आपदा में अवसर बना डिजिटल माध्यम
डीजे आई नेक्स्ट ने किया 'कोरोना काल और ऑनलाइन एजुकेशन की चुनौतियां' विषय पर वेबिनार का आयोजन
कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर स्कूल संचालकों ने रखे विचारMeerut। कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में अलग ही परिस्थिति पैदा हो गई है। रहन-सहन के साथ ही काम करने के तौर-तरीकों में परिवर्तन आया है। एजुकेशन सिस्टम भी बदल चुका है। ब्लैक बोर्ड और चॉक की जगह मोबाइल और लैपटॉप ने ले ली है। स्टूडेंट्स के साथ ही पूरा सिस्टम डिजटल मोड में आ गया है। हालांकि अचानक आए इस बदलाव के लिए कोई तैयार नहीं था लेकिन स्टूडेंट्स, टीचर्स से लेकर पेरेंट्स तक ने इस बदलाव को पॉजिटिवली अडॉप्ट किया गया। हालांकि स्कूल संचालक मानते हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर बहुत चुनौतियां सामने आई हैं। मंगलवार को दैनिक जागरण आई नेक्सट की ओर से कोरोना काल और ऑनलाइन एजुकेशन की चुनौतियां टॉपिक पर वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें शहर के कई जाने-माने स्कूल डायरेक्टर्स और प्रिंसिपल्स ने भाग लिया।
फीस का इश्यूस्कूल संचालकों का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन हुआ। स्कूल बंद हो गए लेकिन स्कूलों ने एजुकेशन से खुद को जोड़कर रखा। बावजूद इसके फीस का बड़ा संकट स्कूलों का झेलना पड़ रहा है। ऑनलाइन एजुकेशन के लिए टूल्स के साथ ही सेलेरी का खर्च निकालना भारी पड़ गया है। जबकि किसी भी स्कूल ने एजुकेशन से बच्चों को वंचित नहीं रखा है।
नेटवर्क की दिक्कत ऑनलाइन एजुकेशन में नेटवर्क का इश्यू काफी बड़ा रहा। हालांकि स्कूलों ने हर स्तर से इसे सॉल्व करने की कोशिश की। पढ़ाई बीच में डिस्टर्ब न हो इसके लिए टीचर्स ने स्टूडेंट्स के साथ प्रॉपर कम्युनिकेशन बनाया। अभी भी संचालक ये मानकर चल रहे हैं कि स्कूल जनवरी-फरवरी तक नहीं खुलेंगे। ऐसे में सभी स्कूलों ने खुद को इसके लिए अपडेट किया है। स्कूल संचालकों का कहना है कि अगर बच्चों को फ्री छोड़ दिया जाता तो उनका माइंड डाइवर्ट हो सकता था। उनकी पढ़ाई का पूरा रुटीन बिगड़ सकता था। एजुकेशन ने सभी को एक तार में पिरोकर रखा हुआ है। ऑनलाइन क्लासेज में शुरू में बहुत चुनौतियां सामने आई। स्कूलों ने इन्हें स्वीकार किया और खुद को तैयार किया। बच्चों को बेहतर एजुकेशन मिले इसके लिए पूरे प्रयास किए गए हैं। यहां तक की स्टूडेंट्स की सहूिलयत के हिसाब से उन्हें क्लासेज भी प्रोवाइड की जा रही है। शाम को भी स्टूडेंट्स को क्लासेज प्रोवाइड करवाई जाती है।डॉ। अल्पना शर्मा, प्रिंसिपल, डीएवी पब्लिक स्कूल
कोरोना काल में सही-गलत की परिभाषा बदल गई है। कल तक इसे हािनकारक समझ रहे थे वह इस समय की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। टीचर्स, स्टूडेंट्स और पेरेंट्स ने खुद को इस बदलाव के लिए तैयार किया। ऑनलाइन एजुकेशन की शुरुआत जरूर मजबूरी में हुई लेकिन अब ये आने वाले समय की जरूरत बन गई है। कंवलजीत सिंह, डायरेक्टर-प्रिंसिपल, द गुरुकुलम इंटरनेशनल स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन का डिसीजन सही समय पर लिया गया है। पॉजिटविटी के साथ सभी ने इसे अडॉप्ट किया। स्कूल के स्टाफ को के साथ ही पेरेंट्स और बच्चों को ट्रेनिंग दी गई। नई टेक्नोलॉजी के साथ हमने खुद को ढाला। पहले जूम एप फिर गूगल एप और इसके साथ अब नई टेक्नोलॉजी भी हमने अडॉप्ट की। अनुज शर्मा, डायरेक्टर, सत्यकाम इंटरनेशनल स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन में तमाम चुनौतियां आई हैं। नेटवर्क प्रॉब्लम और टाइमिंग की समस्या रही। मगर अब ये आपदा में अवसर की तरह बन गया है। टीचिंग और लर्निग का एक नया रूप सामने आया है। अभी तो ये शुरुआत है, भविष्य में इसका ही स्कोप रहेगा। ऐसे में मान सकते हैं कि अब ये न्यू नॉर्मल हो गया है। संजीव अग्रवाल, प्रिंसिपल, बीएनजी इंटरनेशनल स्कूलकोरोना काल ने एजुकेशन का पूरा सिस्टम बदल दिया है। अब ग्लोबल का लोकल और लोकल का ग्लोबल हो गया है। स्कूल कम्यूिनटी ने पूरे प्रयास किए हैं। हालांकि इसके लिए सरकार भी तैयार नहीं थी लेकिन फिर भी प्राइवेट सेक्टर ने आगे आकर एक शुरुआत की है। जिसका अच्छा रेस्पांस अब सामने आने लगा है।
अतिम कुमार, डायरेक्टर, नोबेल पब्लिक स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन को कोरोना काल में विस्तार मिला है लेकिन पहले से ही हम इसका प्रयोग करते आ रहे हैं। हालांकि अब जब बड़े पटल पर ये सामने आया है तो समाज ने भी इसमें सहयोग दिया है। इससे बच्चों के लिए एक अलग माहौल तैयार हुआ है। स्टूडेंट्स को स्कूल का फील देने के लिए हर संभव प्रयास किए गए हैं। सतीश शर्मा, प्रिंसिपल, शांति पब्लिक स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर शुरू में काफी विरोध हुआ लेकिन किसी भी वजह से बच्चों को शिक्षा से अलग नहीं कर सकते हैं। पेरेंट्स ने इस बात को समझा और सहयोग किया। हालांकि अब कुछ लोग जिनका एजुकेशन से कुछ लेना-देना नहीं है वही इसका विरोध कर रहे हैं। जबकि स्कूल सिर्फ नोबेल एक्ट को देखते हुए हर परिस्थिति में अपना बेस्ट दे रहे हैं।पूनम शर्मा, सीनियर एजुकेशनिस्ट
कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन बहुत बड़ा टूल साबित हुआ है। एजुकेशन और उसकी क्वालिटी को बनाए रखने के लिए पूरे प्रयास किए गए हैं। बोर्ड ने स्टूडेंट्स के लिए सिलेबस भी कम किया है। हालांकि ये कुछ समय के लिए है। जल्द ही सब कुछ पहले जैसा होगा। बोर्ड स्टूडेंट्स के लिए भी बोर्ड ने जल्द ही बेहतर विकल्प तैयार कर लिए हैं। नरेश कुशवाहा, प्रिंसिपल, महावीर इंटरनेशनल स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन ने मैन्यूल एजुकेशन को रिप्लेस किया है। इसमें कुछ चुनौतियां जरूर है लेकिन इसकी वजह से आगे की संभावनाएं बढ़ गई है। एजुकेशन सिस्टम काफी आगे बढ़ गया है। टेक्नोलॉजी अपडेट होने के साथ ही कई इनोवेशंस हुए हैं। माधवी सिंह, प्रिंसिपल, एमआईईटी स्कूल