आधी रात को मौत के घाट उतारकर फेंक दिए जाते है शव

मेरठ में हर महीने मिलते हैं गोली लगे हुए दो से तीन शव

शव की पहचान कराने में पूरी तरह से नाकाम हो रहा है पुलिस प्रशासन

मोर्चरी में तीन दिन रखने के बाद पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार कर दिया जाता है

Meerut । मेरठ में एक ऐसा गैंग सक्रिय हो गया है जो आधी रात को गोली मारकर मौत के घाट उतार देता है और शव को फेंक कर फरार हो जाता है। यूं तो मेरठ में लावारिश शव बहुत मिलते हैं, लेकिन गन शॉट के दो से तीन केस हर महीने मिलते हैं। जिनकी पहचान कराने में पुलिस पूरी तरह फेल साबित हो रही है। सवाल है जब पुलिस शव की पहचान कराने में फेल हो रही है तो ऐसे में आरोपी कैसे पकड़े जाएंगे? पुलिस की पूरी तरह से लापरवाही सामने आ रही है।

तीन दिन तक रखा जाता है मोर्चरी में शव

कोई भी शव पुलिस को मिलता है तो पुलिस मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में शव को तीन दिन तक रखती है। तीन दिन के अन्दर शव को पहचान करने के लिए कोई आता है तो पुलिस पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को दे देती है जो शव का अंतिम संस्कार कर देते है। यदि शव की पहचान नहीं होती तो तीन दिन बाद मानव सेवा समिति के द्वारा शव का अंतिम संस्कार या सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाता है।

मेरठ जिले और आसपास जिलों में कराया जाता है वायरलैस

जब भी कोई शव मिलता है तो संबंधित थाने की पुलिस उसका हुलिया देखने के बाद मेरठ शहर और देहात के थानों को वायरलैस करा देती है, जिसके बाद शव की पहचान करने के लोग आते रहते हैं। यदि किसी का शव होता है तो पुलिस नियम अनुसार उसको दे देती है यदि शव की पहचान नहीं होती तो उसका अंतिम संस्कार पुलिस पोस्टमार्टम के बाद करा देती है। मेरठ जिले के अलावा आसपास के जिलों में भी वायरलैस करके शव की पहचान कराने की कोशिश की जाती है। दूसरे राज्यों में शव की पहचान नहीं हो पाती है। यह पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होती है।

लापरवाह पुलिस, न सोशल मीडिया पर शेयर और प पोस्टर

जब कोई बच्चा या व्यक्ति अपहत या लापता होता है तो उसके लिए नियम होता है कि उसका फोटो सोशल मीडिया पर हुलिया के साथ शेयर किया जाता है। इसके साथ ही बसों पर रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन पर पोस्टर चस्पा किए जाते है। लेकिन यहां पर ऐसा पुलिस कुछ भी नहीं कराती है। पुलिस की लापरवाही की वजह से ही पहचान नहीं हो पाती है। इसके अलावा जब कोई शव मिलता है तो उसकी पहचान कराने के लिए भी पंपलेट छपवाकर और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित करने का नियम है। यहां भी ऐसा कुछ नहीं होता है। पुलिस प्रशासन पूरी तरह से लापरावाह साबित हो रही है।

रिकॉर्ड होता है मेनटेन

जिस थाना क्षेत्र में शव मिलता है वहां की पुलिस शव का फोटो खींचती है। जब शव का अंतिम संस्कार या शव को सुपुर्द-ए-खाक करती है तो पुलिस नियम अनुसार वीडियो भी बनाती है। अंतिम संस्कार या फिर सुपुर्द-ए-खाक करते वक्त पूरी वीडियोग्राफी होती है। यह फोटो और वीडियोग्राफी थानेदार अपने रिकॉर्ड में सुरक्षित रखते हैं। इसका पूरा डाटा डीसीआरबी को भेज दिया जाता है। वह भी अपने रिकॉर्ड में मेनटेन रखते है।

इन्होंने कहा

मेरठ में अज्ञात शव मिलने के बाद उनकी पहचान कराने की कोशिश की जाती है। पहचान होने के बाद परिजन जिनके खिलाफ तहरीर देते है उनकी तहरीर पर जांच पड़ताल करके जिसका पर शक जताया जाता है उन पर कार्रवाई करते है।

अजय साहनी, एसएसपी, मेरठ।

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18 फरवरी 2021 को भावनपुर के पचपेड़ा गांव के जंगल में गोली लगा शव मिला है। इनकी पहचान नहीं हो सकी है। अभी तक पहचान नहीं हुई है।

15 फरवरी को हस्तिनापुर में एक युवक के गोली मार कर आरोपी फरार हो गए, जिसका जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है।

15.10.2020 को लिसाड़ी गेट क्षेत्र में सुबह एक युवक का गोली लगा शव मिला था। इस शव की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। पूरी तरह से फेल साबित पुलिस हो रही है

15.10.2020 को ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के माधवपुरम में नाला सफाई के दौरान युवक की लाश मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। पुलिस का मानना था किसी ने हत्या करने के बाद शव को नाले में फेंक दिया हो लेकिन अभी तक नहीं हो सकी है।

24.9.2019 को लालकुर्ती क्षेत्र के एसएसडी ब्वायज इंटर कॉलेज के पास गन शॉट का शव मिला था। पुलिस ने शव की पहचान कराने की कोशिश की लेकिन शव की पहचान नहीं हो सकी है।

26 अक्टूबर को लिसाड़ी गेट में बंद बोरे में टुकड़ों में शव मिला था। आज तक महिला की पहचान नहीं हो सकी है। छह महीने बाद भी पुलिस शव की पहचान कराने में पूरी तरह नाकाम साबित रहे है।

Posted By: Inextlive