विंटर डिप्रेशन का खतरा
- 15 से 20 मरीज सैड के हफ्ते में पहुंच रहे हैं जिला अस्पताल
- 30-40 मरीज ऐसी ही समस्याओं को लेकर आ रहे हैं मेडिकल कॉलेज - गिरते तापमान से दिमाग में होने वाले केमिकल रिएक्शन होते हैं प्रभावितMeerut । सर्दी की थर्ड डिग्री अब आम लोगों को परेशान कर रही है। बीते दिनों चार डिग्री से नीचे पहुंचे पारे ने लोगों के हाड़ कंपा दिए हैं। हालत यह है कि कड़कड़ाती सर्दी की वजह से नसें भी फ्रीज होने लगी र्है। जिसका सीधा असर दिमाग पर भी पड़ रहा है। नतीजतन, लोग सीजनल अफेक्टिव डिस्आर्डर यानी सैड के शिकार होने लगे हैं। सामान्य भाषा में इसे विंटर डिप्रेशन भी कहते हैं। मेंटल हेल्थ के तहत चल रही मानसिक रोग ओपीडी में इन दिनों में ऐसे मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। काउंसलर्स का कहना है कि इस मौसम में दिमाग में होने वाले केमिकल रिएक्शन प्रभावित होने लगते हैं। इसी केमिकल लोचे की वजह से लोगों में डिप्रेशन होने लगता है।
यह है स्थितिजिला अस्पताल में चल रही मेंटल हेल्थ ओपीडी में इन दिनों हफ्ते भर में 15 से 20 मरीज सैड के पहुंच रहे हैं। मेडिकल कॉलेज की मेंटल हेल्थ ओपीडी में भी 30-40 मरीज ऐसी ही समस्याओं को लेकर आ रहे हैं। इन मरीजों में महिलाओं की सबसे ज्यादा संख्या है। जबकि युवा की संख्या भी कम नहीं है।
ये है वजह काउंसलर्स के अनुसार दिमाग में सेरॉटोनिन केमिकल हमारे मूड पर असर डालता है। धूप में ये तेजी से बनता है। जब धूप कम होती है और मौसम में धुंध छाने लगती है और आसपास का माहौल डार्क हो जाता है तब इस केमिकल का रिसाव कम या बेहद कम हो जाता है। ऐसे में मूड स्विंग्स बहुत तेजी से होने लगता है और मूड नॉर्मल नहीं रह पाता है। कुछ लोगों पर इसका असर कम होता है लेकिन कुछ लोग मौसम में बदलाव होते ही इसका शिकार हो जाते हैं। कई बार ये सीवियर डिप्रेशन में भी तब्दील हो जाता है। महिलाओं में हार्मोन बदलाव और विटामिन डी की कमी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से वह इसकी ज्यादा शिकार होती हैं। ये हैं लक्षण सिर में दर्द रहना काम में मन न लग पाना अकेलापन बैचेन रहना छोटी-छोटी बातों को लेकर स्ट्रेस में आना चिड़चिड़ा होना और अधिक गुस्सा करना थकान बिना वजह रोने लगना ऐसे दूर करें डिप्रेशन - अधिक से अधिक धूप में बैठने की कोशिश करें।- अकेले न रहे, म्यूजिक सुनें, किताबें पढ़ें और सिनेमा देखें।
क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। एक्सरसाइज करें ताकि मूड बदलने में मदद मिल सके। शॉपिंग करें, दोस्तों के साथ वक्त बिताएं, परिवार के लोगों के बीच रहें। बहुत ज्यादा किसी विषय के बारे में न सोचें। इंसान के शरीर में होने वाले केमिकल रिएक्शन मौसम से काफी प्रभावित होते हैं। धूप का रोल इसमें काफी अहम होता है। सर्दी के दिनों में सुबह और शाम को धुंध होती है। माहौल डार्क हो जाता है। इसकी वजह से लोग डिप्रेशन के ज्यादा शिकार होते हैं। डॉ। विभा नागर, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट, जिला अस्पताल मौसम बदलने के साथ स्ट्रेस और थकान बढ़ जाती है। सुबह और शाम को डिप्रेशन जैसी फीलिंग आने लगती है। सर्दियों में मूड में तेजी से बदलाव आता है। कभी गुस्सा आने लगता है, कभी मन उदास हो जाता है। इसे ही विंटर डिप्रेशन कहते हैं। डॉ। रवि राणा, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट