विभागों की मिलीभगत से खतरे में जान
5 डिपो से शहर में संचालित होती है बस सेवा
1100 बसें संचालित होती हैं इन पांच डिपो से 30 प्रतिशत बसों की ही हालत फिट 235 अनुबंधित बसें हैं भैसाली डिपो पर 184 बसें संचालित होती हैं मेरठ डिपो से 156 निगम और 140 अनुबंधित बसें हैं सोहराबगेट डिपो में 60 निगम बसें संचालित होती हैं गढ़ डिपो से 70 निगम व 70 अनुबंधित बसें हैं बड़ौत डिपो से मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट 120 कमल, लो फ्लोर, मिनी बसें और 20 एसी बसें रिमाइंडर के बाद भी नही हो रहा बसों की हालत में सुधार यात्रियों की अधिक संख्या होने पर अनफिट बसों का संचालन होता है।Meerut। सरकारी विभागों की मिलीभगत और एक दूसरे के लिए रियायत के चलते रोजाना रोडवेज की बसों में सफर करने वाले यात्रियों की जान खतरे में है। विभागों के आपसी तालमेल के चलते सरकारी बसों की फिटनेस में ढील दी जाती है, जिसके चलते सड़कों पर ना चलने योग्य बसें भी रूटों पर सवारियां ढो रही हैं।
केवल कागजों में फिटनेसमोटर व्हीकल एक्ट 56 के अनुसार यदि वाहन संचालन संबंधी सभी मानक पूरे कर रहा है तभी उसको फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाना चाहिए। लेकिन हालत यह है कि मेरठ निगम की रोडवेज बसों की हालत इस कदर खस्ता है कि वर्कशॉप में रिपेयरिंग के लिए बसों की भरमार है ये वो बसें है जो हर साल फिटनेस टेस्ट में पास कर दी जाती हैं। जबकि ये बसें अपने भौतिक सत्यापन में ही पास नही हो सकती हैं।
सरकारी तालमेल से मिल रही छूट आरटीओ और रोडवेज दोनो परिवहन निगम के अंर्तगत हैं। ऐसे में दोनों विभागों के बीच आपसी तालमेल के चलते रोडवेज द्वारा फिटनेस के लिए हर साल भेजी जाने वाली खटारा बसों को आरआई द्वारा फिट करार दे दिया जाता है। यहां तक कमियां उन्हें दूर करने के लिए रिमाइंडर तो भेजा जाता है लेकिन रिमांइडर का फॉलो नही किया जाता। ये हैं मानक रोडवेज बसों की बॉडी पर डेंट पेट सही होना चाहिए बसों के टायरों की स्थिति नई होनी चाहिए, रिमोल्ड नही होना चाहिए बस का विंड स्क्रीन क्षतिग्रस्त नही होना चाहिए, साफ सुथरा हो बसे में फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र, सीट बेल्ट होनी चाहिए बस में फॉग बल्ब, खिड़कियों पर रेलिंग, यलो टेप लगी होनी चाहिए बस में आगे पीछे के इंडिकेटर चालू हालत में होने चाहिए आपातकालीन गेट की हालत दुरुस्त होनी चाहिएबस के पिछले शीशे पर रेलिंग या जाल ना लगा हो
मुसाफिरों के पकड़ने के लिए सपोर्ट रॉड मजबूत होनी चाहिए सभी सामान्य बसों की तरह रोडवेज बसों का भी हर साल फिटनेस होता है। लेकिन इन बसों की संख्या कम और शेडयूल होने के कारण फिटनेस के लिए रोकी नही जाती है केवल कमी दूर कराने का रिमांइडर जारी कर दिया जाता है। चंपा लाल निगम, आरआई टेक्नीकल हर साल सभी बसों का नियमानुसार फिटनेस किया जा रहा है। जो बसें दस साल से पुरानी हो गई हैं उनका संचालन बंद हैं। कई बार सफर के दौरान बस में कमी आ जाती है उसे वर्कशॉप में समय से सही कराया जाता है। एसके बनर्जी, आरएम रोडवेज