सुभाष नगर के प्रमुख नाले की नहीं हुई तलीझाड़ सफाई

समेत शारदा रोड के नाले के 70 फीसदी हिस्से पर अतिक्रमण

नगर निगम नालों के खुले एरिया से सिल्ट निकाल कर लेता है खानापूर्ति

सुभाष नगर प्रमुख नाले की सफाई न होने से हर साल बरसात में सुभाषनगर, हनुमानपुरी, आर्य नगर, हाशिमपुरा आदि मोहल्लों में नाले का पानी ओवरफ्लो होकर घरों तक पहुंच जाता है।

Meerut। पुराने शहर के कुछ ऐसे इलाके भी हैं, जिनमें नालों की स्थित इस कदर खराब है कि नालों की सफाई एक दो नही बल्कि 30-30 साल से अधिक समय से नहीं हुई है। बरसात में नालों की गंदगी के कारण नालों में बहने वाला पानी मोहल्लों की गलियों और घरों तक में भर जाता है। हम बात कर रहे हैं शहर के पुराने सुभाषनगर क्षेत्र की जहां के प्रमुख नाले की तलीझाड़ सफाई पिछले 32 साल से नहीं हुई है। इस नाले की सफाई के लिए संबंधित पार्षद नाले में उतरकर धरना तक दे चुके हैं। मगर नगर निगम केवल एक ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार के भरोसे पर इस नाले को छोड़े हुए है। वहीं शहर के प्रमुख शारदा रोड का भी हाल भी बुरा है यहां का नाला अतिक्रमण की जद में गुमशुदा हो चुका है।

सुभाषनगर नाला

शहर के पुराने इलाकों में शामिल सुभाषनगर की बात करें तो हर साल सुभाषनगर की संकरी गलियां बरसात में जलमगन रहती हैं। सुभाषनगर के मेन नाले के अंडर ग्राउंड होने के कारण उसकी सफाई 32 साल से अधिक समय से नहीं हुई है। सुभाष नगर के दो मेन नालों की सफाई न हो पाने के कारण सुभाषनगर, हनुमानपुरी, आर्य नगर, हाशिमपुरा आदि मोहल्लों में बरसात के बाद पानी गलियों से निकलने के बजाए घरों तक में भी जाता है। निगम हर साल इन नालों की सफाई का दावा करता है लेकिन एनएएस कॉलेज के बराबर वाले खुले नाले की सिल्ट निकालकर खानापूर्ति कर दी जाती है। जबकि गुलमर्ग के सामने वाले अंडरग्राउंड नाले की सफाई न होने से आधे से अधिक वार्ड जलभराव की समस्या से जूझता है।

शारदा रोड नाला

शारदा रोड नाले की सफाई में भी अतिक्रमण बाधा बना रहता है। करीब डेढ़ किमी। लंबे नाले के 30 फीसद हिस्से की सफाई ही संभव हो पाती है, जबकि 70 फीसद नाले में सिल्ट जमा रहती है। दिल्ली रोड से शुरू होकर झंडे वाले की दुकान के पास चौराहे तक शारदा रोड के दोनों किनारों पर नाले हैं। यह नाले ओडियन नाले में गिरते हैं। शारदा रोड, शिवशंकर पुरी, कृष्णपुरी, बागडि़यान, पश्चिमी ब्रह्मपुरी आदि मोहल्लों की जल निकासी का ये जरिया हैं। दोनों ही किनारों पर नालों के ऊपर दुकानदारों ने पक्के रैंप बना रखे हैं। नाले का 70 फीसद हिस्सा अतिक्रमण के कब्जे में हैं। हर साल करीब 20 हजार आबादी और पूरी शारदा रोड बाजार नालों के ओवरफ्लो होने से बरसात में जलमग्न होती है। अतिक्रमण वाले स्थानों पर नाले कूड़े और गोबर की सिल्ट से अटे पड़े हैं। अगर नगर निगम प्रशासन नालों पर से अतिक्रमण हटा दे तो बरसात के सीजन में शारदा रोड और उससे जुड़े मोहल्लों को राहत मिल सकती है।

हर साल हम नगर निगम से मांग करते हैं कि बरसात से पहले नालों की सफाई की जाए। अतिक्रमण हटाने के लिए खुद व्यापारी सहयोग देगा। इसके लिए दुकानेां के बाहर रैंप बनाए हुए हैं। जो हटा कर नालों की सफाई संभव है लेकिन कुछ दुकानों के बाहर पक्के रैंप इसमें बाधा बने हुए हैं।

अमित अग्रवाल, महामंत्री, शारदा रोड व्यापार संघ

दो साल पहले सुभाषनगर नाले की सफाई का ठेका दिया गया लेकिन कंपनी की लापरवाही के चलते उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। मगर तब से अब तक किसी ओर एजेंसी को सफाई का ठेका नहीं दिया गया है। इस कारण से नाले की तलीझाड सफाई नहीं हो पा रही है। यही इस क्षेत्र में जलभराव का प्रमुख कारण है।

पवन चौधरी, पार्षद, सुभाषनगर

जलभराव के लिए जरुरी है कि पूरे नाले की सफाई हो। जहां-जहां से नाले खुले हैं, वहां मशीन से सिल्ट निकालकर खानापूर्ति कर दी जाती है। नाले का बाकि जो हिस्सा अंडरग्राउंड है या अतिक्रमण में दबा हुआ है, वहां सिल्ट जमा रहती है तो पानी आगे कैसे जाएगा। यह हमारे क्षेत्र का हाल है।

विकास पटेल, सुभाषनगर

बरसात होने पर नाले से पानी बाहर निकलकर हमारी गलियों में भर जाता है। कई-कई घंटो तक गलियों में पानी भरा रहता है। अगर नाला पूरी तरह साफ होता या खुला होता तो जलभराव कभी नहीं होता। मानसून आने वाला है और इस बार भी वहीं हाल होगा।

सरिता देवी, सुभाषनगर

सुभाषनगर नाले के लिए ठेकेदार को टेंडर रिवाइज किया जा रहा है। तलीझाड़ सफाई को इस बार पूरी तरह निगरानी में पूरा कराया जाएगा। इसके अलावा शारदा रोड पर लगातार नाला सफाई का अभियान चल रहा है। व्यापारियों के सहयोग से दुकानों के रैंप हटाकर सफाई का प्रयास जारी है।

डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive