निगम की भूल, पेयजल से साफ कर रहे धूल
सड़कों पर छिड़क रहे शहर में सप्लाई होने वाला पेयजल
5 से 7 हजार लीटर पेयजल का रोजाना किया जा रहा है प्रयोग 15 अक्टूबर से लागू किया जा चुका है ग्रेप 2 बार पानी का छिड़काव होता है शहर की सड़कों पर 157 नलकूपों का पानी किया जा रहा है प्रयोग 12 से 13 वाटर टैंकर हैं निगम के तीनों डिपो में 500 से 600 लीटर पानी की क्षमता होती है प्रत्येक टैंक कीMeerut। शहर में भले ही पेयजल की किल्लत ना हो लेकिन गर्मियों के दौरान हर साल हैंड पंप पर लंबी लंबी कतारें शहर में दिख ही जाती हैं। गर्मी में इस पेयजल का महत्व बढ़ जाता है तो इसी कमी के कारण संकट भी गहरा हो जाता है। वहीं मेरठ का भूमिगत जल स्तर भी साल दर साल कम होता जा रहा है। कई स्थान ऐसे में जहां पर लोग बूंद-बूंद के लिए तरसते है, बावजूद इसके नगर निगम जल बचाने के बजाए पेयजल को शहर की सड़कों की धूल साफ करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। रोजाना 5 से 7 हजार लीटर पेयजल केवल सड़कों पर उड़ती धूल को बैठाने के लिए बर्बाद हो रहा है।
नलकूपों के जल का प्रयोगशहर की खराब सड़कों पर सालभर धूल मिट्टी उड़ती रहती है, लेकिन निगम इन सड़कों की मरम्मत के बजाए सड़कों की साल भर पानी का छिड़काव कर धूल दबाने में जुटा रहता है। अब 15 अक्टूबर से ग्रेप लागू होने और प्रदूषण विभाग की फटकार लगने के बाद नगर निगम ने शहर की सड़कों पर दिन में दो बार पानी का छिड़काव शुरु कर दिया है। यह पानी टैंकर के माध्यम से सड़कों पर डाला जाता है। खास बात यह है कि छिड़काव के लिए साधारण पानी का प्रयोग ना होकर पेयजल का प्रयोग किया जा रहा है। क्योंकि निगम के पास वाटर टैंकर भरने के लिए 157 नलकूपों का पानी प्रयोग किया जा रहा है। इन नलकूपों से ही रोजाना वाटर टैंकरों में पानी भरकर छिड़काव के लिए प्रयोग किया जाता है।
5 से 7 हजार लीटर जलदरअसल, निगम के तीनों डिपो में करीब 12 से 13 वाटर टैंकर हैं। इन वाटर टैंकरों को गर्मियों के दिनों में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गत दिनों कोरोना काल में इन टैंकरों के माध्यम से शहर के सभी वाडरें में सेनेटाइजेशन कराने के लिए भी प्रयोग किया गया था। प्रत्येक टैंक की 500 से 600 लीटर पानी की क्षमता होती है। ऐसे में अब शहर की सड़कों पर उड़ती धूल को बैठाने के लिए रोजाना दिन मे दो बार प्रमुख सड़कों पर पानी का छिडकाव किया जा रहा है। खासबात यह है कि निगम द्वारा इन वाटर टैंकरों को भरने के लिए एकमात्र नलकूप ही विकल्प बचे हुए हैं उनसे ही पानी उपलब्ध कराया जाता है। जबकि नलकूप को शहर को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रयोग किया जाता है।
एसटीपी प्लांट का पानी विकल्प नगर निगम शहर की सड़कों पर छिड़काव के लिए पेयजल का प्रयोग ना कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से साफ पानी प्रयोग कर सकता है लेकिन इसकी तरफ निगम का ध्यान ही नही है। ऐसे में रोजाना हजारों लीटर पानी सड़क पर बर्बाद हो रहा है। सड़कों पर छिड़काव के लिए साधारण जल का ही प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कोई अन्य विकल्प अभी निगम के पास नही है लेकिन अधिक जरुरत पड़ने पर एसटीपी प्लांट का पानी प्रयोग किया जा सकता है। ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त