गंदा मास्क बना देगा ब्लैक फंगस का शिकार
डॉक्टर्स बोले, गंदे मास्क में नमी के कारण पनप सकती है फंगस
मास्क सफाई और उसे बदलने को लेकर लोगों में जागरूकता की जरूरत है Meerut। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का खतरा लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। इस बीमारी के लिए अलग-अलग कारणों के जिम्मेदार होने के साथ गंदा मास्क भी इसका कारण बन रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि गंदे मास्क में नमी के कारण फंगस पनप सकती है और नाक के जरिए लोगों को शिकार बना सकती है। मास्क सफाई और उसे बदलने को लेकर लोगों में जागरूकता की जरूरत है। बीमारियों का गंदा मास्कएक्सपर्ट्स के गंदा मास्क कोरोना से बचाने की बजाए कई बीमारियों का हब बनता जा रहा है। एसीएमओ डॉ। पूजा शर्मा का कहना है कि लोग डिस्पोजेबल मास्क को भी दो से पांच दिन तक यूज कर रहे हैं। कपड़े के मास्क को भी लोग 10 से 15 दिनों के अंतराल पर लोग धो रहे हैं। एक ही मास्क बहुत अधिक लंबे समय तक इस्तेमाल करने से गले में दर्द, पेट संबंधी बीमारियां, गले में खिचखिच, अपच और सांस संबंधी दिक्कतें होने लगी है।
अनुकूल माहौल मिलता हैडॉक्टर्स का कहना है कि नाक और नेसोफिरिंजियल में म्यूकर होते हैं। गंदा मास्क लगाने से इन्हें अनुकूल माहौल मिल जाता है और ये पनपने लगते हैं। बीमारी बढ़ाकर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देते हैं और संक्रमण तेजी से फैलने लगता है। नाक से खून रिसना और आंखों में सूजन जैसे लक्षण आने लगते हैं।
ऐसे हो रही समस्या डॉक्टर्स बताते हैं कि लंबे समय तक एक ही मास्क को इस्तेमाल करने से मास्क के छेदों में गंदगी भर जाती है। सांस लेने के दौरान गीला होने से नमी पनपती है और कई तरह के फंगस और बैक्टेरिया इसमें पनपने लगते हैं। वहीं इससे ऑक्सीजन की भी कमी होने लगती है और घुटन की समस्या भी हो सकती है। यदि मास्क पहनने के बाद गले में समस्या हो तो साफ है कि मास्क कीटाणुओं से भर गया है। यह कीटाणु ही गले में परेशानी कर रहे हैं। ऐसे करें साफ डिस्पोजल मास्क को रीयूज न करें। कपड़े और री-यूज होने वाले मास्क को सादे पानी से न धोएं। मास्क को धोने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें। 5 से 10 मिनट के लिए उसे पानी में डालकर रख दें। इसके बाद साबुन से धोएं। चार से पांच घंटे तक तेज धूप में सूखने दें।यदि घर में धूप नहीं आती है तो मास्क को गर्म पानी से धोने के बाद 15 मिनट डिटॉल में भिगोकर रख दें और फिर सुखाएं।
गीले मास्क का उपयोग नहीं डॉक्टर्स का कहना है कि गीले मास्क का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे कीटाणु पनप सकते हैं। मास्क के सूखने के बाद इसे तीन से चार मिनट तक प्रेस करें। मास्क को बार-बार हाथ लगाने से बचें। हर इस्तेमाल के बाद मास्क को धोना जरूरी है। मास्क को साफ न करने से उसमें फंगस पैदा हो जाता है और ये शरीर में फैल सकता है। मास्क की सफाई बेहद जरूरी है। डॉ। ज्ञानेंद्र कुमार, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज हाई रिस्क जोन मेरठ में 16 टीमें करेंगी सीरो सíवलांसप्रदेश में कोरोना वायरस के प्रति बनी प्रतिरोधक क्षमता की जांच के लिए जून के पहले सप्ताह में बड़ा अभियान शुरू होगा। जिले में करीब एक हजार लोगों के रक्त सैंपल लेकर उनमें आइजीजी एंटीबाडी की जांच की जाएगी। मेरठ, लखनऊ, बनारस, गाजियाबाद में 16-16, वहीं अन्य जिलों में दस-दस टीमों को सर्वे के लिए गठित किया गया है। मेरठ को हाई रिस्क जोन मानते हुए झुग्गियों में भी एंटीबाडी की जांच होगी। प्रदेशभर के सैंपल की जांच केजीएमयू और एलएलआरएम मेरठ में होगी।
टीमों का गठनमेरठ में 16 टीमों का गठन किया गया है, जिसमें डाक्टर, लैब टेक्नीशियन और आशा कार्यकर्ता होंगी। प्रदेश सरकार 31 इकाइयों की सूची भेजेगी। हर इकाई से 24 लोगों का ब्लड सैंपल लिया जाएगा। सीएमओ डा। अखिलेश मोहन ने बताया कि पिछले साल सितंबर में जिन लोगों के सैंपल में एंटीबाडी मिली थी, उसमें से 42 की सूची बनाई गई है, जिसे प्रदेश सरकार जांच के लिए भेजेगी। इनमें पता किया जाएगा कि पिछली बार बनी एंटीबाडी की मात्रा बढ़ी है या नहीं। मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डा। अशोक तालियान ने बताया कि शहरी झुग्गियों में से नौ की सूची बनाई गई है। प्रत्येक में से 18-18 लोगों का सैंपल लेने का लक्ष्य है। इसमें अलग-अलग उम्र वर्ग के लोग शामिल किए जाएंगे। लिखित सहमति के बाद ही किसी व्यक्ति का सैंपल लिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की टीम एक फार्म भरवाएगी। जून के पहले सप्ताह से सीरो सर्वे शुरू कर दिया जाएगा। पिछली बार मेरठ में 22 फीसद में एंटीबाडी बनी थी, लेकिन इस बार लहर पांच गुना थी। माना जा रहा है कि अब 60 फीसद लोगों में एंटीबाडी मिल सकती है। बता दें कि सीरो सर्वे के जरिए रक्त में बनी प्रतिरोधक क्षमता जांची जाती है। वायरस के संपर्क में आने पर व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता बनती है।