- दीपक की पत्नी रो-रोकर लगा रही थी गुहार

- पुत्र नहीं था तो हनी को लिया था गोद, नहीं बचा कमाने वाला

सुंदर चंदेल

Meerut इनसे वफादार तो कुत्ता है, जो एक बार किसी के घर की रोटी खा ले तो भौंकता नहीं है। जिंदगी भर जिन्हें रोटियां खिलाते रहे उन्होंने ही आज मेरे पति को मार डाला। मेरे पति तो चले गए अब मेरा न्याय भगवान ही करेगा। यह कहते हुए दीपक की पत्‍‌नी चित्रा के आंसू थम नहीं रहे थे।

चित्रा की जुबानी

चित्रा ने बताया कि करीब 20 वर्ष पूर्व उनके जेठ जितेन्द्र और पति दीपक ने इस क्षेत्र में नान का ठेला लगाना शुरू किया था। कुछ वर्षो पूर्व अपना सब कुछ दांव पर लगाकर दोनों भाइयों ने कर्जा करके आरआर मॉल मे दुकान खरीदी, जिसे बाद में छावनी परिषद के अधिकारियों ने अवैध घोषित कर दिया।

मुफ्त खिलाते थे रोटी

उन्होंने बताया कि छावनी परिषद के अधिकारी और कर्मचारियों से दीपक कभी पैसे नहीं लेते थे। यहां तक कि कैंट बोर्ड की जो टीम ध्वस्तीकरण के लिए आनी थी उसमें शामिल 25 लोगों को शुक्रवार को दीपक ने मुफ्त खाना खिलाया था। इसके बावजूद भी दीपक पर बुलडोजर चलाते उनका दिल नहीं पसीजा।

आकाश को लिया था गोद

क्षेत्र की महिलाओं ने बताया कि उनका अपना कोई पुत्र नहीं था। जिसके चलते उन्होंने अपने रिश्तेदार से आकाश (हनी) को बचपन में ही गोद ले लिया था। दीपक और आकाश की मौत के बाद अब परिवार में कोई पुरुष बाकी नहीं बचा।

अब कौन खिलाएगा रोटी?

चित्रा बार-बार एक ही बात का रटा लगा रही थी, कि पति और पुत्र दोनों चले गए। अब तो उन्हें रोटी के भी लाले पड़ गए हैं। अब उसकी जिंदगी किसके सहारे चलेगी। कोई कमाने वाला बचा ही नहीें है।

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Posted By: Inextlive