Meerrut : वर्षों बाद जब स्टूडेंट यूनियन के चुनाव हुए तो लगा कि सीसएसयू के स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम सॉल्व होंगीं लेकिन अब जब पूरा सेशन गुजर चुका है और सीसीएसयू स्टूडेंट यूनियन भंग होने वाला है.


 इसके बावजूद यहां स्टूडेंट्स परेशान नजर आते हैैं। पांच साल बाद बने छात्र संघ से आम छात्र को कितना फायदा हुआ है ये तो पता नहीं लेकिन स्टूडेंट यूनियन के कुछ लोगों को जरूर 'बड़ाÓ फायदा हुआ। स्टूडेंट यूनियन द्वारा किए गए वादों के बारे में अभी भी सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि क्या हुआ तेरा वादा।ये थे वादे -                                                                ये है वर्तमान स्थिति- हर विभाग में प्लेसमेंट सेल बनवाना                      - बना हुआ प्लेसमेंट सेल भी इनएक्टिव है।- सेल्फ फाइनेंस कोर्स में भी टीचर्स की भर्ती                - टीचर्स की भर्ती ही नहीं हुई.                                                 रेगुलर कोर्स की तरह कराएंगे - सेल्फ फाइनेंस कोर्स में शोध केंद्र बनवाएंगे                - जहां बनने चाहिए वहीं पर नहीं बने शोध केंद्र।


- हॉस्टल की समस्याओं जैसे मेस, सिक्योरिटी,             - हॉस्टल में अभी भी खाने की क्वालिटी खराब, आए दिन यूनिवर्सिटी में गोली सफाई, स्टडी रूम की व्यवस्था कराएंगे                        चलती है, सिक्योरिटी वाले किसी को पकड़ नहीं पाते, स्टडी रुम बंद पड़े हैं    - लाइब्रेरी का विस्तार, सभी किताबें और रिसर्च पेपर        -  लाइब्रेरी के विस्तार में स्टूडेंट यूनियन का प्रयास नहीं है। ये यूनिवर्सिटी    ऑनलाइन कराना                                             की अपनी और पुरानी योजना है।

- यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी टाइट कराना                    - आए दिन होने वाली घटनाओं के बाद भी सिक्योरिटी लचर।- एडमिशन, एग्जाम और रिजल्ट टाइम पर कराने            - सभी यूनिवर्सिटीज के बाद सीसीएसयू ने जारी किया                 कराने का काम                                                  कैंपस में एडमिशन का प्रोग्राम। कॉलेजों का अभी कुछ पता नहीं।- सीटें बढ़वाई जाएंगी                                         - अभी तक सीटें बढ़वाने के बारे में कोई मांग नहीं की गई।छात्र संघ अध्यक्ष संजीव कुमारइलेक्शन के तुरंत बाद ही छात्र संघ अध्यक्ष ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया। वो बोले के मैं किसी से बात नहीं करना चाहता। इसके कुछ महीनों के बाद ही वो मोदीनगर के एक कॉलेज में जान पहचान करने पहुंच गए। जहां पर हंगामा होने के बाद डिप्टी रजिस्ट्रार ने कुलपति तक से शिकायत कर दी थी। आज तक इनके कमरे में पब्लिक आराम फरमाती है।मीनल गौतम, छात्र संघ उपाध्यक्ष छात्र संघ उपाध्यक्ष मीनल गौतम फिर भी कैंपस में नजर आती हैं। वो अकसर स्टूडेंट्स की समस्याओं को लेकर अधिकारियों के पास जाती हैं। कभी किसी को डिग्री बनवाने में दिक्कत है तो उसकी मदद करती हैं।अनुज भाटी, छात्र संघ महामंत्री

छात्र संघ महामंत्री अनुज भाटी ने कुछ दिनों तक तो कुछ बीएड कॉलेजों के खिलाफ बैठक की। उसमें भी अपने जानने वालों की ही बात की गई। उसके बाद ना जाने क्या सेटिंग हुई कि सभी स्टूडेंट्स की समस्याएं हल हो गई और उन्होंने कैंपस में दर्शन देना तक बंद कर दिया। अब तो उनके ऑफिस पर भी ताला ही रहता है।सचिन कुमार, संयुक्त सचिव छात्र संघ के संयुक्त सचिव को अभी भी कैंपस में स्टूडेंट्स इतना नहीं पहचानते। वो कभी कभार कैंपस में दिख जाते हैं। लेकिन स्टूडेंट्स की समस्याओं को लेकर वो अधिकारियों के पास कम ही जाते हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि वो सचिन को जानते ही नहीं तो समस्या कैसे बताएं.नितिन कुमार शर्मा, कोषाध्यक्ष नितिन कुमार और मीनल गौतम स्टूडेंट्स के साथ उनकी समस्याओं को उठाने के लिए अधिकारियों के पास रेगुलर टाइम पर जाते हैं। कई मामलों में इन्होंने धरना प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शन भी किया है। स्टूडेंट्स का कहना है कि नितिन फिर भी कैंपस में तलाशने पर मिल जाते हैं।"छात्र संघ अध्यक्ष और महामंत्री ने तो एक दिन भी छात्रों की समस्याओं पर गौर नहीं किया। छात्र अभी भी बहुत परेशान हैं."-लव कसाना, स्टूडेंट
"छात्र संघ ने छात्रों में ही दरार डाल दी। पहले छात्र एक जुट होकर लड़ते थे लेकिन अब सभी को जाति और क्षेत्र के नाम पर बांट दिया गया है."-हिमांक, स्टूडेंट"छात्र संघ के दो तीन लोग तो इलेक्शन जीतने के बाद ही कुलपति की गोद में जाकर बैठ गए। वो तो वही करते हैं जो अधिकारी कहते हैं। छात्रों की नहीं सुनते."-अक्षय बांगा, स्टूडेंट

Posted By: Inextlive