डेक्सामेथासोन की डोज बनेगी संजीवनी

- लखनऊ के बाद मेरठ में भी दवा को इस्तेमाल करने के निर्देश

- कम खर्च में कोरोना मरीजों को मिल सकेगी कारगर दवा

Meerut । जिले में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को अब डेक्सामेथासोन की डोज दी जाएगी। ये न केवल मरीजों के लिए संजीवनी का काम करेगी बल्कि एक्टप‌र्ट्स का मानना है कि इससे लगातार होने वाली मौतों में भी कमी आएगी। दरअसल, कोविड-19 ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में बड़ा बदलाव हुआ है। लखनऊ के साथ मेरठ के मरीजों के इलाज में इस दवाई को प्रयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। जिसके बाद से जिले के एल-2 और एल-3 कोरोना अस्पतालों में इसे अमल में लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

सांस के मरीजों को

कोरोना वायरस से संक्त्रमित ऐसे मरीज, जिन्हें सांस की दिक्कत है। उन पर डेक्सामेथासोन की डोज का प्रयोग किया जाएगा। अभी तक ऐसे क्त्रिटिकल मरीजों को मिथाइल प्रेडिनीसोलोन दी जा रही थी। नई दवाई को प्रोटोकॉल में शामिल करने के कई फायदे सामने आ रहे हैं। इससे जहां डोज की मात्रा कम हो रही है, वहीं दवाई का खर्च भी कई गुना कम हो गया है। पुरानी दवाई मिथाइल प्रेडिनीसोलोन 500 से 1000 एमजी तक की डोज में गंभीर मरीजों को दी जाती थी। एक मरीज के सात से 10 दिन के कोर्स पर 6 हजार से अधिक का खर्च आ रहा था। वहीं नई दवाई की खुराक घटकर चार से आठ एमजी रोजाना 10 दिन तक देनी होगी। दवाई के पूरे कोर्स का खर्चा भी मात्र 100 रूपये तक आएगा। वहीं प्रोटोकॉल के तहत मरीज को इलाज भी मिल सकेगा। इसे इंजेक्शन और टेबलेट दोनों ही फॉर्म में मरीजों को दिया जा सकता है।

डिफेंस मैकेनिज्म होगा कंट्रोल

कोरोना वायरस संक्त्रमण के एल-2 मरीज यानी मॉडरेट मरीजों में डेक्सामेथासोन डिफेंस मैकेनिज्म को कंट्रोल करने का काम भी करेगा। केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्त्रिटिकल केयर मेडिसिन के एचओडी और मेरठ के ओएसडी डॉ। वेद प्रकाश बताते हैं कि कई मरीजों में वायरस पहुंचने के साथ ही उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति अधिक क्षमता से काम करने लगती है। इससे पूरा सिस्टम ओवर कैपेिसटी से काम करता है, जिसे ओवर ड्राइव भी कहते हैं। शरीर में साइटोकाइन स्टॉर्म की स्थिति बन जाती है और रेस्पिरेटरी सिस्टम बिगड़ जाता है। कई बार इसकी वजह से मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो सकता है। नई दवाई के प्रयोग से इस समस्या को बहुत हद तक रोका जा सकेगा। डिफेंस मैकेनिज्म कंट्रोल में रहेगा। जिससे मरीज के रिकवकर होने के चांस कई गुना बढ़ जाएंगे।

ये है निर्देश

डॉ। वेद प्रकाश बताते हैं कि दवाई की डोज पहले सीवियर मरीजों को ही दी जाएगी। पॉजिटिव रिजल्ट्स आने पर मॉडरेट मरीजों को कंडीशन के हिसाब से डोज दी जाएगी।

- डेक्सामेथासोन डॉक्टर्स मरीज की स्थिति के अनुसार ही देंगे।

- शुगर के मरीजों को ये दवाई देने से पहले खास एहितयात बरतनी होगी। इसके प्रयोग से शुगर लेवल बढ़ सकता है।

- बीपी के मरीजों का भी खास याल रखना होगा।

होगी स्टडी

डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि सॉर्स कोविड-2 अभी नया वायरस है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर प्रयोग करने में जुटे हैं। लखनऊ में दवाई का प्रयोग कर मरीज पर स्टडी की जा रही है। मेरठ में भी मरीजों पर स्टडी की जाएगी। सभी मरीजों की स्थिति और लक्षण अलग होते हैं। ऐसे में हर मरीज पर इसके प्रयोग की स्टडी होगी।

Posted By: Inextlive