22 मरीजों को अब तक मिल चुकी है सुविधा, रोजाना आ रहे हैं चार से पांच आवेदन

स्वास्थ्य विभाग के साथ मरीजों के लिए भी राहत लेकर आया होम आइसोलेशन

Meerut। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही थी। सभी को अस्पतालों में आइसोलेट कराने में स्वास्थ्य विभाग के पसीने छूट रहे थे। ऐसे में करीब 10 दिन पहले आया होम आइसोलेशन का नियम राहत लेकर आया। हालांकि इसके तहत मरीज को आइसोलेट होने से लेकर इलाज तक की पूरी व्यवस्था खुद करनी पड़ रही है। मगर इस नियम के बाद अस्पतालों को भी संजीवनी मिली है। वहीं मरीज भी चैन की सांस ले रहे हैं।

अस्पतालों को राहत

होम आइसोलेशन के चलते अस्पतालों को बड़ी राहत मिली है। इस नियम के बाद कोविड केयर सेंटर्स का बोझ कम हुआ है। मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से यहां भी सिस्टम हांफने लगा था। एसिम्टोमेटिक मरीजों के लिए जिले में चार सेंटर्स चल रहे हैं। इसमें पांचली खुर्द, श्रीराम आयुर्वेदक मेडिकल कॉलेज, होम गार्ड ट्रेनिंग सेंटर, एमएसवाई सेंटर शािमल हैं। मरीजों के लिए यहां करीब 500 बैड की सुविधा है। ऐसे में लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों की देखभाल अस्पतालों में मुश्किल हो रही थी। एल-1 पांचली के इंचार्ज एसीएमओ डॉ। प्रवीण गौतम ने बताया कि होम आइसोलेशन से मरीजों को बड़ी राहत मिली है। वहीं अस्पतालों में भी भार कम हो रहा है। मरीज कम होने से अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुिवधाएं मिल पा रही हैं। वहीं ऐसे मरीज जिन्हें घर में आराम मिल रहा है, उनके लिए ये बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।

मरीज के घर का निरीक्षण

स्वास्थ्य विभाग की ओर से डॉ। सुधीर कुमार को होम आइसोलेशन के लिए नोडल फैसिलिटी एलोकेशन इंचार्ज बनाया गया है। इस दौरान होम आइसोलेशन के लिए आने वाली सभी एप्लीकेशन नोडल की ओर से ही आरआरटी यानी रैपिड रेस्पांस टीम को तुरंत व्हाट्सएप पर फॉरवर्ड करनी होती हैं। जिसके बाद टीम मरीज के घर जाकर निरीक्षण करेगी। साथ ही मरीज के घर की स्थिति का भी निरीक्षण किया जाएगा। मरीज का आवेदन मूल्यांकन चेकलिस्ट के आधार पर स्वीकार किया जाएगा। अगर सभी जानकारी और नियम पूरे होते हैं तो मरीज को होम आइसोलेशन की सुविधा मिलेगी। कंट्रोल रूम के इंचार्ज डॉ। वीपी शर्मा ने बताया कि होम आइसोलेशन के लिए मरीज 9411252145 पर लिखित रूप से आवेदन दे सकते हैं। वहीं मरीज एकीकृत कमांड कंट्रोल नंबर 0121-2662244, 0121-2668470, 0121-2668370 पर भी सूचना दे सकते हैं।

कौन हो सकता है होम आइसोलेट

जिन संक्रमितों में फीवर, कोल्ड, खांसी या सांस लेने में तकलीफ नहीं है, वही संक्रमित होम आइसोलेट हो सकते हैं। इसके अलावा जिन मरीजों में कोरोना का एक भी लक्षण मिलता है, वह होम आइसोलेट नहीं हो सकते हैं। लक्षण वाले संक्रमितों का इलाज कोविड केयर हास्पिटल में होगा।

ये है व्यवस्था

होम आइसोलेशन जिले में प्रभावी हो चुका है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें और सीएचसी की टीमें मरीज की निगरानी करती है। यही नहीं होम आइसोलेशन के नियम का पालन करवाना भी इन्हीं टीमों का काम है। इनका उल्लंघन होने पर संक्रमित और उनकी देख-रेख में लगे तीमारदार के खिलाफ कोरोना महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है।

