बसें तो आएं, पर जगह कहां से लाएं
सोहराबगेट डिपो में खड़ी 119 कंडम बसें, नई बसों के लिए नहीं मिल रही जगह
नई बसों को खड़ा करने के लिए जगह की है कमी कानपुर से मिली 80 सीएनजी बसें मेरठ नही मंगाई जा रही हैं। जगह की कमी से लगा सिटी बसों के सफर पर ब्रेक Meerut। सालभर से सिटी बसों की कमी से जूझ रहे शहर के लोगों को सिटी ट्रांसपोर्ट की सेवाओं के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल सिटी ट्रांसपोर्ट के लिए नई बसों को खड़ा करने के लिए जगह की कमी है। इसके चलते कानपुर से मिली 80 सीएनजी बसें मेरठ नही मंगाई जा रही हैं। अब सिटी ट्रांसपोर्ट को इंतजार है कि कब पुरानी बसों को डिपो से हटाया जाएगा, और नई बसों को खड़ा करने के लिए जगह मिलेगी। उसके बाद ही मेरठ में सिटी बसों का सफर दोबारा शुरु हो सकेगा। मात्र एक सिटी बस का संचालनदरअसल, इस साल की शुरुआत में मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट की बसों के संचालन की अवधि समाप्त होने का सिलसिला शुरु हो गया था। जिसके चलते मार्च माह तक करीब 90 सिटी बसें एक्सपायर होकर संचालन से बाहर हो गई थी। अब सितंबर माह तक 120 में से 119 बसें अपनी समय सीमा पूरा करने के कारण संचालन से बाहर हो गई वर्तमान में केवल एक सिटी बस का संचालन हो रहा है। ऐसे में शहर में लोकल सिटी ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो गई है।
जगह की कमी नई बसों के लिए मुख्यालय स्तर से मेरठ के लिए 150 सीएनजी बसों को स्वीकृत किया गया था। इसके चलते गत माह 80 बसों की पहली खेप कानपुर से मंगाकर मेरठ में चलाने का अनुमति मुख्यालय से मिल गई थी। इस पर सिटी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ने कानपुर से बसें मेरठ भेजने की डिमांड की थी जिस पर कानुपर ने सहमति जता दी लेकिन इसके बाद से बसें अभी तक कानपुर में अटकी हुई हैं। इसका मुख्य कारण है कि मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट बस डिपो में पहले से ही 119 कंडम बसें खड़ी हैं। ऐसे में बस डिपो में नई 80 बसों को खड़ा करने की जगह नही है। ऐसे में नई बसों को संचालन के बाद कहां खड़ा किया जाए यह समस्या बनी हुई है। इस कारण से नई बसों को अभी कानपुर में ही होल्ड किया हुआ है। लोहियानगर में भी डिपो अधूरावर्तमान में सोहराबगेट बस डिपो में ही सिटी ट्रांसपोर्ट बस डिपो और सíवस सेंटर चल रहा है। इससे अलग नया सिटी बस अड्डा लोहियानगर में प्रस्तावित है। वहीं इलेक्ट्रिक बसों का चाìजग स्टेशन बनाया जाना है। लेकिन लोहियानगर में अभी डिपो की जगह की बाउंड्री तक नही हो सकी है। ऐसे में डिपो बनने में अभी सालभर का समय लग सकता है। तब तक सिटी बसों के लिए जगह का इंतजाम होना रोडवेज के इंतजार का विषय बन गया है।
स्पेस की कमी है जिसके लिए मुख्यालय को बता दिया गया है कि पुरानी बसों को जल्द से जल्द दूसरे डिपो मे शिफ्ट किया जाए। इस माह इन बसों को यहां से हटा लिया जाएगा। अनिल अग्रवाल, एआरएम