मेरठ। एक दिसंबर से शहर में हॉलमार्क ज्वैलरी की बिक्री अनिवार्य कर दी गई है। यानि ज्वैलर्स अब बिना हॉलमार्क ज्वैलरी नहीं बेचेंंगे तो ये अपराध की श्रेणी में आएगा। मगर समस्या हॉलमार्क सेंटर्स को लेकर आ रही है। शहर में मात्र 7 से 8 हॉलमार्क सेंटर मार्किंग का काम कर रहे हैं। सेंटर्स की कम संख्या के कारण ज्वैलर्स को मार्किंग के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

मेरठ, (ब्यूरो)। गौरतलब है कि सरकार ने नवंबर 2019 में गोल्ड ज्वैलरी और डिजाइन के लिए हॉलमाॄकग को अनिवार्य किया था। इसके लिए देश के सभी ज्वैलर्स को हॉलमाॄकग पर शिफ्ट होने और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक साल से ज्यादा का समय दिया था। बाद में ज्वैलर्स ने इस डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की थी। लिहाजा, डेडलाइन को बढ़ाकर 15 जनवरी, एक जून, 15 जून और फिर 31 अगस्त के बाद 1 दिसंबर किया गया था।
3 हजार से अधिक ज्वैलर्स
बुलियन एसोसिएशन के आंकडों पर नजर डालें तो जनपद में सवा तीन हजार से अधिक छोटे-बड़े ज्वैलरी शोरूम हंैं। जबकि शहर में मात्र 7 से 8 हॉलमार्किंग सेंटर इस समय चालू हैं। एक सेंटर की प्रतिदिन 250 ज्वैलरी मार्किंग की क्षमता है। ऐसे में रोजाना दो हजार के करीब ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग की जा रही है। जबकि हजारों ज्वैलरी मार्किंग के इंतजार में एक-एक सप्ताह तक वेटिंग में अटकी हुई हैं।

क्या है हॉलमाॄकग
- हॉलमार्क भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड देती है। यह एक तरह की सरकारी गारंटी होती है कि गोल्ड कितने कैरेट की शुद्धता का है।

- दरअसल, जितने कैरेट की शुद्धता का बताया जा रहा है, उतने ही शुद्धता की ज्वैलरी मिल रही है।

- बीआईएस वह संस्था है, जो ग्राहकों को उपलब्ध कराए जा रहे सोने की जांच करती है।

ज्वैलरी पर लगेगी मुहर
दरअसल, अब दो ग्राम से अधिक ज्वैलरी को बीआईएस से मान्यता प्राप्त सेंटर से जांच कराकर उस पर संबंधित कैरेट का बीआईएस मार्क लगवाना होगा। ज्वैलरी पर बीआईएस का तिकोना निशान, हॉलमाॄकग केंद्र का लोगो, सोने की शुद्धता लिखी होगी। साथ ही ज्वैलरी कब बनाई गई, इसका वर्ष और ज्वैलर का लोगो भी ज्वैलरी पर रहेगा।

इस तरह खुद करें पहचान
- बीआईएस मार्क हर ज्वैलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो का ट्रेडमार्क यानी लोगो होगा।
- कैरेट में प्योरिटी हर ज्वैलरी की कैरेट या फाइनेंस में प्योरिटी होगी।
- 916 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वैलरी 22 कैरेट के गोल्ड (91.6 फीसदी शुद्धता) का है।
- 750 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वैलरी 18 कैरेट (75 फीसदी शुद्ध) गोल्ड का है।
- 585 लिखा है तो इसका मतलब कि ज्वैलरी 14 कैरेट गोल्ड (58.5 फीसदी शुद्धता) का है।
- हर ज्वैलरी पर एक विजिबल आइडेंफिकेशन मार्क होगा, जो हॉलमार्क सेंटर का नंबर होगा।
- ज्वैलर कोड के रूप में, यानी यह किस ज्वैलर के यहां बना है, उसकी पहचान होगी।
- असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। जो सोने की कैरेट की शुद्धता के निशान के बगल में होता है।
- ज्वैलरी पर निर्माण का वर्ष और और उत्पादक का लोगो भी होता है।


शहर के अधिकतर व्यापारी हॉलमार्क करा चुके हैं। जो रह गए हैं वह अपनी ज्वैलरी को गलाकर नए डिजाइन को हॉलमार्क कराएंगे। मगर हालमार्किंग सेंटर्स की कमी से काफी परेशानी हो रही है। मार्किंग के लिए वेटिंग लगातार बढ़ रही है।
प्रदीप अग्रवाल, अध्यक्ष, मेरठ बुलियन एसो।

हॉलमार्क ग्राहक के हित में है लेकिन सरकार द्वारा इसकी पूरी तैयारी करने के बाद ही अनिवार्य करना चाहिए था। अभी शहर में मात्र कुछ सेंटर ही हॉलमार्किंग कर रहे हैं। उन पर लोड इतना अधिक है कि ज्वैलरी कई-कई दिनों तक मार्किंग के लिए होल्ड पर है।
मनोज गर्ग, कोषाध्यक्ष, मेरठ बुलियन एसो।

Posted By: Inextlive