्व पर मंदिरों में चढ़ाने के लिए और मंदिर समेत कांवड़ सजावट में भरपूर मात्रा में प्रयोग होते हैं। शिवरात्रि का करीब एक से सवा माह का सीजन गुलाब के कारोबारियों और किसानों के लिए काफी प्रमुख होता है। इस दो माह के सीजन की तैयारी में किसान साल के आठ माह मेहनत कर गुलाब की फसल को बोता है। लेकिन इस बार लॉक डाउन के कारण ना तो कांवड़ सजी और ना ही मंदिरों के कपाट खुले, इस कारण से मंडियों में रखे फूल सूख गए और खेतों खिले गुलाब के फूल की डिमांड खत्म हो गई है। हालत यह है कि बिक्री ना होने के कारण खेतों में खिले फूल खुद मुरझा रहे हैं और किसान उन्हें कूडे़ में फेंकने को मजबूर हो गए हैं।

हमने जमीन ठेके पर लेकर गुलाब लगाया है। लेकिन पूरी तरह इस बार नुकसान हो रहा है। पहले शादियों का सीजन खराब हो गया फिर सोचा कि अब लॉक डाउन खुला है अब निराई-गुड़ाई और जमीन का ठेका निकल आएगा लेकिन अब मंदिर और कांवड यात्रा बंद होने से और ज्यादा नुकसान हो गया। अब खिले फूल कूडे़ में फेंकने पड़ रहे हैं।

रघुवीर सिंह, नूर नगर

मैने 13 बीघे गुलाब लगाया है अब तक तो पूरे लॉक डाउन में एक भी रुपए का गुलाब नही बिका था अब उम्मीद थी कि शिवरात्रि पर कुछ लागत निकल आए, लेकिन कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित और मंदिर बंद होने के कारण शिवरात्रि भी हमारे लिए नुकसान भरी साबित हुई है।

देवेन्द्र सिंह, मोहम्मदपुर गुमी

गुलाब के किसानों को भारी नुकसान है हर रोज खिले गुलाबों को निकलवाना पड़ता है ताकि पेड़ को नुकसान न हो। जो पौध लगाई थी उसकी भी लागत अब जेब से देनी पड़ रही है। कोई त्योहार हो या शादियों का सीजन सब बेकार गया।

जय प्रकाश सैनी, गांव लिसाडी

Posted By: Inextlive