हरियाली का ‘झूठा सच’
पिछले साल भी
शहर को हरा-भरा बनाने का वादा किया गया। हर साल ऐसा ही होता है। पिछले साल भी हुआ था। लेकिन शहर की हरियाली है कि बढ़ती ही नहीं। वन विभाग के आसमानी दावों को देखा जाए तो पिछले 10 सालों में मेरठ जिलें में 17 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं। लेकिन ये पेड़ है कहां? फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट वन विभाग के सारे दावों की हवा निकाल रही है.
अगर बचते 10 परसेंट भी
एफएसआई की 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ का फॉरेस्ट कवर 2.55 परसेंट है, जो पिछली बार से न बढ़ा है और न घटा है। वन विभाग के दावों पर विश्वास किया जाए तो पिछले 10 सालों में उन्होंने 17 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए। अगर उनके लगाए पेड़ों में से 10 परसेंट पेड़ भी बचते तो शहर की सूरत बदल गई होती। शहर में हरियाली की वर्तमान स्थिति से हर कोई वाकिफ है। और यही बात फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में निकल कर आई है। इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि वन विभाग द्वारा लगाए गए सारे पेड़ या तो मर गए या फिर वे लगाए ही नहीं गए। लेकिन वन विभाग अपने कागजी घोड़े जमकर दौड़ा रहा है। अगर 17 लाख पेड़ लगाएं हैं तो वन विभाग इसके सबूत दे?
कैंट में सफलता के दावे
वन विभाग कैंट क्षेत्र में सफलता की बात कर रहा है, जहां पिछले वर्ष सब एरिया के साथ मिलकर 80,000 पेड़ लगाए गए थे। हालांकि हरियाली के मामले में कैंट की स्थिति पहले से ही बेहतर है। लेकिन फिर भी 80 हजार पेड़ों का असर कैंट में कहीं नजर नहीं आता। आबू नाले पर सघन वृक्षारोपण का टार्गेट था और पेड़ लगाए भी। लेकिन आज भी आबू नाले पर बदबूदार हवाओं के सिवा कुछ भी नहीं.
बेजान बेगमपुल
शहर का सबसे व्यस्त और पॉल्यूटेड चौराहा बेगमपुल विभागों की आपसी खींचतान के चलते बेगानगी झेल रहा है। कैंट बोर्ड और नगर निगम के बीच फंसे बेगमपुल के सेंटर डिवाइडर पर हरियाली की बेहद जरूरत है। पिछले सालों में यहां भी वृक्षारोपण किया गया था। लेकिन यहां पिछले साल लगाए पेड़ नहीं बचे हैं। आज ये जगह अतिक्रमण का शिकार है। इसी तरह शास्त्रीनगर मेन रोड और मेडिकल कालेज रोड पर लगाए अधिकांश पेड़ का अस्तित्व भी नहीं बचा है। दिल्ली देहरादून मार्ग पर हजारों की संख्या में पेड़ काटे गए लेकिन इसे दोबारा हरा भरा नहीं किया गया। दिल्ली रोड भी चौड़ीकरण के नाम पर सैकड़ों पेड़ काट दिए गए थे लेकिन उनकी जगह नए पौधे नहीं लगाए गए.
वन विभाग के वृक्षारोपण आंकड़े
वर्ष भूमि हेक्टेयर में पेड़
2002-03 213 251300
2003-04 166.14 202827
2004-05 138 166200
2005-06 201 226451
2006-07 473 531643
2007-08 51 64372
2008-09 140 134700
2009-10 166 183600
कुल 1548.14 हेक्टेयर 1761093
'इस बार 258 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण करने का टार्गेट था। लेकिन फंड्स की कमी के चलते 160 हेक्टेयर भूमि पर ही वृक्षारोपण किया जाएगा। वृक्षारोपण के बाद पेड़ों के मरने के तमाम कारण होते हैं। ह्यूमन प्रेशर, पॉल्यूशन, विकास कार्य और बजट के अभाव में काफी पेड़ मर जाते हैं। लेकिन सारे पेड़ मर गए ऐसा नहीं कहा जा सकता.'
-ललित कुमार वर्मा, डीएफओ