पोस्ट कोविड-19 खतरनाक, मरीज की हो रही मौत

बॉडी पा‌र्ट्स फेल्योर होने की वजह से हो रही मौत

रिकवरी के बाद भी कोरोना छोड़ रहा निशान

केस-1

फेफड़े में निमोनिया

35 वर्षीय एक मरीज को कोविड-19 हो गया था। इलाज के दौरान वह ठीक हो गए थे। लेकिन वायरस संक्रमण की वजह से उनके दोनों फेफड़ों में खतरनाक निमोनिया तथा एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो गया था। करीब एक हफ्ते तक अस्पताल में एडमिट रहे। काफी इलाज हुआ लेकिन उनकी मौत हो गई।

केस-2

लंग्स में इंफेक्शन

65 साल की एक महिला मरीज को अगस्त में कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ था। करीब 10 दिन अस्पताल में रहने के बाद वह ठीक हो गई थी। कुछ दिन बाद सांस लेने में थोड़ी परेशानी रही। जांच करवाई तो लंग्स में इंफेक्शन भर चुका था। करीब दो महीने बाद उनकी मौत हो गई।

केस-3

एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम

54 साल के एक मरीज को सितंबर महीने में कोविड-19 इंफेक्शन हुआ था। करीब 15 दिन तक अस्पताल में एडमिट रहने के बाद इनका कोरोना संक्रमण तो ठीक हो गया, लेकिन इसकी वजह से फेफड़ों में निमोनिया पैदा हो गया और एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम की वजह से उनकी मौत हो गई

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Meerut । कोविड-19 से संक्रमित होने वाले मरीजों की जंग इससे रिकवर होने तक ही सीमित नहीं है। ठीक होने के बाद भी कोरोना वायरस मरीज की बॉडी में दूसरी गंभीर बीमारियां पैदा कर रहा है। ऐसे में जहां मरीजों को खासी दिक्कतों का सामने करना पड़ रहा है वहीं पोस्ट इफेक्ट के तौर पर मल्टीपल बॉडी पा‌र्ट्स फेल्योर मरीजों की जान ले रहा है। वायरस के पोस्ट इफेक्ट से जहां डॉक्टर्स भी हैरान हैं वहीं बड़ी समस्या ये है कि पोस्ट कोविड इफेक्ट होने के बावजूद ऐसे मरीजों की मौत किसी भी आंकड़े में शामिल नहीं हो रही है।

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ये है वजह

कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर पड़ता है। डॉक्टर्स के मुताबिक कई बार नॉर्मल एक्सरे में कोविड-19 का ज्यादा असर पता नहीं चल पाता जबकि वायरस की महीन-महीन कॉलोनियां तेजी से सिस्टम में डेवलप हो जाती है। रिकवर होने के बाद ये फेफड़ों पर व्हाइट पैच छोड़ देता है। इसकी वजह से फेफड़े सिकुड़ जाते हैं। फेफडा़ें की इलास्टीसिटी खत्म हो जाती है और कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है। मरीज के ठीक होने के बाद भी उसमें एक्यूट रेसपेरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम डेवलप हो जाता है। लेवल थ्री के मरीजों में इसकी स्थिति गंभीर होती है और काफी इलाज के बाद भी मरीज की मौत हो जाती है।

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ये हो सकती है दिक्कत

कोरोना वायरस से रिकवर होने वाले मरीजों को सांस लेने में दिक्क्त के साथ सांस फूलना, खांसी, हार्ट पर लोड बढ़ना, सीने में चुभन जैसी समस्याएं काफी देखने में आ रही हैं। इसके साथ ही जल्दी हांफ जाना, हाथों-पैरों में दर्द भी पोस्ट इफेक्ट के तौर पर सामने आ रहे हैं।

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नहीं है आंकड़ा

कोरोना वायरस संक्रमण से होने वाली मौतों में मेरठ जिला मंडल में सबसे आगे हैं। 27 मार्च को यहां पहला केस मिला था। तब से अब तक कुल 372 मरीजों की मौत कोरोना वायरस के इलाज के दौरान हुई। नवंबर महीने में कुल 72 मौतें सरकारी आंकड़ो में दर्ज हुई। जबकि पोस्ट कोरोना इफेक्ट के तौर पर होने वाली मौतों का कोई आंकड़ा विभाग के पास नहीं हैं।

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कोविड-19 के नेगेटिव होने के बाद मरीज चेकअप नहीं कराते हैं। दूसरी बीमारियां डेवलप हो जाती है और नेगेटिव होने के बाद मरीज की मौत हो जाती है। चूंकि इसकी कोई जानकारी नहीं होती है लेकिन मरीज को चाहिए कि वह नेगेटिव होने के बाद भी सावधानी बरते।

डा। ज्ञानेंद्र कुमार, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive