आई एक्सक्लूसिव

मोहित शर्मा

-पीवीवीएनएल ने आरएपीडीआरपी योजना के अंतर्गत पावर स्टेशनों पर लगाए थे कैपिस्टर

-एक साल में ही खराब हो गए कैपिस्टर, अब बिजली घरों पर बने शोपीस

मेरठ। पीवीवीएनएल ने पावर सप्लाई मेंटेंन रखने के लिए करोड़ों के बजट से जो कैपिस्टर बिजली घरों पर लगवाए थे, उनमें से अधिकांश महीनों से खराब पड़े हैं। जिसका खामियाजा शहरवासियों को तो भुगतना पड़ रहा है, साथ ही सरकार को मोटा चूना लग रहा है।

क्या है योजना

दरअसल, पीवीवीएनएल की ओर से दो साल पूर्व आरएपीडीआरपी योजना के अंतर्गत शहर स्थित बिजली घरों पर कैपिस्टर पावर बैंक रखवाए गए थे। इसका उद्देश्य शहर से लो वोल्टेज और ओवरलोडिंग की समस्या को खत्म करना था। सूत्रों के अनुसार सर्विस प्रोवाइडर कंपनी की ओर से प्रोजेक्ट में दो साल का वारंटी पीरियड रखा गया था। अब जबकि गारंटी पीरियड खत्म हो चुका है, तो विभाग ने इनको रिपेयर कराने तक की जहमत नहीं उठाई है।

क्या है कैपिस्टर

कैपिस्टर एक तरह की पावर बैंक डिवाइस है। कैपिस्टर का मुख्य काम इलेक्ट्रिक वोल्टेज को मेंटेन करना है। सामान्य रूप से देखें तो इस डिवाइस का कांसेप्ट बिजली घरों पर ओवरलोडिंग की समस्या को कम करना है। डिमांड और सप्लाई के चलते जब सप्लाई सिस्टम ओवरलोडिंग का शिकार होता है, तो ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क, ट्रांसफॉमर्स और अन्य उपकरणों के ट्रिप करने की गुंजाइश बढ़ जाती है। जबकि कैपिस्टर इस तरह की समस्याओं को दूर करने में सहायक सिद्ध होता है।

यहां पड़े हैं खराब

-गंगानगर फ‌र्स्ट

-गंगानगर सेकेंड

-कंकरखेड़ा

-पुराना आरटीओ

-जागृति विहार आदि।

-परतापुर

-हापुड रोड

करोड़ों हुए खर्च

आरएपीडीआरपी योजना के अंतर्गत लगाए गए इन कैपिस्टर्स की कीमत करोड़ों में हैं। विभाग के अनुसार बिजली घरों पर सामान्यत: 9 केवीआर के कैपिस्टर्स लगाए जाते हैं। जिनकी कीमत 30 से 50 हजार के बीच होती है। जबकि बड़े बिजली घरों पर 38 एमवीआर तक के कैपिस्टर्स भी लगाए जाते हैं, जिनकी वास्तविक कीमत 25 से 30 लाख के बीच होती है।

जनता झेल रही खामियाजा

पीवीवीएनएल की लापरवाही का सीधा खामियाजा शहरवासियों को उठाना पड़ रहा है। दरअसल, गर्मियां आते ही ओवरलोडिंग की भेंट चढ़ रहे डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफामर्स का कारण कुछ और नहीं बल्कि बिजली घरों पर खराब पड़े ये कैपिस्टर्स है। पीवीवीएनएल की ओर से शहर स्थित 25 बिजली घरों पर लगाए कैपिस्टर्स में अधिकांश खराब होने के कारण सप्लाई सिस्टम ओवर लोडिंग का शिकार हो रहा है।

फैक्ट एंड फीगर

- 56 लाख हैं पश्चिमांचल में कुल कंज्यूमर

- 6.95 लाख हैं जनपद में कुल कंज्यूमर

- 4900 बिजलीघर है पश्चिमांचल में 33 केवी के

-47 बिजलीघर हैँ मेरठ शहर में 33 केवी के

- 7500 मेगावाट हैं पश्चिमांचल की अधिकतम बिजली मांग

- 1500 मेगावाट मांग व उपलब्धता के बीच अंतर

- 650 मेगावाट हैं मेरठ शहर की बिजली की अधिकतम मांग

औसतन बिजली आपूर्ति

-ग्रामीण 10 से 14 घंटा

-शहर 20 से 24 घंटा

-पश्चिमांचल से वार्षिक राजस्व वसूली - 12,500 करोड़

-मेरठ शहर से वार्षिक राजस्व वसूली - 950 करोड़

-बिजली के दामों में वृद्धि लगभग - 25 फीसदी

इस साल बने नये बिजलीघर

-33 केवी 123 चालू, 139 निर्माणाधीन

-132 केवी 2 शुरू, 12 निर्माणाधीन

-220 केवी 3 निर्माणाधीन

-400 केवी एक बिजलीघर का निर्माण जारी

वर्जन

कुछ बिजली घरों पर लगे कैपिस्टर्स खराब होने की सूचना मिली है। इनको अपडेट करने की तैयारी की जा रही है। जल्द ही समस्या से निजात पा ली जाएगी।

-आरके राणा, एसई अर्बन

Posted By: Inextlive