कंपनी ने मेरठ के रहने वाले विद्यार्थी को मुंबई से हायर किया था

विद्यार्थी पहले मुंबई की कंपनी में दवा बनवाते थे

Meerut। पंजाब पुलिस और ड्रग्स विभाग की जांच में सामने आया कि पर्क फार्मा कंपनी में 15 तरह की दवाइयों का उत्पादन हो रहा था, जबकि कंपनी को पांच तरह की दवाइयां बनाने का अधिकार था। क्योंकि कंपनी ऐसी दवाइयों का उत्पादन करती थी, जो नशामुक्ति केंद्र में सप्लाई हो सकें।

पंजाब पुलिस को मिली जानकारी

सर्विलांस प्रभारी मनोज दीक्षित ने बताया कि कंपनी पांच के बजाय 15 दवाइयों का उत्पादन कर रही थी। दरअसल, कृष्णा केले ने कंपनी को अमरजीत को लीज पर देने के बाद भी कुछ अपनी दवाइयों का उत्पादन करा रहे थे। उनके लीज के कागजात में पंजाब पुलिस को यह जानकारी मिली है। यही कारण है कि पर्क फार्मा और एएसके फार्मा दोनों कंपनी को सील कर दिया है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि कंपनी की दवाइयां पंजाब के अलावा कहां कहां सप्लाई हो रही थी।

खातों की बैंक से मांगी डिटेल

जान सैफी के खाते में 93 लाख की रकम मिलने के बाद पंजाब पुलिस ने सभी आरोपियों के खातों की बैंक डिटेल मांगी है। देखा जा रहा है कि सभी आरोपियों ने पंजाब में कितनी दवाइयां सप्लाई की है। सामने आया कि लुधियाना के अलावा पंजाब के अन्य शहरों में भी मेरठ से दवाइयों की सप्लाई दी जा रही थी। एसीपी वरियाम सिंह ने बताया कि प्रतिबंधित दवाइयों की सप्लाई पर एक बड़ी चेन काम कर रही है। पूरे मामले की पड़ताल करने के बाद ही इस रैकेट को तोड़ा जा सकेगा।

विद्यार्थी का फॉर्मूला

कंपनी ने मेरठ के रहने वाले विद्यार्थी को मुंबई से हायर किया था। विद्यार्थी पहले मुंबई की कंपनी में दवा बनवाते थे। उन्हीं के फार्मूले से पर्क फार्मा कंपनी में दवाइयां तैयार हो रही थी। पंजाब पुलिस और सर्विलांस की टीम ने विद्यार्थी से पूछताछ की। उनका दवाइयों की सप्लाई में कोई रोल सामने नहीं आया है। इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया है। उनका काम दवाइयों की क्वालिटी कंट्रोल रखने का था।

11 करोड़ की नशीली दवाएं

नशीली दवाइयों के मामले में पंजाब पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की टीम की दो दिन तक मेरठ में कार्रवाई चली। जिसमें 11 करोड़ रुपये कीमत की करीब 43 लाख प्रतिबंधित गोलियां, सीरप और इंजेक्शन बरामद हुए हैं। तीन मेडिकल स्टोर संचालक सहित चार आरोपी इस मामले में गिरफ्तार किए गए हैं। दवाई बनाने वाली कंपनी व गोदाम सील कर दिए गए हैं।

ऐसे खुला मामला

लुधियाना में दो मार्च को 1.29 लाख प्रतिबंधित नशे की गोलियां पकड़े जाने के बाद शुरू हुई जांच मेरठ तक पहुंची। जिसके बाद एनसीबी ने पंजाब पुलिस व ड्रग अफसरों के साथ बुधवार पांच बजे परतापुर इंडस्ट्रियल एरिया में पर्क फार्मास्युटिकल कंपनी पर छापा मारा। इस कार्रवाई में मेरठ पुलिस की सíवलांस टीम और ड्रग विभाग अफसर भी साथ रहे। टीम के अनुसार, खैरनगर में मेडिकल स्टोर संचालक सादिक उर्फ बबलू, जान सैफी, छुट्टन उर्फ सूर्यप्रकाश गोयल व कर्मचारी फरजान की गिरफ्तारी हुई है। पर्क कंपनी के मालिक कृष्णा काले, दवा लाइसेंस लीज पर लेने वाले सिद्धू व शैलेंद्र सिंह भी आरोपी बनाए जा रहे हैं।

यह किया है बरामद

ड्रग इंस्पेक्टर पर्क फार्मास्युटिकल प्रोडक्शन यूनिट व उसके मोहिद्दीनपुर स्थित गोदाम सील कर दिए हैं। दोनों जगह से करीब 43 लाख प्रतिबंधित गोलियां, सीरप, इंजेक्शन मिले हैं। प्रतिबंधित दवाइयों की सप्लाई सिर्फ पंजाब में नशा मुक्ति केंद्रों पर होनी चाहिए थी। मगर साठगांठ से यह मार्केट में भी बिक रही थी।

यहां हो रही थी सप्लाई

वेस्ट यूपी में मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, सहारनपुर समेत कई जिलों में नशीली दवाईयां धड़ल्ले से भारी मात्रा में सप्लाई की जा रही थी। इसके अलावा दिल्ली, पंजाब समेत कई राज्यों में नकली दवाईयों का कारोबार फैला हुआ था।

Posted By: Inextlive