मरीजों को रेफर करने के बारे में दी गई जानकारी

तीन दिवसीय ट्रेनिंग का किया गया शुभारंभ

Meerut । कोरोना वायरस संक्रमण के बिगड़े हालातों को जिले में पटरी पर लाने के लिए गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग ने प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए वर्कशॉप आयोजित की। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में हुई इस वर्कशॉप में प्राईवेट अस्पतालों को कोरोना मरीज की देखभाल व अन्य विषयों पर जानकारी देने के लिए ट्रेनिंग दी गई। ये ट्रेनिंग वर्कशॉप तीन दिन तक आयोजित होगी। इस वर्कशॉप में डॉ। प्रिया बंसल, डॉ। पूजा शर्मा, डॉ। टीवीएस आर्या ने व्याख्यान दिया। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स शामिल रहे।

रेफर टेक्निक्स बताई

सीएमओ डॉ। राजकुमार ने बताया कि अगर मरीज की सांस 90 फीसदी से कम हो जाती है या मरीज को निमोनिया जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है वहीं डायबिटीज कंट्रोल से बाहर है तो तुरंत ही मरीज को मेडिकल कॉलेज रेफर करना जरूरी है, ताकि उसकी बेहतर देखभाल व उपचार किया जा सके। इस ट्रेनिंग वर्कशॉप में 224 प्राईवेट अस्पताल शामिल हुए।

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35 मरीजों की हुई मौत

सीएमओ डा। राजकुमार ने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों से मेडिकल कॉलेज रेफर किए गए 35 मरीज ऐसे थे जिनकी मौत रेफर करने के कुछ घंटों में ही हो गई। उन्होंने कहा कि बहुत जरूरी है कि प्राइवेट अस्पताल कोरोना संक्रमित मरीजों को रेफर करने के प्रोटोकॉल को समझे और उन्हें फॉलो किया जाए। इसके साथ ही मरीज को कब व किस स्थिति में समय रहते मेडिकल कॉलेज रेफर करना है इसकी जानकारी होने पर मृत्युदर में कमी लायी जा सकती है। उन्होने कहा कि अब हर मृत्यु का डेथ ऑडिट कमिश्नर द्वारा गठित कमेटी द्वारा किया जाएगा। इसमें सीएमओ भी मेंबर होंगे।

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आईपीसी का ध्यान जरूरी

मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 लेवल-3 अस्पताल के नोडल डॉ। टीवीएस आर्या ने कहा कि अस्पतालों को आईपीसी यानी इंफेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। उन्होने बताया कि सीवियर एक्यूट रेसपीरेटरी इंफेक्शन (सॉरी) के और इन्फलुऐंजा लाईक इंलनेस (आईएलआई) के मरीजों को लेकर ध्यान रखने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने इन बीमारियों की पहचान और इलाज के बारे में जानकारी दी।

Posted By: Inextlive