कड़ाके की सर्दी में टाट पर बैठी छात्राएं

हापुड़ रोड पर बने जीजीआईसी स्कूल में नहीं हैं फर्नीचर, शीशे भी टूटे

सौ प्रतिशत रिजल्ट लाने वाला स्कूल भी हुआ शासन की अनदेखी का शिकार

Meerut । मिशन शक्ति अभियान के तहत सरकार बाल अधिकार व महिला सशक्तिकरण को लेकर तमाम योजनाएं चला रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है। सौ प्रतिशत रिजल्ट देने वाले हापुड़ रोड पर बने गर्वमेंट ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज की बेटियां कड़ाके की ठंड में भी टाट पर बैठकर पढ़ाई कर रही हैं। फर्नीचर के नाम पर स्कूल में एक कुर्सी तक नहीं हैं। यही नहीं यहां खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं जिसकी वजह से सर्द हवाओं में लड़कियां ठिठुरने को मजबूर हैं। बावजूद इसके शासन-प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं हैं।

बदहाली झेल रही छात्राएं

शासन-प्रशासन की लापरवाही की वजह से स्कूल में बेसिक सुविधा तक नहीं है। बदहाली झेलने के बावजूद स्कूल का रिजल्ट हर साल शत-प्रतिशत रहता है। सर्द हवाओं से बचने के लिए खिड़कियों पर बोरी और गत्तों से रोकने का इंतजाम किया गया है। हालांकि इससे भी ठंड से बचाव नहीं हो पाता है। पिछले कई महीनों से स्कूल कोरोना काल के चलते बंद हैं लेकिन 9वीं से 12वीं की पढ़ाई जारी हैं। वहीं 3 फरवरी से बोर्ड प्रैक्टिकल्स भी शुरू हो रहे हैं।

पहले यहां था स्लाटर हाउस

कई सालों में चल रहे स्लॉटर हाउस को बंद कर इस स्कूल का निर्माण किया गया था। 2016 में बने इस स्कूल को मल्टी सेक्टोरियल डेवलपमेंट प्रोग्राम फॉर माइनोरिटी के तहत 6वीं से 12वीं तक की लड़कियों को शिक्षित देने के उददेश्य से बनाया गया था। स्कूल में लगभग 16 सौ लड़कियां पढ़ती हैं, लेकिन फर्नीचर न होने की वजह से शुरुआत से ही यहां पर बैठने के लिए टाट पट्टी की व्यवस्था है। यही नहीं स्कूल में जब कोई कार्यक्रम होता है तब भी लड़कियों को जमीन पर ही बिठाया जाता है।

इनका है कहना

इस संबंध में कई बार आला अधिकारियों को पत्र लिखकर स्कूल में फर्नीचर उपलब्ध कराने की मांग की जा चुकी है।

डॉ। पूनम गोयल, प्रिंसिपल, जीजीआईसी हापुड रोड़

ये स्कूल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की देखरेख में चल रहा है। फर्नीचर के लिए 27 लाख रूपये की ग्रंाट आ गई हैं लेकिन इसकी खरीद लखनऊ से ही होगी। तकनीकी कारणों की वजह से टेंडर नहीं हो पाया है।

गिरजेश कुमार चौधरी, डीआईओएस, मेरठ।

Posted By: Inextlive