सीसीएस यूनिवर्सिटी का स्थापना दिवस आज

1 जुलाई 1965 को चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी अस्तित्व में आई थी

1000 कॉलेज सीसीएसयू से जुड़े हैं इन दिनों में

2 मंडल सीसीसीएसयू के दायरे में आते हैं

67 एडेड राजकीय कॉलेजों से जुड़े है यूनिवर्सिटी

970 सेल्फ फाइनेंस व प्रोफेशनल कॉलेज है

70 से अधिक कोर्स चल रहे है आज यूनिवर्सिटी में

Meerut। आज सीसीएसयू का स्थापना दिवस है। ऐसा पहली बार होगा कि स्थापना दिवस पर सीसीएसयू कैंपस में हवन पूजन नहीं हो सकेगा। दरअसल, कागज व पेन के सहारे शुरु हुआ सीसीएसयू का सफर 55 साल में सफलता के नए पायदान पर पहुंच गया। चुनिंदा कॉलेजों व हजार स्टूडेंट्स के साथ शुरु हुई यूनिवर्सिटी अब पांच लाख से अधिक स्टूडेंट्स तक पहुंच गई है। कैम्पस में अब 70 कोर्स सचांलित हो रहे हैं। सीसीएसयू की उपलब्धियां दूसरी यूनिवर्सिटी के लिए मिसाल बनी हुई हैं। कोरोना काल के चलते पहली बार ऐसा होगा जब फाउंडेशन डे पर न तो कार्यक्रम होंगे और न ही हवन होगा। बस पांच लोगों द्वारा सिर्फ माल्यार्पण होगा।

बदल गई तस्वीर

2008-09 तक यूनिवर्सिटी की छवि बहुत ही अलग थी, धरने प्रदर्शन कैंपस में आम बात थे। कैंपस में मेरठ सहारनपुर मंडल के नौ जिलों में प्रतिदिन हजारों स्टूडेंट पहुंचा करते थे। परीक्षा फार्म से लेकर रिजल्ट तक स्टूडेंट खामियों को झेलते थे। सीसीएसयू 56 वें साल में एक नई इबारत लिख रही है। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली तीन जिलों को मिलाकर सहारनपुर में नई यूनिवर्सिटी बनने जा रही है। 1965 में सीसीएसयू आगरा यूनिवर्सिटी से अलग होकर बनी थी। पहले सीसीएसयू मेरठ यूनिवर्सिटी के नाम से जानी जाती थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव ने इसका नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी रख दिया।

ये है मुख्य एल्युमिनाई

देश के पहले सीडीएस विपिन रावत

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती

चर्चित अभिनेता अरुण गोविल

अभिनेत्री दीप्ति भटनागर

राजनेता केसी त्यागी

गर्वनर सतपाल मलिक

गोल मार्केट से हुई थी शुरुआत

सीसीएसयू की प्रोवीसी प्रो.वाई विमला ने बताया कि सीसीएस यूनिवर्सिटी सबसे पहले साकेत स्थित गोल मार्केट में कोठी नंबर 65 से शुरु हुई थी। यूनिवर्सिटी के फाउंडर रजिस्ट्रार मदनलाल बत्रा ने बताया कि यूनिवर्सिटी के लिए गोल मार्केट की इस कोठी को किराए पर लिया गया था। वीसी डॉ। आरके सिंह थे। 1968 से 69 में गोल मार्केट से यूनिवर्सिटी नौचंदी ग्राउंड में पहुंची थी। दो साल तक किराए की भूमि पर चली थी। वहीं साल 1967 में यूनिवर्सिटी का भूमि पूजन किया गया। इसमें पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह आए थे। छह महीने बाद आगरा यूनिवर्सिटी से छह कर्मचारियों को मेरठ लाया गया।

बांस बल्ली में पहली पढ़ाई

222 एकड़ में फैले यूनिवर्सिटी की पहली कक्षा बांस बल्ली से बने तंबुओं में चली थी, पहली कक्षा एमफिल की थी। नौचंदी के पास किराए के भवन में भी यूनिवर्सिटी का संचालन किया गया था।

ढाई रुपये गज की जमीन

विवि परिसर 222 एकड़ में फैला है, इसकी पूरी जमीन ढाई से तीन रुपये गज के हिसाब से खरीदी गई थी, किसानों से अधिग्रहीत इस जमीन को लेकर कई बार मुआवजे को लेकर तकरार भी हुआ था। पहले मेरठ यूनिवर्सिटी फिर 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इसका नाम बदलकर चौ। चरण सिंह विवि रखा था।

सीसीएसयू में स्टूडेंट को उत्तम शिक्षा देना का हमारा प्रयास है। शिक्षा के साथ रोजगार चुनौती है। इसके लिए रोजगारपरक कोर्स शुरु हो रहे हैं। शेयर मार्केट, आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस जैसे कई कोर्स शुरू किए जाएंगे। सारी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है।

प्रो। एनके तनेजा वीसी सीसीएसयू

Posted By: Inextlive