गली-मोहल्लों में बिक रही सिंथेटिक ड्रग्स, स्कूल और कॉलेज के युवा बन रहे ड्रग्स पैडलर का शिकार

पारंपरिक नशा

तंबाकू, सुल्फा, भांग, गांजा, चरस, और शराब

सिंथेटिक ड्रग्स

स्मैक, हेरोइन, कोकीन, कै्रंक कोकीन, बार्बीचुरेट्स, क्रिस्टल मैथ, एलएसडी, और नशीले ड्रग्स और इंजेंक्शन

Meerut। सिंथेटिक ड्रग्स का नशा एक ऐसी आदत, जिसके चंगुल में फंसकर न जाने कितने युवा अपनी जिंदगी बर्बाद कर चुके हैं। यह बात सुनकर एक बार को तो यकीन न हो, मगर हकीकत यह है कि अब मेरठ के गली-मोहल्लों में ड्रग माफिया के पैडलर सक्रिय हैं। इनके टारगेट पर स्कूल और कॉलेज जाने वाले ऐसे युवा होते हैं, जो होटल, रेस्त्रां या फिर हुक्का बार में पार्टी करने जाते हैं। वहीं नशे की एवज में इन युवाओं से शून्य की खोज यानी पढ़ाई में कंसंट्रेशन का फार्मूला सिखाने का वादा किया जाता है। बस कोई भी रिस्क लेने के लिए तैयार ये युवा बेझिझक ड्रग्स की डोज को चखने लगते हैं। मेडिकल एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक सिथेंटिक ड्रग्स में मौजूद अलग-अलग केमिकल दिमाग पर अलग-अलग असर करते हैं। दिमाग का इमेजिंग सेंटर हाईपर एक्टिव होकर आर्टिफिशियल चीजों की कल्पना करने लगता है। नशे की इस स्टेज में किसी को बर्फ पिंघलती दिखती है तो किसी को जल प्रलय का नजारा फील होता है।

1. स्मैक

स्मैक का सेवन करने से शरीर में रक्त का प्रवाह एकदम बहुत धीमा हो जाता है और दिमाग स्लो मोशन में आ जाता है। इससे हर चीज धीरे-धीरे होने का आर्टिफिशियल अहसास होता है।

प्रभाव

स्मैक लेने से पूरा स्नायु तंत्र प्रभावित होता है। इस नशे से दिमाग की धमनियों में रक्त का प्रवाह कुछ वक्त के लिए कम हो जाता है। काफी दिनों तक यह नशा करने के बाद व्यक्ति को अवसाद और अकेलेपन घेरने लगता है।

2. क्रिस्टल मेथ

इस ड्रग्स से नर्व सिस्टम एक्टिव हो जाता है और दिमाग बेसुध होकर आर्टिफिशियल दुनिया में चला जाता है। क्रिस्टल मेथ अवैध रूप से बनाई जाती है और यह मेथाम्फेटामीन का क्रिस्टलीय का रूप है।

शरीर पर प्रभाव

इस ड्रग के इस्तेमाल से इंसान नींद न आना, मतली, और चिड़चिड़ापन समेत शरीर का वजन घटने लगता है। कुछ मामलों में इसका अधिक इस्तेमाल मौत का कारण भी बन सकता है।

3. कै्रंक कोकीन

कै्रंक कोकीन को मेडिकल एक्सप‌र्ट्स द्वारा हाइपर एक्टिव ड्रग्स में से एक माना गया है। कै्रंक कोकीन एक तरह से अन्य उत्तेजक पदाथरें मसलन मेथाम्फेटामीन और एम्फेटामीन की तरह काम करता है।

शरीर पर प्रभाव

मस्तिष्क में एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संदेश पहुंचाने में डोपामाइन के इस्तेमाल में कै्रंक कोकीन सीधे असर डालती है। सीधे शब्दों में कहें तो ये ड्रग्स न्यूरॉन्स को डोपामाइन का असर बंद करने का संकेत देने से रोकती है।

4. बार्बीचुरेट्स

नींद की गोली, ब्लू बुलेट्स, गोरिल्लाज, नेंबीज, बॉ‌र्ब्स या पिंक लेडीज के नाम से भी पुकारे जाने वाली बार्बीचुरेट्स ड्रग्स आजकल युवाओं के बीच में काफी फेमस है। वैसे इसका इस्तेमाल एंजाइटी से निपटने और नींद दिलाने में किया जाता है।

शरीर पर प्रभाव

इस ड्रग्स के यूज से माइंड की केमिकल सिग्नलिंग प्रभावित होती है। इतना ही नहीं, इसके लंबे समय तक सेवन से मस्तिष्क के कई हिस्से काम करना बंद कर देते हैं। वहीं इसकी ज्यादा मात्रा सांस लेने में परेशानी का कारण बन जाती है।

Posted By: Inextlive