कोरोना के गंभीर मरीजों को दी जाती है रेमडेसिविर

दवा की कालाबाजारी रोकने के लिए शासन के निर्देश

अस्पताल मरीज का आधार कार्ड लिंक कर देंगे दवा

कंपनियां भी मरीजों का ब्योरा लेकर ही देंगी दवा

Meerut। कोविड-19 संक्रमण के बीच दवाइयों और अन्य चीजों में कालाबाजारी को रोकना भी स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। इसी के मद्देनजर गंभीर मरीजों में रेमडेसिविर दवा की डोज का पूरा ब्योरा अब अस्पतालों को देना होगा। इसके लिए मरीज के आधार कार्ड की डिटेल्स अनिवार्य कर दी गई हैं। यूपी ड्रग कंट्रोल विभाग के निर्देशों के अनुसार एक महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी दवाई की उपलब्धता पूरी नहीं हो रही है। ऐसे में इसका पूरा ब्योरा रखना बेहद जरूरी होगा।

देना होगा शासन को रिकार्ड

अस्पतालों को रेमडेसिविर की डोज को लेकर शासन को रिकॉर्ड देना होगा। मरीज को दवा देने से लेकर उसका नाम, पता, दवाई कब दी गई है, इसका भी पूरा ब्योरा रखा जाएगा। शासन का कहना है कि दवा की कालाबाजारी रोकने के लिए आधार कार्ड भी अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं दवा खरीदकर बेवजह डंप करने पर कार्रवाई भी की जा सकती है। कंपनियां भी अस्पताल में एडिमट मरीजों का ब्योरा लेकर ही दवा देंगी। वहीं कंपनियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह पहले मरीज का नाम, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, कोविड सेंटर का नाम, दवा देने वाले डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन फार्म लेंगी।

गंभीर मरीजों के लिए जरूरी

रेमडेसिविर की डोज कोरोना के गंभीर मरीजों को दी जा रही है। पांच दिन में छह डोज देने का प्रोटोकॉल है। पहले दिन मरीज को दो इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इसके बाद एक-एक इंजेक्शन चार दिन लगता है। जिन मरीजों में सांस की शिकायत आ रही हैं, उन्हें इसकी डोज दी जा रही है। एक वायल की कीमत साढे पांच हजार रुपये तक है।

कालाबाजारी की संभावना को देखते हुए ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने सभी को लाइफ सेविंग मेडिसिन के तहत तय रेट्स पर इसे उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। सभी को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

पवन शाक्य, ड्रग इंस्पेक्टर, मेरठ

Posted By: Inextlive