रेबीज में बिल्कुल ना बरतें लापरवाही
-ज्यादातर अस्पतालों में नहीं है एंटी रेबीज वैक्सीन
-भ्रम और भ्रांतियों ने बढ़ा दिया आमजन में रोग का हौव्वा Meerut: एक होनहार युवा महज लापरवाही में असमय काल के गाल में समा गया। जरा सी चूक जिंदगी पर भारी पड़ गई। रेडियो जॉकी कपिल स्वामी की मौत ने जहां सबको स्तब्ध कर दिया है तो वहीं सवाल यह भी है कि शिक्षित होने के बाद भी हम अपने स्वास्थ्य को लेकर क्यों लापरवाह हो रहे हैं? हालांकि जिम्मेदार विभागों की लापरवाही भी चरम पर हैं। आई नेक्स्ट टीम ने मंगलवार को शहर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों को खंगाला। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि जनपद में महज जिला अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध है। रोजाना 250 से अधिक कुत्ता काटे के मरीज जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। सिर्फ जिला अस्पताल में वैक्सीनमेरठ में सिर्फ जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध है। शहर एवं देहात क्षेत्रों में स्थापित सीएचसी, पीएचसी के अलावा मेडिकल कॉलेज में भी इन दिनों वैक्सीन नहीं है। जिला अस्तपाल स्थित एआरवी रूम में दिनभर मरीजों की हुजूम उमड़ा रहता है। ड्यूटी डॉक्टर रविंद्र गोयल ने बताया कि हम मरीजों के साथ रिस्क नहीं लेते हैं। हालांकि जागरूकता हो तो एंटी रैबीज की आवश्यकता कम ही पड़ती है। जिस कुत्ते में रेबीज वायरस नहीं है उसके काटने से मरीज को कोई नुकसान नहीं है।
लापरवाही पड़ेगी भारी कुत्ते बंदर के काटने पर कभी भी लापरवाही न बरतें अन्यथा आप रेबीज के शिकार हो सकते हैं। जब कोई कुत्ता या बंदर काटे तो तुरंत नजदीकी चिकित्सक से इलाज करवाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अक्सर में कुत्ते या बंदर के काटने पर घरेलू उपचार करने लग जाते हैं। इससे रेबीज का खतरा बढ़ जाता है। व व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। रेबीज क्या है? रेबीज को हाइड्रोफोबिया भी कहा जाता है। यह पशुओं से फैलने वाला वायरल जूनोटिक इन्फेक्शन है। इससे इंकेफोलाइटिस जैसा उप द्रव्य होता है। जो निश्चित रूप से चिकित्सा न किए जाने पर घातक होता है। इसका प्रमुख कारण किसी पागल कुत्ते का काटना होता है। रेबीज कैसे होता है?किसी संक्रमित पशु के काटने या खुले घाव को चाटने से यह इन्फेक्शन होता है। यह इन्फेक्शन पशुओं में लड़ने या काटने से फैलता है। जब ऐसे संक्रमित पशु आदमी के संपर्क में आते हैं तो इसे आदमी में भी फैलाते हैं। वायरस आदमी के शरीर में प्रवेश करने यह इंद्रियों पर आक्रमण करता है और मेरूदंड से मस्तिष्क तक जाकर एंसेफ लाइटिस उत्पन्न करता है जो कि घातक होती है।
रेबीज के प्रमुख लक्षण प्रारंभिक लक्षण -बुखार, मतली और सिरदर्द। -इन्फेक्शन फैलने से अनैच्छिक छटके अनियंत्रित उत्तेजना, सुस्ती और श्वास का पक्षाघात होना। -पानी पीने का प्रयत्न करने पर अचानक ऐंठन, सांस में रुकावट। इलाज कैसे होता है? -कुत्ते के काटते ही तुरंत छह से आठ घटे या अधिक से अधिक 24 घटों में एंटी बॉयोटिक का टीका लगवाएं। -3, 5 या 7 इंजेक्शन लगवाएं। -यदि कुत्ता काटने के 10 दिन के बाद तक भी स्वस्थ है तो सावधानी के लिए तीन इंजेक्शन ही पर्याप्त हैं। -यदि कुत्ता असामान्य व्यवहार करता है जैसे कई अन्य लोगों को काटता है। क्या रखें सावधानियां -जितना हो सके घाव को बहते गुनगुने पानी से धोना चाहिए । -घाव को कभी ढके नहीं। इसकी पट्टी न करें और टांके न लगवाएं। -नजदीकी दवाखाने में या सरकारी अस्पताल में जाएं जहां एआरवी उपलब्ध होती हैं। -कुत्ता या पशु का निरीक्षण 10 दिन तक करें। -यदि कुत्ता पालतू है तो जानें कि उसे टीका दिलाया गया अथवा नहीं और जानें की उसे घुमाने ले जाया जाता है या नहीं। ---बंदर या कुत्ते के काटने पर तुंरत चिकित्सक से इलाज करवाएं। घरेलू उपचार कभी न करें। एंटी रेबीज इंजेक्शन कोर्स ही अपनाएं।
-डॉ। तनुराज सिरोही, फिजीशियन