जन्माष्टमी पर इस बार रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है. बल्कि फलदायी वृद्धि और ध्रुव संयोग बन रहा है.

मेरठ (ब्यूरो)। अभी रक्षाबंधन पर तिथियों को लेकर मतभेद खत्म भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर से कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर विभिन्न पंचांगों की तिथियां अलग-अलग बताई जा रही हैं। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि को हुआ था। इस बार भाद्रपद की अष्टमी दो दिनों तक है। अष्टमी तिथि का प्रवेश इस बार 18 अगस्त गुरुवार को रात्रि में हो रहा है। इस कारण कई लोग 18 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वहीं शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में उदया तिथि सार्वभौमिक माना गया है, इसलिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वैष्णव संप्रदाय भी 19 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएगा।

नहीं है रोहिणी नक्षत्र
इस बार जन्माष्टमी पर्व 18 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन ध्रुव और वृद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। 18 अगस्त की रात में 8.42 बजे तक वृद्धि योग रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा। जो 19 अगस्त रात 8.59 बजे तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार इस योग में किए गए कार्यों का परिणाम शुभ होता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। ज्योतिषों के अनुसार इस बार 18 और 19 अगस्त दोनों ही दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को कृत्तिका नक्षत्र देर रात 1.53 बजे तक रहेगा। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा, इसलिए इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है।

ज्योतिषों अनुसार इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 18 अगस्त शाम 9.20 बजे से प्रारंभ होगी और 19 अगस्त रात 10.59 बजे समाप्त होगी। निशिथ पूजा 18 अगस्त को रात 12.03 बजे से लेकर 12.47 बजे तक रहेगी। निशिथ पूजा की अवधि 44 मिनट होगी।
भारत ज्ञान भूषण, ज्योतिषचार्य

जन्माष्टमी पर्व पर रोहिणी नक्षत्र का ध्यान अवश्य रखा जाता है। इसलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है, ध्यान रहे कि यह पर्व अष्टमीं तिथि के आठवें मुहूर्त में मनाया जाएगा।
डॉ। अनुराधा गोयल, ज्योतिषाचार्य

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