Meerut : रामलीला के मंच पर भले ही रावण का अंत हो जाता है और लोग श्रीराम की जीत का जश्न मनाते हों मगर बाजार में दशहरा उत्सव का असली विनर तो रावण ही है. शनिवार को बाजार में रावण की जबर्दस्त मांग रही. हर मोहल्ले के लिए एक रावण खरीदा गया. हम आपको बता दें कि शहर में एक दर्जन बड़े आयोजन होंगे तो मोहल्ला स्तर पर पांच सौ रावण फूंके जाएंगे.


110 फुट रावण   आप हर साल दशहरे पर रावण का पुतला फूंकते हैं। कहीं 110 फुट का तो कहीं 90 फुट का। क्या कभी ये अंदाजा लगाया है कि इससे कितना पॉल्यूशन होगा? एक रावण के साथ कितने पटाखे चलेंगे? दशहरा ईको फ्रेंडली भी हो सकता है। शहर में मुख्य रूप से करीब छह जगहों पर रावण दहन किया जाएगा। सबसे बड़ा रावण भैंसाली मैदान में 100 फीट का है, जिसमें भारी मात्रा में पटाखे भी रखे गए । कैसे-कैसे रावण


भैंसाली मैदान में शहर का सबसे बड़ा रावण 110 फीट का है। दूसरा नंबर पर जिमखाना मैदान के रावण है, जो 90 फीट का है। रजबन का रावण तीसरे नंबर पर है, जिसकी लंबाई 80 फीट है। इसके अलावा कई और जगहों पर रावण दहन किया जा रहा है। जहां चार फीट से लेकर 50 फीट तक के रावण की स्थापना की गई है। चार फीट का रावण बाजार में 300 रुपए और 6 फीट का रावण बाजार में 1050 रुपये का है। 6 फीट के कुंभकरण और मेघनाद की कीमत 900 रुपये है।15 साल का एक्सपीरियंस

भैंसाली मैदान में सबसे बड़ा रावण बनाने वाले चांद मोहम्मद बताते हैं कि पिछले 15 सालों से मैं ही भैंसाली मैदान में रावण कुंभकरण और मेघनाद बनाता हूं। इस काम में बहुत मजा आता है। हर बार कुछ नया करने की कोशिश रहती है। इन पुतलों को बनाने के लिए मैं लकड़ी, कागज, गत्ते के साथ पतंगी कागज, रंग, पटाखे आदि का इस्तेमाल करता हूं।पांच साल से लगा रहे स्टॉलगढ़ रोड पर बड़ा सा स्टॉल लगाए सलीम बताते हैं कि इस दशहरा मैंने करीब 50 रावण बनाए हैं। इतने ही कुंभकरण और मेघनाद भी। मैं पिछले पांच सालों से रावण बना रहा हूं। मैं जो रावण तैयार करता हूं वो लोग अपने मोहल्लों और कॉलोनियों में लगाते हैं। दशहरे पर ईको फ्रेंडली रावणरावण का पुतला बनाने के लिए सामान्य तौर पर प्लास्टिक, लोहे की तारों, नुकसान पहुंचाने वाले रंगों और तारकोल का इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन इस साल इन सब चीजों से कुछ लोगों ने तौबा कर ली है। यही वजह है कि हानिकारक रसायनों के बजाय फ्लोरासेंट पेपर, प्राकृतिक रंग और बेंत की खपंचियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।पर्यावरण का रखें ख्याल

जरूरी नहीं कि आप रावण के पुतले में पटाखे ही भरें। ऐसी कई चीजें हैं, जिनकी मदद से आप ईको फ्रेंडली रावण बना सकते हैं। आप चाहें तो रावण के पुतले में रद्दी कागज और गत्ते भर सकते हैं। इनके जलने पर भी प्रदूषण होता है पर यह पटाखों की तुलना में कम होता है। पूजन का समय रखें ध्यानज्योतिषी भारत ज्ञान भूषण बताते हैं कि इस बार दशमी तिथि रविवार को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर सोमवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। इस बार पंचक दशहरे पर न पड़कर अगले दिन सोमवार को शाम 4 बजकर 24 मिनट पर पड़ेंगे। इसलिए इस बार रावण दहन भद्रा मुक्त समय व पंचक विहीन अवधि में होंगे जो बहुत ही शुभ है। ये विशेष योग रावण के विद्वान और ब्राहमण गुणों को प्रकाशित करेंगे। इस बार रावण का पुतला दहन के उपरांत पूर्वोत्र दिशा की ओर गिराया जाना शुभताओं को बढ़ावा देगा। इस बार के दशहरे में पड़ रहे योग 285 वर्ष पूर्व पड़ रहे हैं।"हम वैसे ही अपने पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही वजह है कि हमें ईको फ्रेंडली सिस्टम को अपनाना पड़ रहा है। पर्यावरण को बचाना भी जरूरी है इसलिए इको फ्रेंडली रावण दहन हो तो अच्छा होगा."-डॉ। यशवंत सिंह, प्रेसीडेंट, ग्रीन प्लेनेट वेलफेयर एसोसिएशन

Posted By: Inextlive