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होम आइसोलेशन के नियम

मरीज के लिए अलग रूम और अलग वॉशरूम का होना जरूरी है।

होम आइसोलेट होने के लिए संक्रमित मरीजों को इंफ्रारेड थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर, ट्रिपल लेयर मास्क, सेनेटाइजर, सोडियम हाइपोक्लोराइड के साथ घर को सेनेटाइज करने का इंतजाम भी करना होता है।

मरीज की देखभाल के लिए तीमारदार का होना जरूरी है।

संक्रमित को होम आइसोलेशन के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट को सेल्फ डिक्लीयरेशन फार्म भरकर देना होता है।

फार्म में होम आइसोलेशन नियम का पालन करने व एजुकेटेड अटेंडेंट की व्यवस्था होने की जानकारी देनी होती है।

संबंधित एरिया के सीएचसी के एमओआईसी व एसडीएम मरीज के घर का निरीक्षण करते हैं।

अगर दी गई जानकारी सही मिलती है, तभी मरीज को होम आइसोलेट किया जाता है।

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रोजाना चार से पांच आवेदन

स्वास्थ्य विभाग की मानें तो अब तक 22 मरीजों को होम आइसोलेशन की सुविधा मिल चुकी है। वहीं रोजाना कई आवदेन रिजेक्ट भी हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि होम आइसोलेशन के लिए हर दिन चार से पांच आवेदन आते हैं। मगर होम आइसोलेट करने की शर्ते और नियम पूरे करने जरूरी होते हैं। ऐसे में सिर्फ एक या दो रिक्वेस्ट को ही परमिशन मिल पाती है।

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वेस्ट डिस्पोजल के नियम

होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के वेस्ट डिस्पोजल के लिए भी अलग नियम तैयार किए गए हैं। इसके तहत मरीज को अपना बॉयो वेस्ट अलग रखना होता है। इसमें मॉस्क, गलव्ज समेत अन्य सामान को अलग से कैरी बैग में रखना होता है। इसके साथ ही इसके डिस्पोजल के लिए मरीज को खुद ही वेस्ट का मैनेजमेंट करना होता है या सिनर्जी वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम के जरिए भी मरीज इसका डिस्पोजल करवा सकते हैं। वेस्ट डिस्पोजल के लिए अलग से मरीज को जानकारी भी दी जाती है।

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इनका है कहना

हाल में ही कोरोना पॉजिटव आई एक मरीज का कहना है कि होम आइसोलेशन में रहकर अस्पताल के संक्रमण से बचा जा सकता है। वहीं घर में अपनी सहूलियत है। वह बताती हैं कि प्रेग्नेंट होने की वजह से उन्हें काफी डर था कि अस्पताल में कैसे इलाज होगा। ऐसे में उन्होंने होम आइसोलेशन के विकल्प को चुना। वह बताती हैं कि घर में इलाज करवाने की जिम्मेदारी खुद मरीज की होती है। रोजाना डॉक्टर को खुद ही अपना तापमान, बीपी आदि बताना होता है। वह सिर्फ पर्चे पर दवाइयां लिखकर दे देते हैं।

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शास्त्री नगर निवासी होम आइसोलेट हुए एक मरीज का कहना है कि अस्पतालों के इंतजामों को लेकर हमें बहुत डर लग रहा था। हमारे पास नियम पूरे करने के पूरे इंतजाम थे इसलिए हमने इस विकल्प को चुना। होम आईसोलेशन में सबसे बड़ा फायदा ये है कि घर में रहकर खाने-पीने से लेकर बाकी हर चीज का इंतजाम आपका खुद का होता है। बस थोड़ा घर में सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

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होम आइसोलेशन के लिए मरीज को आवेदन करना होता है। हमारी टीमें जाकर वेरीफिकेशन करती हैं। अगर टीम को लगता है कि मरीज होम आइसोलेशन में ठीक हो सकता है या उसको वहां किसी प्रकार का खतरा नहीं है, तभी परिमशन दी जाती है। होम आइसोलेशन में बिना लक्षण वाले मरीज होते हैं। ऐसे में सभी व्यवस्था मरीज को करनी होती है।

डॉ। राजकुमार, सीएमओ, मेरठ

Posted By: Inextlive