डी वॉल के पहले पैनल के निर्माण के लिए रीइंफोर्समेंट केज की हुई लिफ्टिंग

आरआरटीएस के भूमिगत स्टेशन का निर्माण टॉप डाउन प्रणाली से किया जाएगा

Meerut। भैंसाली के भूमिगत स्टेशन निर्माण के लिए डी वॉल (डायाफ्राम वॉल के पहले पैनल का निर्माण रविवार को शुरू हो गया। आरआरटीएस के भूमिगत स्टेशन का निर्माण टॉप-डाउन प्रणाली से किया जाएगा। जिसमें निर्माण ऊपर से नीचे की तरफ किया जाता है। इसी प्रक्रिया के अनुसार ही भैंसाली स्टेशन पर डी वॉल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई है।

किया गया लिफ्ट

भैंसाली स्टेशन का आकार लगभग 257 मीटर लंबा और 32 मीटर चौड़ा है। इस पूरे स्टेशन के लिए ऐसे 121 डी वॉल पैनलों के रीइंफोर्समेंट केज को बना कर उसे लिफ्ट किया जाएगा। इस क्रम में रविवार को डी वॉल के पहले पैनल 24 मीटर लंबे और 1 मीटर चौड़े रीइंफोर्समेंट केज की लिफ्टिंग की गई और उसे भूमि के अंदर इंस्टॉल किया गया। इसके बाद इसमे कंक्रीट की मदद से इसे फिक्स किया जाएगा और स्टेशन के बाहरी ढांचे का निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा। इसके बाद इस केज को भूमि के अंदर डालकर पूरे डी वॉल का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए डी वॉल या स्टेशन की बाहरी दीवार के निर्माण के लिए पिलर के पाइल्स के निर्धारित स्थान पर गहरी खोदाई करके लगभग 1.5 मीटर मोटाई वाले स्टील कॉलम डालकर उन्हे पक्का कर लिया जाएगा।

होगा स्टेशन का निर्माण

इस पूरी प्रक्रिया में पहले भूमिगत स्टेशन की छत, फिर कोंकोर्स लेवेल और फिर अंत मे प्लेटफार्म लेवल तैयार किया जाएगा। इसलिए इसे टॉप डाउन निर्माण तकनीक कहा जाता है। ये सब 20-25 मीटर के गहराई में तैयार किया जाएगा। आरआरटीएस अधिकारियों के अनुसार किसी भी भूमिगत निर्माण के दौरान कम समय और कम जगह में जल्दी निर्माण कार्य पूरा करने के लिए टॉप डाउन निर्माण प्रणाली ही सर्वोत्तम मानी जाती है। एनसीआरटीसी भी इसी प्रणाली के इस्तेमाल से मेरठ के तीनों भूमिगत स्टेशनों जिनमें, मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल का निर्माण करेगा, जिससे निर्माण कार्य समय पर पूरा हो सके।

बनेगा टिकट काउंटर

भूमिगत स्टेशन की ऊपरी छत बनने के बाद खुदाई करके मिट्टी निकाली जाएगी। मिट्टी निकालने के बाद स्टेशन का प्रथम तल का फ्लोर बनाया जाएगा। ये फ्लोर भूमिगत स्टेशन का कोंकोर्स बनेगा। जिसमे यात्रा करने वाले टिकट लेते है, सुरक्षा जांच से गुजरते है और एटीएम, फूड व शौचालय की सुविधा उठाते हैं। इसी प्रकार भूमिगत स्टेशन के प्रथम तल के निर्माण के बाद और गहरी खोदाई की जाएगी और निश्चित गहराई तक खुदाई करने के बाद एक और तल का निर्माण किया जाएगा। ये तल स्टेशन का प्लेटफार्म लेवल होता है, जिसका इस्तेमाल ट्रेन से उतरने और चढ़ने के लिए यात्री करेंगे।

Posted By: Inextlive